Rajasthan: गहलोत और पायलट के बीच फिर बढ़ी खटास, क्या ये रजास्थान में चुनाव से पहले बड़े बदलाव का संकेत?


महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान में सियासी घमासान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई फिर खुलकर सामने आने लगी है। इसमें भाजपा भी कूद चुकी है। कुल मिलाकर प्रदेश की सियासत महाराष्ट्र की तरह ही गर्म होती जा रही है। कहा तो ये भी जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर होगा। 

आइये जानते हैं कि अचानक से क्यों राजस्थान में फिर से सियासी घमासान शुरू हो गया? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच का नया विवाद क्या है? भाजपा की इसमें क्या भूमिका है?    

 

विवाद समझने के लिए पहले नेताओं के ये बयान पढ़ लीजिए

राजस्थान में सियासी घमासान की शुरुआत केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के एक बयान से हुई। 19 जून 2022 को एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने 2020 में सचिन पायलट के बागी होने की बात का जिक्र किया। कहा, ‘उस समय सचिन पायलट से चूक हो गई, राजस्थान के विधायक मध्यप्रदेश जैसा फैसला नहीं ले पाए।’

शेखावत के इतना बोलते ही कांग्रेस भी सक्रिय हो गई। सचिन पायलट ने अगले ही दिन भाजपा पर पलटवार किया। कहा, ‘जनता समझ गई है, अब वह आपको चुनने की चूक नहीं करेगी और झूठे वादों में नहीं फंसेगी।’

संभव था कि पायलट के इस जवाब के बाद मामला शांत हो जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पायलट के बयान देने के पांच दिन बाद यानी 25 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस विवाद में कूद पड़े। एक सभा को संबोधित करते हुए गहलोत ने शेखावत के साथ-साथ सचिन पायलट पर भी निशाना साध दिया। 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘गजेंद्र शेखावत ने ठप्पा लगा दिया कि सरकार गिराने के षड़यंत्र में आप खुद पायलट के साथ मिले हुए थे।’ भले ही गहलोत शेखावत को जवाब दे रहे थे, लेकिन अपने बयान में उन्होंने सचिन पायलट को भी लपेट लिया था। इतना कि विवाद तूल पकड़ ले। इसके अगले दिन यानी 26 जून को राजस्थान सरकार के मंत्री शांति धारीवाल ने भी गहलोत की हां में हां मिलाई। बोले, ‘मुख्यमंत्री ने क्या गलत कहा है? हम भी ऐसा ही मानते हैं, यह तो हमने खुद ही देखा है।’

अब इस विवाद में उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम भी कूद चुके हैं। उन्होंने अशोक गहलोत के बयान को रीट्विट किया जिसमें वह यह कह रहे हैं कि यह साफ हो गया है कि गजेंद्र शेखावत सचिन पायलट के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे। 

इस वीडियो को रीट्विट करते हुए प्रमोद कृष्णम ने लिखा, ‘विष पान करने वाले ”नील कंठ” का अभिषेक ”श्रावण” मास में किया जाता है, हर हर महादेव। 

उधर, लगातार गहलोत खेमे की तरफ से हो रहे हमलों के बीच पायलट खेमे के विधायक इंदराज गुर्जर ने भी पलटवार किया। उन्होंने इशारों में मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘जमीन पर बैठा हुआ आदमी कभी नहीं गिरता, फिक्र उनको है, जो हवा में हैं।’ 

27 जून को फिर से सचिन पायलट ने गहलोत के बयान पर जवाब दिया। इसमें उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेरे पितातुल्य, मेरे बुजुर्ग हैं। उनकी कही बात का बुरा नहीं मानता। वे पहले भी मुझे निकम्मा, नालायक कह चुके हैं। मेरा फोकस तो 2023 के विधानसभा चुनाव जीतने पर है।’

 

अब जानिए चुनाव से पहले क्या हो सकता है? 

इसको लेकर हमने राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अनिल चौधरी से बात की। उन्होंने कहा, ‘अगले साल यानी 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सूबे की राजनीति में काफी कुछ नया होना है। मौजूदा समय पायलट खेमा कांग्रेस में किनारे है। आमतौर पर सचिन पायलट कोई भी विवादित बयान देने से बचते रहे हैं। 2020 में जब उन्होंने बगावत की थी, तब भी उन्होंने सीधे तौर पर गहलोत या कांग्रेस हाईकमान पर निशाना नहीं साध था। ऐसे में संभव है कि चुनाव से पहले कांग्रेस में ही उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाए। 2020 में जब वह गहलोत से नाराज चल रहे थे, तब उन्हें यही आश्वासन देकर कांग्रेस हाईकमान ने शांत कराया था। अब समय आ गया है जब सचिन को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए।’

चौधरी आगे कहते हैं, ‘हो सकता है चुनाव से पहले सचिन पायलट को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए और उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाए। उन्हें अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भी प्रोजेक्ट किया जा सकता है। हालांकि, इसकी संभावना कम ही है। दूसरे संकेत ये हैं कि अगर कांग्रेस में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिलती है तो वह फिर से बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में वह भाजपा के साथ जाना ज्यादा पसंद करेंगे। क्योंकि, उनके कई कांग्रेसी साथी जिनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद शामिल हैं वो सभी अब भाजपा में अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस से अलग होने के बाद पायलट नई पार्टी का एलान भी कर सकते हैं।’ 

 

अब तक क्या-क्या हुआ? 

राजस्थान में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस ने 100 और भाजपा ने 73 सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव के दौरान सचिन पायलट मुख्यमंत्री के बड़े दावेदार थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया। सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए।

 तभी से पायलट नाराज चल रहे थे। सरकार बनने के करीब डेढ़ साल बाद सचिन पायलट अपने 18 समर्थक विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गए। तब कहा जा रहा था कि जल्द ही पायलट और उनके समर्थक विधायक सरकार गिरा देंगे। हालांकि, तब कांग्रेस हाईकमान ने पूरा मामला संभाल लिया। 

पूरे राजनीतिक ड्रामे के चलते सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद से हाथ धोना पड़ा था। तब से अब तक अलग-अलग मौकों पर अशोक गहलोत और उनके समर्थक सचिन पायलट पर तंज कसते रहते हैं।



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