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मां काली विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सब कुछ मां की चेतना से ही व्याप्त है। मां काली का आशीर्वाद हमेशा देश के साथ है। दरअसल, पीएम मोदी रविवार को स्वामी आत्मस्थानंद के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मां काली को लेकर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था, जिन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है। पीएम ने कहा, यह चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है और जब आस्था इतनी पवित्र होती है तो शक्ति हमारा पथ प्रदर्शन करती है। उन्होंने कहा, मां काली का असीमित और असीम आशीर्वाद भारत के साथ है। भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है।
अमित मालवीय ने महुआ पर साधा निशाना
पीएम मोदी के भाषण के बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने महुआ मोइत्रा पर निशाना साधा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल बंगाल बल्कि पूरे भारत को मां काली की भक्ति का केंद्र बताते हैं। दूसरी ओर, एक टीएमसी सांसद ने मां काली का अपमान किया। उन पर कार्रवाई के बजाय ममता बनर्जी उनका बचाव करती हैं।
Prime Minister Narendra Modi speaks reverentially about Maa Kaali being the center of devotion, not just for Bengal but whole of India. On the other hand, a TMC MP insults Maa Kaali and Mamata Banerjee instead of acting against her, defends her obnoxious portrayal of Maa Kaali… pic.twitter.com/6O4vYGkasi
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 10, 2022
स्मृतियों से भरा हुआ आयोजन
पीएम मोदी ने कहा, स्वामी आत्मस्थानंद का शताब्दी समारोह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी कई भावनाओं और स्मृतियों से भरा हुआ है। स्वामी आत्मस्थानंद जी का मुझे सदैव आशीर्वाद मिला है। ये मेरा सौभाग्य है कि आखरी पल तक मेरा उन से संपर्क रहा। पीएम मोदी ने कहा, मुझे खुशी है उनके जीवन और मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आज दो स्मृति संस्करण, चित्र जीवनी और डॉक्युमेंट्री भी रिलीज हो रही है।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत का उद्घोष करती रही संत परंपरा
पीएम मोदी ने कहा, सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उद्घोष करती रही है। रामकृष्ण मिशन की तो स्थापना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जुड़ी हुई है।आप देश के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र मिलेगा जहां विवेकानंद जी गए न हों, या उनका प्रभाव न हो। उनकी यात्राओं ने गुलामी के उस दौर में देश को उसकी पुरातन राष्ट्रीय चेतना का अहसास करवाया, उसमें नया आत्मविश्वास फूंका।