‘गंगूबाई’ से पहले कई बार रिजेक्ट हुए थे शांतनु माहेश्वरी, आलिया भट्ट के बारे में बताई ये दिलचस्प बात


डांस की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराने और छोटे पर्दे पर दिल दोस्ती डांस के स्वयम शेखावत के रूप में दिल जीतने वाले शांतनु माहेश्वरी ने फिल्म गंगूबाई से बड़े पर्दे पर बड़ी छलांग मारी है। संजय लीला भंसाली की इस बहुचर्चित फिल्म में आलिया भट्ट के साथ रोमांस करने वाले शांतनु से हमने की खास बातचीत:

गंगूबाई जैसी बड़ी फिल्म से डेब्यू करना किसी भी कलाकार के लिए बड़ी बात है। आपको ये रोल कैसे मिला? और पहली बार संजय लीला भंसाली से मिलने, फिर उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
वैसे तो मुझे ऑडिशन के लिए कॉल आया था, पर हाल ही में मुझे पता चला कि सर (संजय लीला भंसाली) की मॉम ने मुझे किसी शो में देखा था और उन्होंने सर को बोला कि इस लड़के में कुछ है। इसे देखो, तो ये बैकस्टोरी है, पर मुझे ऑडिशन का कॉल आया था। मैंने ऑडिशन दिए, शॉर्टलिस्ट हुआ, लुक टेस्ट हुआ और रोल मिला। फिर सर के साथ मीटिंग हुई। मैं सर के सामने बैठा था और वह मुझसे कुछ पूछ रहे थे और ऑब्जर्व कर रहे थे। उस वक्त मैं बहुत ज्यादा नर्वस था, लेकिन मैं उस पल में इतना डूबा हुआ था कि मैं देश के सबसे बेहतरीन डायरेक्टर के साथ बैठा हुआ हूं। उनसे बात कर रहा हूं। बाकी, सर के साथ काम करने में तो मुझे बहुत मजा आया। बहुत कुछ सीखने को मिला। कुछ चीजें तो ऐसी सीखने को मिलीं, जो शब्दों में नहीं बताई जा सकती हैं। जैसे वह सोचते हैं, जो उनका काम करने का स्टाइल है, हर छोटी से छोटी चीज को लेकर उनमें गजब का जुनून है। उनको देखकर आपका भी मन करता है कि आपना बेस्ट निकालकर दो।

संजय लीला भंसाली काफी मुश्किल डायरेक्टर माने जाते हैं, क्यों कि वे परफेक्शनिस्ट हैं, तो शूटिंग के दौरान आप कितने डरे हुए थे? ऐसा कोई वाकया हुआ?


मैं पहले बहुत नर्वस था, क्योंकि मैंने भी काफी सुना था कि वे ऐसे हैं, वैसे हैं। ये मत करना, वो मत करना, मगर मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ कि मुझे डरना पड़े। मैं नर्वस जरूर था, पर ऐसा कोई डर नहीं लगा कि वो मार देंगे या कुछ कर देंगे। अगर आप उनका पैशन लेवल समझ जाते हैं, तो ऐसा नहीं है कि वो जबरदस्ती चिल्लाते रहते हैं। वह बहुत प्यार से समझाते हैं। बहुत हंसमुख हैं। जोक्स भी मारते रहते हैं, तो एक अच्छा फैमिली वाला माहौल क्रिएट करते हैं, लेकिन हां, जब काम की बात आती है, तो वो अपने काम के लिए बेहद जुनूनी हैं और आपसे भी बेहतरीन काम की उम्मीद करते हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है।

फिल्म में जिस तरह अफशान गंगूबाई के प्रति मंत्रमुग्ध होता है, कमोबेश कुछ वैसा ही अहसास आपके मन में भी आलिया भट्ट के लिए रहा होगा। फिल्म में आपका आलिया के साथ रोमांटिक ट्रैक है। उस दौरान कुछ घबराहट थी?


ऐसा नहीं है (हंसते हुए), हां, मैं उनके एफर्टलेस परफॉर्मेंस को देखकर मंत्रमुग्ध था, क्योंकि वह गंगूबाई के तौर पर इतनी सहज थीं। जब साड़ी पहनकर आती थीं, तो बिल्कुल भी नहीं लगता था कि वो आलिया भट्ट हैं। वह अपने किरदार में एकदम परफेक्ट थीं, तो उनके साथ काम करके मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। जिस तरह से वह ऐक्टिंग करती हैं, अपने सीन अप्रोच करती हैं। पर्सनल लेवल पर वह कोशिश करती हैं कि उनके जो कोस्टार हैं, वे कंफर्टेबल हों, ताकि वे बेझिझक अपना सौ फीसदी दे सकें। तभी वह खुद भी अच्छा परफॉर्म करेंगी और पूरी फिल्म अच्छी दिखेगी, तो वह एक टीम प्लेयर हैं। बहुत ही प्यारी और मेहनती इंसान है। उनका रवैया इतना दोस्ताना है कि कभी कोई घबराहट नहीं हुई।

कोविड महामारी के चलते फिल्म काफी लेट हुई। सेट टूटा, रिलीज डेट टली। जबकि, आपकी ये पहली फिल्म थी, उस दौरान आपकी क्या मनोदशा थी? कितनी टेंशन रहती थी?


मैं बहुत ज्यादा फिक्रमंद था, क्योंकि नहीं समझ में आ रहा था कि क्या हो रहा है। पहले तो ये कोविड महामारी नहीं समझ में आ रही थी। आपको कोविड से भी बचना है, उस पर एक चाहत थी कि मुझे काम करना है। ये बहुत बड़ा मौका था मेरे लिए और कुछ न कुछ पता चलता रहता था। जैसे, बीच में तूफान आया था, तो भी पता चला कि सेट का कुछ हिस्सा टूट गया है, तो उससे भी देरी होने वाली है। इस देरी में कुछ भी हो सकता है। इतना बड़ा सेट लगा हुआ है, उसका किराया लगता है, तो एक डर बना रहता था कि फिल्म का भविष्य क्या होगा? बनेगी या नहीं बनेगी? ये मेरी पहली फिल्म होगी या नहीं? लेकिन एक उम्मीद भी थी कि अगर इतने वक्त के बाद एक बड़ा मौका मिला है, तो कुछ तो होगा। देरी हो भी रही है, तो शायद अभी ये सही समय न हो। जब रिलीज होगी तभी सही समय होगा और अब फिल्म को जो प्यार मिला है, उसे देखकर लगता है कि चलो, देर आए दुरुस्त आए।

आपने इस फिल्म से पहले कई बार रिजेक्शन भी सहा है। आपने कहा था कि इसके ऑडिशन के बाद भी आपको लग रहा था कि आप सिलेक्ट नहीं होंगे? बहुत से लोग रिजेक्शन नहीं झेल पाते, आपने इससे कैसे डील किया?


मेरा मानना है कि जिंदगी में रिजेक्शन झेलना बहुत जरूरी है। अगर हर चीज आपको थाली में सजाकर मिलेगी, अगर आप कभी रिजेक्शन का सामना नहीं करेंगे, तो आप मजबूत नहीं बनेंगे। रिजेक्शन आपको मजबूत बनाता है। एक कहावत है कि ‘नो ग्राइंड, नो ग्लोरी, नो स्टोरी’ यानी आप पिसेंगे नहीं, तो आपकी कोई कहानी नहीं होगी। आपने काला नहीं देखा, तो सफेद की अहमियत कैसे समझेंगे? तो रिजेक्शन आपको बहुत कुछ सिखाता है। इसे डील करने के लिए जरूरी है कि आपका फ्रेंड सर्कल अच्छा हो, पॉजिटिव लोग हों आपके आस पास, तो थोड़ा आसान हो जाता है। मैंने अपनी सोच हमेशा पॉजिटिव रखी कि ठीक है, अगर नहीं हुआ, तो शायद ये मेरे लिए नहीं था। मेरे लिए कुछ और अच्छा होगा। इसके अलावा, एक और चीज समझना बहुत जरूरी है कि हर बार आपका रिजेक्शन आपकी ऐक्टिंग के ही आधार पर नहीं होता। कई बार ये भी होता है कि आपने बहुत अच्छा ऑडिशन दिया है, लेकिन आप उस रोल में सही नहीं बैठ रहे हैं, तो आपको हर चीज दिल पर नहीं लेनी चाहिए। खुद पर भी भरोसा रखना चाहिए।



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