रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्राइवेट कंपनियों द्वारा ड्रोन निर्माण के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले साल सितंबर में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को अधिसूचित किया था।
योजना के तहत तीन वित्तीय वर्षों में 120 करोड़ रुपये का इंसेंटिव दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एक मैन्युफैक्चरर के लिए पीएलआई कुल वार्षिक आउटले का 25 फीसदी होगा। 23 पीएलआई लाभार्थियों की प्रोविजनल सूची 6 जुलाई 2022 को जारी की गई थी। इनमें 12 मैन्युफैक्चरर्स ड्रोन से जुड़े हैं, जबकि 11 ड्रोन कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ड्रोन सर्विस प्राेवाइडर्स की सर्विसेज का इस्तेमाल वैक्सीन डिलिवरी के साथ ही तेल पाइपलाइनों और बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के निरीक्षण, कृषि छिड़काव, माइंस के सर्वेक्षण व SVAMITVA योजना के तहत कर रही है। सिंह ने कहा कि ड्रोन नियम, 2021 के अनुपालन के तहत प्राइवेट प्लेयर्स डिलीवरी के मकसद के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं।
उन्होंने बताया कि 25 अगस्त 2021 को नोटिफाई हुए ड्रोन रूल्स, 2021, ड्रोन के कमर्शल इस्तेमाल के लिए जरूरी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करते हैं। इन नियमों में विभिन्न पहलुओं जैसे- टाइप सर्टिफिकेशन, ड्रोन का पंजीकरण और संचालन, हवाई क्षेत्र प्रतिबंध, ड्रोन पर रिसर्च, विकास और परीक्षण, ट्रेनिंग और लाइसेंसिंग, अपराध और दंड आदि को शामिल किया गया है।