चारा घोटाले में लालू यादव को सजा: 5 मामलों में साढ़े तीन साल से सात साल तक की सजा, 2017 में दोषी ठहराए जाने के बाद से 31 महीने अस्पताल में गुजरे


सार

इस घोटाले में चौंकाने वाले कई तथ्य मिले। पशुओं को फर्जी तरीके से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर ढोने की बात भी सामने आई। 

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के पांचवें और आखरी मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है। रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एसके शशि ने यह फैसला सुनाया है। लालू यादव पर 60 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 15 फरवरी को लालू यादव समेत 75 आरोपियों को 15 फरवरी को दोषी करार दिया गया था और 24 को रिहा कर दिया गया था। इनमें से 36 को तीन-तीन साल की सजा मुकर्रर की जा चुकी है।

क्या है चारा घोटाला
950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में सरकारी खजाने से धोखाधड़ी करके सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। चारा घोटाला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया। सीबीआई ने जून 1997 में लालू यादव को एक आरोपी के रूप में नामित किया। सीबीआई ने लालू यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए।

किन अन्य मामलों में पहले मिल चुकी है सजा
सोमवार को सुनाई गई सजा से पहले 74 वर्षीय लालू यादव को इससे पहले भी इसी घोटाले के चार अन्य मामलों में सजा मिल चुकी है। इन सभी सजाओं को जोड़ने पर चारा घोटाला के चार मामलों (दुमका, देवघर और चाईबासा) में लालू को कुल साढ़े 27 साल की सजा हो चुकी है। पांचवें मामले की पांच साल की सजा जोड़ दें तो अब तक उन्हें कुल सजा साढ़े 32 साल की सुनाई जा चुकी है। 
मामला कहां से शुरू हुआ?
पटना हाईकोर्ट की निगरानी में  सीबीआई ने 1996 में चारा घोटाले की जांच शुरू की।

25 जुलाई 1997 को विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया और वे मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर हुए।

इसी जांच से 30 जुलाई 1997 को लालू यादव के पटना की विशेष अदालत में सरेंडर करने और पहली बार जेल जाने की कहानी शुरू हुई।

किन मामलों में हो चुकी है लालू यादव को सजा

पहला मामला:
चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37.7 करोड़ रुपये की निकासी का था। चारा घोटाले के इस पहले मामले में उन्हें पांच साल की सजा हुई और 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया।

दूसरा मामला:
चारा घोटाले से जुड़ा दूसरा मामला देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी का था। जिसमें लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा हुई और पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया।
तीसरा मामला:
तीसरा मामला चाईबासा कोषागार से 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का था। चारा घोटाले के इस तीसरे मामले में राजद अध्यक्ष को पांच साल की सजा मिली और उनपर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था।

चौथा मामला:
चारा घोटाला का चौथा मामला दुमका कोषागार से अवैध तौर पर निकाले गए 3.13 करोड़ रुपये का था। इसमें लालू को दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा मिली और 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया।

लालू यादव को कब-कब जेल जाना पड़ा 
लालू यादव को पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना पड़ा था। वे कुल 135 दिन जेल में रहे। 

28 अक्टूबर 1998 को दूसरी बार  वे 73 दिनों के लिए जेल पहुंचे।

पांच अप्रैल 2000 को तीसरी बार जेल गए लेकिन 11 दिनों बाद उन्हें जमानत मिल गई।
इसी बीच 2000 के ही 28 नवंबर को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक दिन के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।

तीन अक्टूबर 2013 को चारा घोटाला के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें 70 दिनों तक रांची के जेल में सजा काटनी पड़ी।

23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में सजा होने के बाद वे फिर जेल गए तो लंबे समय बाद 17 अप्रैल 2021 को जमानत मिली।

15 फरवरी 2022 को चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद फिर जेल में हैं।

स्वास्थ्य कारणों से लालू को पहले जेल और फिर अस्पताल भेजा गया
जेल से ज्यादा अस्पताल में रहे 
हालांकि स्वास्थ्य कारणों से 2017 में दोषी ठहराए जाने के बाद से लालू यादव 31 महीने अस्पताल में और आठ महीने जेल में बिता चुके हैं। 2017 के बाद से उनकी सजा का ज्यादातर हिस्सा रांची के सरकारी मेडिकल कॉलेज राजेंद्र इस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) और दिल्ली के ऑल इंडिया मेडिकल साइंस (एम्स) में बीता। उन्हें रिम्स में अगस्त 2018 को शिफ्ट किया गया था और वे जनवरी 2021 वहां रहे। उसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स लाया गया। बीते साल अप्रैल में झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद एम्स से बाहर निकले। 

किन बीमारियों से पीड़ित हैं?
बताया जाता है कि लालू यादव डायबिटीज, ब्लड प्रेशर,हृदय रोग और किडनी की बीमारी समेत कम से एक दर्जन से अधिक बीमारियों से पीड़ित है। लालू यादव का इलाज कर रहे डॉक्टर उमेश प्रसाद ने पिछले दिसंबर में ही जानकारी दी थी कि उनकी किडनी सिर्फ 25 फीसदी ही काम कर रही है। उन्हें कभी भी डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में जेल की सजा काटना लालू यादव के लिए बहुत कष्टदायक माना जा रहा है। 

जेल मैन्युअल के उल्लंघन का आरोप
हालांकि लालू यादव पर अक्सर जेल मैन्युअल के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। कहा जाता है कि जेल में भी उनसे मिलने वालों का तांता लगा रहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय लालू यादव ने रिम्स में रहते हुए चुनाव के लिए टिकट बंटवारे की बैठकें की और सारे फैसले लिए। इस दौरान टिकट के इच्छुक लोगों की उनसे मिलने की रिपोर्ट्स लगातार आती रही।
 

विस्तार

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के पांचवें और आखरी मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है। रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एसके शशि ने यह फैसला सुनाया है। लालू यादव पर 60 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 15 फरवरी को लालू यादव समेत 75 आरोपियों को 15 फरवरी को दोषी करार दिया गया था और 24 को रिहा कर दिया गया था। इनमें से 36 को तीन-तीन साल की सजा मुकर्रर की जा चुकी है।

क्या है चारा घोटाला

950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में सरकारी खजाने से धोखाधड़ी करके सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। चारा घोटाला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया। सीबीआई ने जून 1997 में लालू यादव को एक आरोपी के रूप में नामित किया। सीबीआई ने लालू यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए।

किन अन्य मामलों में पहले मिल चुकी है सजा

सोमवार को सुनाई गई सजा से पहले 74 वर्षीय लालू यादव को इससे पहले भी इसी घोटाले के चार अन्य मामलों में सजा मिल चुकी है। इन सभी सजाओं को जोड़ने पर चारा घोटाला के चार मामलों (दुमका, देवघर और चाईबासा) में लालू को कुल साढ़े 27 साल की सजा हो चुकी है। पांचवें मामले की पांच साल की सजा जोड़ दें तो अब तक उन्हें कुल सजा साढ़े 32 साल की सुनाई जा चुकी है। 



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