4 राज्यों में वापसी, राज्यसभा में भी संख्या 100 के पार, क्या अब भारतीय राजनीति में भाजपा के अच्छे दिन आ गए?


ममता त्रिपाठी

नई दिल्ली: राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के अच्छे दिन चल रहे हैं. ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा. उत्तर प्रदेश में 37 सालों बाद दोबारा सत्ता में बैठने वाली भाजपा ने राज्यसभा में 100 सीटों का आंकड़ा भी पार कर लिया है. भगवा पार्टी के सदस्यों की संख्या 101 हो गई है. 1990 के बाद किसी राजनीतिक दल ने ये आंकड़ा छुआ है. इसके पहले 1989 में कांग्रेस पार्टी के पास 108 सांसद हुआ करते थे. लेकिन राज्यों में मंडल कमीशन के बाद क्षेत्रीय पार्टियों के उद्भव से राज्यों में सत्ता छिनने लगी और गठबंधन युग की शुरुआत कांग्रेस के संख्या बल में गिरावट होती गई.

भाजपा की राज्यसभा में ये सेंचुरी बहुमत से भले ही कम हो, मगर पार्टी को इससे काफी मजबूती मिलेगी और अपने दम पर किसी भी विधेयक को पारित कराना आसान हो जाएगा. आपको बता दें कि केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी की जब पहली बार सरकार बनी थी, उस वक्त भाजपा के सदस्यों की संख्या 48 थी. 2017 में भाजपा राज्यसभा में नंबर के मामले में पहले स्थान पर थी 57 सांसदों के साथ, उसके बाद भी किसी विधेयक का पास करना टेढ़ी खीर थी. क्योंकि विपक्षी दल संख्याबल के हिसाब से ज्यादा ताकतवर थे.

असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिश्व सरमा ने ट्वीट करते हुए कहा भी है कि “असम ने एनडीए के दो उम्मीदवारों को चुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना विश्वास जताया है. विजेताओं को मेरी बधाई.” गौरतलब है कि किसी भी बड़े विधेयक या अध्यादेश को पास कराते वक्त सदन में मौजूद सांसदों की संख्या 200 के करीब ही रही है, चाहे आर्टिकल 370 को रद्द करते वक्त की बात करें, कृषि कानून या तीन तलाक हर बार इतने ही सदस्य मौजूद रहे हैं, जबकि सदन में सांसदों की संख्या 245 है. जाहिर है ऐसे हालात में भाजपा के अनुकूल माहौल रहेगा.

दरअसल, राज्यसभा की 13 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव हुए थे, जिसमें पंजाब में आम आदमी पार्टी ने पांचों सीट पर कब्जा कर लिया है. इसके साथ ही असम, त्रिपुरा और नागालैंड की सीटें भाजपा के पास आईं. इन आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के बाद से भाजपा ने लोकसभा का 2014-2019 का चुनाव जीता और उच्च सदन में भी ये ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है.

2019 के बाद हालात तेजी से बदले और राज्यसभा में भाजपा सांसदों की संख्या 80 हो गई थी. मगर फिर भी अन्य दलों के सहयोग के बिना किसी भी विधेयक को पारित कराना भाजपा के लिए मुश्किल ही था. वैसे भी बीजू जनता दल, वाइएसआरसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसे दल भी हैं जो खुद को किसी भी राजनीतिक खेमे से दूर रखते हैं. ऐसी स्थिति में ये सेंचुरी भाजपा के लिए संसदीय काम काज के स्तर पर एक राहत भरी सांस की तरह है.

हालांकि आने वाले दिनों में भाजपा की इस अजेय बढ़त पर ब्रेक लग सकता है क्योंकि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड में राज्यसभा की 52 सीटों पर चुनाव होना है. इन सभी प्रदेशों में विपक्षी दल सत्ता में हैं. हालांकि भाजपा को उत्तर प्रदेश से थोड़ी राहत जरूर मिल सकती है. उत्तर प्रदेश में 11 राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होना है और ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा में मिली शानदार जीत और 274 विधायकों के संख्या बल के आधार पर भारतीय जनता पार्टी नौ सीटों पर आसानी से जीत हासिल कर सकती है. आपको बता दें कि राज्यसभा से रिटायर हो रहे 11 सांसदों में से पांच भारतीय जनता पार्टी के हैं.

Tags: Amit shah, Pm narendra modi, Yogi Adityananth



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