वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Tue, 01 Feb 2022 09:30 AM IST
सार
हिंद महासागर क्षेत्र के देश मालदीव में दो साल पहले भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस मामले में विपक्ष के नेता व चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को घर में नजरबंद कर दिया गया था। हाल ही में यामीन की रिहाई के बाद फिर भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू होने की आशंका बढ़ गई है।
पीएम नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह (फाइल फोटो)
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विस्तार
हिंद महासागर क्षेत्र के देश मालदीव में दो साल पहले भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस मामले में विपक्ष के नेता व चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को घर में नजरबंद कर दिया गया था। हाल ही में यामीन की रिहाई के बाद फिर भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू होने की आशंका बढ़ गई है।
मालदीव की मुख्य सत्तारूढ़ पार्टी एमडीपी ऐसे प्रदर्शनों को अपराध बनाने के लिए विधेयक ला रही है, जिनसे दूसरे देशों के साथ मालदीव के संबंध खराब होने का भय हो। मालदीव्ज डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के सदस्यों को इस विधेयक का मसौदा वितरित किया गया है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार के भारत के साथ मजबूत व निकट के रिश्तों को देखते हुए यह कानून बनाया जा रहा है।
कुछ माह पहले चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति व विपक्ष के नेता अब्दुल्ला यामीन को नजरबंदी से मुक्त कर दिया गया है। ऐसे में फिर भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू होने की आशंका पैदा हो गई है। इसलिए मालदीव सरकार नया कानून बनाकर देश में किसी भी अन्य देश के खिलाफ ऐसे प्रदर्शनों को अपराध बनाने जा रही है, जिनसे दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब होने का खतरा हो। मालदीव की संसद ‘मजलिस’ का सत्र तीन फरवरी से शुरू हो रहा है। इसमें विधेयक को पेश किया जा सकता है।
विधेयक के प्रारूप में मालदीव के भारत समेत किसी भी मित्र देश के खिलाफ प्रदर्शन को अपराध मानने का प्रावधान किया गया है। प्रदर्शन करने वालों पर 20 हजार मालदीवियन रूफिया का जुर्माना, छह माह की जेल या एक साल तक घर में नजरबंद किए के प्रावधान हैं।