Rajasthan: ‘जुमलाजीवी’ असंसदीय शब्द में शामिल, डोटासरा का कटाक्ष- इससे ‘महामानुष’ का मूड बिगड़ रहा है


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राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय करार देने पर भाजपा पर जुबानी हमला बोला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय शब्द में शामिल किया गया है क्योंकि संसद में विपक्ष की ओर से जनता के मुद्दे उठाने पर ‘महामानुष’ का मूड बिगड़ रहा है।

लोकसभा सचिवालय की ओर से प्रकाशित एक बुकलेट में ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय शब्द की कैटेगरी में रखा गया है। इसी को लेकर डोटासरा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों को ‘आंदोलनजीवी’ और ‘खालिस्तानी’ कहा गया। यहां तक की नौकरी देने के बजाय जुमले दिए गए। तब कुछ गलत नहीं था। अब इन्हें ‘जुमलाजीवी’ असंसदीय लग रहा है। सीधा कहो कि महामानुष’ का मूड संसद में विपक्ष के सार्वजनिक मुद्दों को सवाल उठाने से खराब है। 

डोटासरा ने ट्वीट कर लिखा कि अन्नदाता को आंदोलनजीवी और खालिस्तानी बोला गया। पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का झुनझुना, नौकरी के नाम पर जुमले दिए, तब कुछ नहीं लेकिन अब आपको जुमलाबाजी अखर रहा है। असंसदीय लग रहा है। वाह रे पाखंड!

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि संसद में किसी भी शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन प्रासंगिक आधार पर इसे हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सदस्य सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय करार देने पर भाजपा पर जुबानी हमला बोला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय शब्द में शामिल किया गया है क्योंकि संसद में विपक्ष की ओर से जनता के मुद्दे उठाने पर ‘महामानुष’ का मूड बिगड़ रहा है।

लोकसभा सचिवालय की ओर से प्रकाशित एक बुकलेट में ‘जुमलाजीवी’ शब्द को असंसदीय शब्द की कैटेगरी में रखा गया है। इसी को लेकर डोटासरा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों को ‘आंदोलनजीवी’ और ‘खालिस्तानी’ कहा गया। यहां तक की नौकरी देने के बजाय जुमले दिए गए। तब कुछ गलत नहीं था। अब इन्हें ‘जुमलाजीवी’ असंसदीय लग रहा है। सीधा कहो कि महामानुष’ का मूड संसद में विपक्ष के सार्वजनिक मुद्दों को सवाल उठाने से खराब है। 

डोटासरा ने ट्वीट कर लिखा कि अन्नदाता को आंदोलनजीवी और खालिस्तानी बोला गया। पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का झुनझुना, नौकरी के नाम पर जुमले दिए, तब कुछ नहीं लेकिन अब आपको जुमलाबाजी अखर रहा है। असंसदीय लग रहा है। वाह रे पाखंड!

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि संसद में किसी भी शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन प्रासंगिक आधार पर इसे हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सदस्य सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।



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