Petrol-Diesel Shortage: देश में पेट्रोल-डीजल खत्म होने की खबर कितनी है सच? IOC ने दिया ये जवाब


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क्या भारत भी श्रीलंका की तरह उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जहां पेट्रोल-डीजल की कमी हो गई है? यह सवाल इसलिए पूछा जाने लगा है क्योंकि बीते दो दिनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों से यह खबर आई कि इन इलाकों में फ्यूल स्टेशनों पर पेट्रोल-डीजल नहीं मिल रहा है। कहा जा रहा है कि इन इलाकों के पेट्रोल पंपों में पेट्रोल खत्म हो गया है। पेट्रोल कंपनियों को पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं मिल रही है, पेट्रोल बेचने में घाटा हो रहा है, इसलिए सप्लाई कम करके घाटे को कम किया जा रहा है। यह सोशल मीडिया पर चल रही अफवाह है, या इस खबर के पीछे कुछ सच्चाई भी है?

तेल में कमी की खबर सही

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने देश में तेल की कमी न होने का दावा किया है। वहीं, इस दावे से उलट ऑल इंडिया पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने अमर उजाला से कहा कि देश के कुछ हिस्सों में तेल की सप्लाई में परेशानी आ रही है। तेल की कीमत देने के बाद भी कंपनियां समय पर सप्लाई नहीं कर रही हैं। सरकार को इस समस्या से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वे तेल कंपनियों से बातचीत कर मामले का हल निकालें और सप्लाई सुनिश्चित कराएं। इस एसोसिएशन से देश के लगभग 72 हजार पेट्रोल पंप जुड़े हुए हैं।

इन हिस्सों में ज्यादा कमी

उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि इन खबरों के पीछे कुछ हद तक सच्चाई है। तेल कंपनियों की तरफ से पेट्रोल-डीजल की पर्याप्त सप्लाई नहीं दी जा रही है, जिसके कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के कई राज्यों के पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त मात्रा में तेल नहीं मिल पा रहा है। एडवांस में पैसा देने के बाद भी डीलरों को पेट्रोल नहीं मिल पा रहा है।       

7,000 पेट्रोल पंप मालिकों के एसोसिएशन उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है, लेकिन दूसरे शहरों और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है।   

सरकारी क्षेत्र की तीन पेट्रोल कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) के लगभग 70,000 पेट्रोल पंपों पर तेल की कमी अपेक्षाकृत कम है, जबकि निजी क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर स्थिति ज्यादा खराब है। रिलायंस एनर्जी से जुड़े पेट्रोल पंप ने तेल सप्लाई लगभग ठप कर दी है, तो एसआर ग्रुप और नायरा एनर्जी कुल मांग का लगभग 25 फीसदी पेट्रोल-डीजल की सप्लाई ही कर रहे हैं।

कोई नहीं सुन रहा हमारी बात

तेल विक्रेताओं ने आरोप लगाया कि पेट्रोल-डीजल की कमी के बारे में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री, मंत्रालय के सचिव और अन्य अधिकारियों को लगभग 15 दिन पहले से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें किसी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। विभिन्न पेट्रोल पंप डीलरों के एसोसिएशन पत्र लिखकर इसके बारे में अधिकारियों को जानकारी दे रहे हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।  

20 दिन तक बनी रह सकती है परेशानी

ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि सबसे पहले यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि भारत में तेल की कोई कमी नहीं है, इसलिए इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। भारत के पास तेल उत्पादक देशों को देने के लिए पर्याप्त मात्रा में डॉलर उपलब्ध है, तो साथ ही कच्चे तेल की उपलब्धता में भी कहीं कोई कमी नहीं है। तेल कंपनियों को तेल बेचने पर घाटे वाली बात भी सही नहीं है।

तो समस्या कहां है?

दरअसल, असली परेशानी तेल की रिफाइनिंग को लेकर है। कोविड के बाद कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जुटे दुनिया के सभी देशों में तेल की खपत बढ़ी है। भारत में भी अप्रैल के मुकाबले मई महीने में आठ फीसदी तेल की खपत बढ़ी है, जबकि इसी दौरान तेल रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों के काम में सुधार नहीं हुआ है, लिहाजा देश के कुछ हिस्सों में तेल कम पहुंच रहा है।

मांग और आपूर्ति के बीच के इस अंतर को पाटने के लिए भारत ने पिछले महीने विदेश से डीजल का आयात भी किया है, जबकि सामान्य तौर पर भारत डीजल के निर्यातक देशों में गिना जाता है। हम तेल उत्पादक देशों से कच्चा तेल आयात कर उसकी रिफाइनिंग कर विदेशों को निर्यात करते हैं। लेकिन तेल की अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने में रिफाइनिंग कंपनियां सक्षम नहीं हो पा रही हैं, जिसके कारण तेल की सप्लाई में कुछ कमी आ गई है।

यह कमी केवल भारत में हो, ऐसी बात नहीं है। पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, ईरान और कई अन्य देशों में भी पेट्रोल-डीजल की कमी हो रही है। आश्चर्यजनक ढंग से तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक सऊदी अरब में भी रिफाइनरी से आने वाले तेल की कमी हो गई है। इसका कारण रिफाइंड तेल की पर्याप्त उपलब्धता न हो पाना है।

भारत में तेल की कुल खपत में लगभग 10 फीसदी हिस्सा पेट्रोल और 43 फीसदी हिस्सा डीजल का होता है। चूंकि पेट्रोल की रिफाइनिंग आसान होती है, और डीजल को रिफाइन करना मुश्किल और ज्यादा लागत वाला होता है, लिहाजा पेट्रोल की उपलब्धता में ज्यादा कमी नहीं है। असली परेशानी डीजल की उपलब्धता को लेकर ही है।

तेल पर घाटा भी वजह

इस क्षेत्र से जुड़े कुछ विशेषज्ञों ने अमर उजाला को बताया कि तेल रिफाइनिंग का मुद्दा दूसरे देशों के लिए तो सही हो सकता है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह स्थिति सही नहीं है। भारत दुनिया के सबसे बेहतर तेल रिफाइनिंग करने वाले देशों में शामिल है, जहां से तेल का शोधन कर विदेशों को निर्यात भी किया जाता है।

असली समस्या यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके कारण तेल बेचने पर प्रति लीटर घाटा बढ़ता जा रहा है, जबकि महंगाई बढ़ने के दबाव में सरकार तेल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने दे रही है। इसलिए तेल कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि जानबूझकर तेल की सप्लाई कम करके घाटे को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।  

पानी न बरसा तो बढ़ेगी परेशानी

देश में लगभग 80 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन डीजल के माध्यम से किया जाता है। गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। छुट्टियों में टूरिज्म में बढ़ोतरी होने के कारण भी डीजल की खपत में बढ़ोतरी हो जाती है। जबकि मानसून आ जाने से बिजली की मांग में कमी आ जाती है और टूरिज्म में भी कमी आ जाती है। यदि सही समय से बारिश हो जाती है, जैसा कि मौसम विभाग का दावा है, तो पेट्रोल-डीजल में कमी की यह समस्या 15-20 दिनों में समाप्त हो जाएगी, लेकिन यदि मानसून लंबा खिंचता है और गर्मी बढ़ती है तो यह समस्या ज्यादा लंबे समय तक खिंच सकती है।

तेल की कमी नहीं- IOC

वहीं, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (Indian Oil Corporation) ने मंगलवार को कहा कि देश के किसी भी हिस्से में पेट्रोल-डीजल की कोई कमी नहीं है। कॉर्पोरेशन ने कहा है कि कुछ शरारती तत्त्वों ने जानबूझकर इस तरह की अफवाह फैलाई है और इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। कहा गया है कि इस तरह की अफवाह के बाद लोग पेट्रोल पंपों पर उमड़ पड़े, लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं है। अफवाह फैलाने वालों की पहचान की जा रही है।

विस्तार

क्या भारत भी श्रीलंका की तरह उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जहां पेट्रोल-डीजल की कमी हो गई है? यह सवाल इसलिए पूछा जाने लगा है क्योंकि बीते दो दिनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों से यह खबर आई कि इन इलाकों में फ्यूल स्टेशनों पर पेट्रोल-डीजल नहीं मिल रहा है। कहा जा रहा है कि इन इलाकों के पेट्रोल पंपों में पेट्रोल खत्म हो गया है। पेट्रोल कंपनियों को पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं मिल रही है, पेट्रोल बेचने में घाटा हो रहा है, इसलिए सप्लाई कम करके घाटे को कम किया जा रहा है। यह सोशल मीडिया पर चल रही अफवाह है, या इस खबर के पीछे कुछ सच्चाई भी है?

तेल में कमी की खबर सही

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने देश में तेल की कमी न होने का दावा किया है। वहीं, इस दावे से उलट ऑल इंडिया पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने अमर उजाला से कहा कि देश के कुछ हिस्सों में तेल की सप्लाई में परेशानी आ रही है। तेल की कीमत देने के बाद भी कंपनियां समय पर सप्लाई नहीं कर रही हैं। सरकार को इस समस्या से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वे तेल कंपनियों से बातचीत कर मामले का हल निकालें और सप्लाई सुनिश्चित कराएं। इस एसोसिएशन से देश के लगभग 72 हजार पेट्रोल पंप जुड़े हुए हैं।

इन हिस्सों में ज्यादा कमी

उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि इन खबरों के पीछे कुछ हद तक सच्चाई है। तेल कंपनियों की तरफ से पेट्रोल-डीजल की पर्याप्त सप्लाई नहीं दी जा रही है, जिसके कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के कई राज्यों के पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त मात्रा में तेल नहीं मिल पा रहा है। एडवांस में पैसा देने के बाद भी डीलरों को पेट्रोल नहीं मिल पा रहा है।       

7,000 पेट्रोल पंप मालिकों के एसोसिएशन उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है, लेकिन दूसरे शहरों और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है।   

सरकारी क्षेत्र की तीन पेट्रोल कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) के लगभग 70,000 पेट्रोल पंपों पर तेल की कमी अपेक्षाकृत कम है, जबकि निजी क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर स्थिति ज्यादा खराब है। रिलायंस एनर्जी से जुड़े पेट्रोल पंप ने तेल सप्लाई लगभग ठप कर दी है, तो एसआर ग्रुप और नायरा एनर्जी कुल मांग का लगभग 25 फीसदी पेट्रोल-डीजल की सप्लाई ही कर रहे हैं।

कोई नहीं सुन रहा हमारी बात

तेल विक्रेताओं ने आरोप लगाया कि पेट्रोल-डीजल की कमी के बारे में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री, मंत्रालय के सचिव और अन्य अधिकारियों को लगभग 15 दिन पहले से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें किसी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। विभिन्न पेट्रोल पंप डीलरों के एसोसिएशन पत्र लिखकर इसके बारे में अधिकारियों को जानकारी दे रहे हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।  

20 दिन तक बनी रह सकती है परेशानी

ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि सबसे पहले यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि भारत में तेल की कोई कमी नहीं है, इसलिए इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। भारत के पास तेल उत्पादक देशों को देने के लिए पर्याप्त मात्रा में डॉलर उपलब्ध है, तो साथ ही कच्चे तेल की उपलब्धता में भी कहीं कोई कमी नहीं है। तेल कंपनियों को तेल बेचने पर घाटे वाली बात भी सही नहीं है।

तो समस्या कहां है?

दरअसल, असली परेशानी तेल की रिफाइनिंग को लेकर है। कोविड के बाद कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जुटे दुनिया के सभी देशों में तेल की खपत बढ़ी है। भारत में भी अप्रैल के मुकाबले मई महीने में आठ फीसदी तेल की खपत बढ़ी है, जबकि इसी दौरान तेल रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों के काम में सुधार नहीं हुआ है, लिहाजा देश के कुछ हिस्सों में तेल कम पहुंच रहा है।

मांग और आपूर्ति के बीच के इस अंतर को पाटने के लिए भारत ने पिछले महीने विदेश से डीजल का आयात भी किया है, जबकि सामान्य तौर पर भारत डीजल के निर्यातक देशों में गिना जाता है। हम तेल उत्पादक देशों से कच्चा तेल आयात कर उसकी रिफाइनिंग कर विदेशों को निर्यात करते हैं। लेकिन तेल की अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने में रिफाइनिंग कंपनियां सक्षम नहीं हो पा रही हैं, जिसके कारण तेल की सप्लाई में कुछ कमी आ गई है।

यह कमी केवल भारत में हो, ऐसी बात नहीं है। पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, ईरान और कई अन्य देशों में भी पेट्रोल-डीजल की कमी हो रही है। आश्चर्यजनक ढंग से तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक सऊदी अरब में भी रिफाइनरी से आने वाले तेल की कमी हो गई है। इसका कारण रिफाइंड तेल की पर्याप्त उपलब्धता न हो पाना है।

भारत में तेल की कुल खपत में लगभग 10 फीसदी हिस्सा पेट्रोल और 43 फीसदी हिस्सा डीजल का होता है। चूंकि पेट्रोल की रिफाइनिंग आसान होती है, और डीजल को रिफाइन करना मुश्किल और ज्यादा लागत वाला होता है, लिहाजा पेट्रोल की उपलब्धता में ज्यादा कमी नहीं है। असली परेशानी डीजल की उपलब्धता को लेकर ही है।

तेल पर घाटा भी वजह

इस क्षेत्र से जुड़े कुछ विशेषज्ञों ने अमर उजाला को बताया कि तेल रिफाइनिंग का मुद्दा दूसरे देशों के लिए तो सही हो सकता है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह स्थिति सही नहीं है। भारत दुनिया के सबसे बेहतर तेल रिफाइनिंग करने वाले देशों में शामिल है, जहां से तेल का शोधन कर विदेशों को निर्यात भी किया जाता है।

असली समस्या यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके कारण तेल बेचने पर प्रति लीटर घाटा बढ़ता जा रहा है, जबकि महंगाई बढ़ने के दबाव में सरकार तेल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने दे रही है। इसलिए तेल कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि जानबूझकर तेल की सप्लाई कम करके घाटे को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।  

पानी न बरसा तो बढ़ेगी परेशानी

देश में लगभग 80 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन डीजल के माध्यम से किया जाता है। गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। छुट्टियों में टूरिज्म में बढ़ोतरी होने के कारण भी डीजल की खपत में बढ़ोतरी हो जाती है। जबकि मानसून आ जाने से बिजली की मांग में कमी आ जाती है और टूरिज्म में भी कमी आ जाती है। यदि सही समय से बारिश हो जाती है, जैसा कि मौसम विभाग का दावा है, तो पेट्रोल-डीजल में कमी की यह समस्या 15-20 दिनों में समाप्त हो जाएगी, लेकिन यदि मानसून लंबा खिंचता है और गर्मी बढ़ती है तो यह समस्या ज्यादा लंबे समय तक खिंच सकती है।

तेल की कमी नहीं- IOC

वहीं, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (Indian Oil Corporation) ने मंगलवार को कहा कि देश के किसी भी हिस्से में पेट्रोल-डीजल की कोई कमी नहीं है। कॉर्पोरेशन ने कहा है कि कुछ शरारती तत्त्वों ने जानबूझकर इस तरह की अफवाह फैलाई है और इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। कहा गया है कि इस तरह की अफवाह के बाद लोग पेट्रोल पंपों पर उमड़ पड़े, लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं है। अफवाह फैलाने वालों की पहचान की जा रही है।



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