पीएम मोदी ने राज्यों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द बिजली कंपनियों के ढाई लाख करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान कर दें। मोदी ने कहा कि राज्यों सरकारों को बिजली उत्पादक (पावर जेनरेशन) कंपनियों के साथ-साथ बिजली बिजली वितरक (पावर डिस्ट्रीब्यूशन) कंपनियों का पूरा बकाया चुकाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि इस बकाए ने ऊर्जा कंपनियों को अपंग कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य इस मुद्दे को सुलझाने की जगह छिपाने की कोशिश में जुटे हैं। पीएम ने कहा कि ये राज्य इस समस्या को भविष्य पर छोड़ देना चाहते हैं, जिसकी वजह से इन राज्यों में पूरा का पूरा ऊर्जा क्षेत्र ही मुसीबत में है।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर पीएम मोदी ने राज्य सरकारों के बकाए का क्या ब्योरा दिया है? उन्हें राज्यों से बकाया चुकाने की अपील क्यों करनी पड़ी? कौन से राज्यों पर बिजली उत्पादक और बिजली वितरण कंपनियों का सबसे ज्यादा बकाया है? इसके अलावा वे कौन से राज्य हैं, जहां सब्सिडी की वजह से वितरण कंपनियों को बकाया नहीं चुकाया जा सका है?
ऊर्जा मंत्रालय का डेटा क्या कहता है?
हाल ही में ऊर्जा मंत्रालय ने भी राज्यों पर बिजली उत्पादक कंपनियों और वितरण कंपनियों के बकाए का ब्योरा जारी किया है। इस डेटा के मुताबिक, देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर वितरण कंपनियों का 1 लाख 1 हजार 442 करोड़ रुपये का बकाया है (इनमें राज्यों द्वारा वित्तपोषित बिजली कंपनियों का बकाया शामिल नहीं)। इसमें अकेले केंद्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों (CPSEs) का राज्यों पर 26 हजार 397 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा राज्य सरकारों के अलग-अलग विभागों ने बिजली कंपनियों को 62,931 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाया है। सब्सिडी की बात करें तो सामने आता है कि राज्यों ने 76 हजार 337 करोड़ रुपये का भुगतान बिजली कंपनियों को नहीं किया है। इस लिहाज से राज्यों पर बिजली उत्पादक और वितरक कंपनियों का कुल 2 लाख 40 हजार 710 करोड़ रुपये का बकाया है।
किस राज्य पर कितना बकाया?
1. बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों का (Gencos)
बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों की बात करें तो जिन राज्यों पर सबसे ज्यादा बकाया है, उनमें महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। 31 मई 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र पर बिजली उत्पादक कंपनियों का 21 हजार 565 करोड़ रुपये बकाया है। इसके बाद नंबर आता है तमिलनाडु का, जिस पर जेनकोस (जेनरेशन कंपनीज) यानी उत्पादक कंपनियों का 20 हजार 990 करोड़ रुपये का बकाया है। उधर तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है, जिस पर जेनकोस का 10 हजार 109 करोड़ का बकाया है। 7 हजार 388 करोड़ रुपये के बकाये के साथ तेलंगाना चौथे, 5 हजार 43 करोड़ रुपये के बकाया के साथ राजस्थान पांचवें और 3 हजार 698 करोड़ रुपये के साथ झारखंड छठे स्थान पर है।
2. बिजली वितरण कंपनियों का (Discoms)
दूसरी तरफ वितरक कंपनियों को बकाए की बात करें तो इसमें 11 हजार 935 करोड़ रुपये का सबसे ज्यादा बकाया तेलंगाना पर है। दूसरे स्थान पर 9131 करोड़ रुपये के बकाए के साथ महाराष्ट्र है। अगला नंबर आंध्र प्रदेश का है, जिस पर वितरक कंपनियों का 9116 करोड़ रुपये बकाया हैं। 3677 करोड़ रुपये के बकाए के साथ तमिलनाडु चौथे स्थान पर, 2612 करोड़ रुपये के बकाये के साथ पंजाब पांचवें और 1791 करोड़ रुपये के बकाए के साथ राजस्थान छठे स्थान पर है।
सरकारी विभागों पर वितरक कंपनियों का कितना बकाया?
दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से बिजली की कीमतों में जो सब्सिडी जनता को दी जाती है, उसमें भी कई राज्यों ने उत्पादक और वितरक कंपनियों को बकाया नहीं चुकाया है। इनमें पहला नंबर राजस्थान का है, जिस पर 15 हजार 597 करोड़ रुपये का बकाया है। दूसरे नंबर पर पंजाब है, जिस पर 9020 करोड़ रुपये बकाया है। तीसरे नंबर पर 3399 करोड़ रुपये के बकाए के साथ महाराष्ट्र और चौथे नंबर पर 2699 करोड़ के बकाए के साथ छत्तीसगढ़ है।
पीएम मोदी को क्यों करनी पड़ी बकाया चुकाने की अपील?
पीएम मोदी ने कहा कि लोग यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि राज्यों के ऊपर बिजली कंपनियों का एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों के विभाग और स्थानीय संस्थानों पर भी बिजली वितरण कंपनियों का 60 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है। पीएम ने कहा कि राज्यों का यह बकाया सिर्फ बिजली खपत का ही नहीं है, बल्कि उनकी तरफ से बिजली पर जो सब्सिडी दी गई है, सरकारों ने उनको तक नहीं चुकाया है। इन सब्सिडी की वजह से राज्यों पर बिजली कंपनियों का अतिरिक्त 75 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इस तरह से राज्यों पर बिजली कंपनियों का कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये के करीब बकाया है।
विस्तार
पीएम मोदी ने राज्यों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द बिजली कंपनियों के ढाई लाख करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान कर दें। मोदी ने कहा कि राज्यों सरकारों को बिजली उत्पादक (पावर जेनरेशन) कंपनियों के साथ-साथ बिजली बिजली वितरक (पावर डिस्ट्रीब्यूशन) कंपनियों का पूरा बकाया चुकाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि इस बकाए ने ऊर्जा कंपनियों को अपंग कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य इस मुद्दे को सुलझाने की जगह छिपाने की कोशिश में जुटे हैं। पीएम ने कहा कि ये राज्य इस समस्या को भविष्य पर छोड़ देना चाहते हैं, जिसकी वजह से इन राज्यों में पूरा का पूरा ऊर्जा क्षेत्र ही मुसीबत में है।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर पीएम मोदी ने राज्य सरकारों के बकाए का क्या ब्योरा दिया है? उन्हें राज्यों से बकाया चुकाने की अपील क्यों करनी पड़ी? कौन से राज्यों पर बिजली उत्पादक और बिजली वितरण कंपनियों का सबसे ज्यादा बकाया है? इसके अलावा वे कौन से राज्य हैं, जहां सब्सिडी की वजह से वितरण कंपनियों को बकाया नहीं चुकाया जा सका है?
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