जिद ने बदली किस्मत, किसानी कर महिलाओं ने किया 10 करोड़ का बिजनेस, 6100 को मिला रोजगार, जानें- डिटेल


रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर ब्लाक के तारापुर गांव की रहने वाली द्रौपदी ठाकुर महिला स्वावलंबन की मिसाल बन गई हैं. द्रोपदी ठाकुर ने साढ़े तीन वर्षों में 6100 महिला किसानों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया. द्रोपदी ने ‘भूमगादी‘ महिला किसान उत्पादक संघ बनाया. यहां भूम का अर्थ है जमीन और गादी का अर्थ है जमीन से निकलने वाला पदार्थ. भूमगादी एफपीओ को ये समझ आ गया था कि आदिवासियों के पास कृषि और वन उत्पाद तो हैं, लेकिन वो इन्हें बेचने में सक्षम नहीं हैं. इसके बाद उन्होंने योजना बनाकर काम शुरू किया. एक जिद पाली कि हमें कामयाब होना है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों जनता से भेंट-मुलाकात कार्यक्रम कर रहे हैं. इसके तहत वे बीते गुरुवार को बस्तर के बकावण्ड पहुंचे. यहां कार्यक्रम के दौरान द्रौपदी ने मुख्यमंत्री बघेल से अपने संघर्ष और सफलता का किस्सा साझा किया. द्रौपदी ठाकुर ने बताया कि महिला किसानों को संगठित करने का जिम्मा उन्होंने उठाया और नजदीकी तीन जिलों के 9 विकासखंडों में 6100 महिला किसानों को एकजुट किया. ये महिला किसान अपने-अपने गांवों में जाकर कृषि एवं वन उत्पादों को समर्थन मूल्य पर खरीदती हैं.

इन वनोपज की खरीदी
‘भूमगादी‘ संगठन किसानों से इमली, कोदो-कुटकी, हल्दी, मिर्ची समर्थन मूल्य पर खरीदता है. फिर वैल्यू एडिशन और पैकेजिंग कर जगदलपुर के हरियाली बाजार में ले जाकर बड़े व्यापारियों को बेचते हैं. इससे किसानों को उनके उपज की सही कीमत मिलती है और महिला किसानों को मुनाफे का लाभांश भी मिल जाता है. द्रौपदी ठाकुर ने बताया कि महिला भूमगादी किसान उत्पादक संघ ने पिछले वर्ष में साढ़े चार करोड़ रुपये के प्रोडक्ट बाजार में बेचे हैं, जबकि बीते साढ़े तीन वर्षों में हमारा कुल टर्नओवर लगभग 10 करोड़ रुपये का हो चुका है. महिलाओं के इस किसान उत्पादक संघ के पास खुद का 5 टन का कोल्ड स्टोरेज है, जिसमें वो अपने उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकती हैं. भूमगादी महिला स्व-सहायता समूह के ब्रांडनेम ‘हरियर बस्तर’ को आईएसओ का दर्जा भी मिला हुआ है.

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