पीटीआई, दिल्ली
Published by: विमल शर्मा
Updated Sun, 13 Feb 2022 05:34 PM IST
सार
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जम्मू कश्मीर प्रशासन से 31 अक्टूबर 2019 से पहले मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े के केसों और लंबित शिकायतों के बारे में पूछा था। इसका विस्तृत जवाब जवाब सरकार ने दिया है।
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विस्तार
जम्मू कश्मीर सरकार ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद मानवाधिकार आयोग खुद ही भंग हो गया है। इससे जुड़े दस्तावेज श्रीनगर स्थित पूर्ववर्ती विधानसभा परिसर के एक कमरे में बंद हैं। फिलहाल सरकार के पास मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े दस्तावेज मौजूद नहीं हैं।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत वेंकटेश नायक ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से 31 अक्टूबर 2019 से पहले मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े के केसों और लंबित शिकायतों के बारे में पूछा था। इसका जबाव देते हुए प्रशासन ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
इसके परिणामस्वरूप राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य सूचना आयोग जैसे स्वायत्त निकाय केंद्रीय कानून लागू होते से स्वत: समाप्त हो गए थे। इसलिए उसके पास इस मामले के रिकॉर्ड से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। प्रशासन ने बताया है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू और कश्मीर मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1997 (राज्य अधिनियम) को निरस्त कर दिया गया था।
इस अधिनियम के चलते राज्य मानवाधिकार आयोग भी भंग हो गया था। इससे जुड़े दस्तावेज एक कमरे में बंद हैं। आयोग के कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित किया गया है। आयोग का रिकॉर्ड औपचारिक रूप से कानून, न्याय और संसदीय मामले विभाग को सौंपे नहीं गए हैं।