इसका प्रदर्शन करने के लिए रिसर्चर्स ने उस खास न्यूरॉन को चुना, जिसकी वजह से कीड़े अपने पंख को फैलाते हैं। रिसर्चर्स ने पाया कि यह पिछली तकनीक की तुलना में 50 गुना तेजी से न्यूरल सर्किट को एक्टिवेट करने में सक्षम था। रिसर्चर्स ने कहा कि इस शोध से न्यूरोटेक्नोलोजी को काफी मदद मिलेगी, क्योंकि इसका इस्तेमाल बीमारियों के इलाज से लेकर कई और चीजों को डेवलप करने में किया जा सकता है।
राइस यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर जैकब रॉबिन्सन ने कहा कि मस्तिष्क का अध्ययन करने या तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज के लिए वैज्ञानिक कम्युनिटी ऐसे टूल्स की तलाश कर रही है जो सटीक हों। उन्होंने कहा कि मैग्निेटिक फील्ड्स के साथ न्यूरल सर्किट के कुछ हिस्से को रिमोट कंट्रोल करना न्यूरोटेक्नोलोजी के लिए फायदेमंद है।
इस मुकाम को हासिल करने के लिए रिसर्च टीम ने जेनेटिक इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट को रिसर्च से जोड़ा। उन्होंने कहा कि उनका मकसद इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करके दृष्टिबाधित मरीजों को कुछ दृष्टि बहाल करना है।
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