मानसून की बेरुखी से 17 फीसदी कम हुई धान की बुवाई, क्‍या गेहूं की तरह चावल भी होगा महंगा?


हाइलाइट्स

15 जुलाई तक देश में 128.50 लाख हेक्‍टेयर में ही चावल की बुआई हुई थी.
सरकारी गोदामों में 1 जुलाई तक 47.2 मिलियन टन चावल पड़ा था.
देश के कुल खाद्यान उत्‍पादन में चावल की हिस्‍सेदारी 40 फीसदी है.

नई दिल्‍ली. मॉनसून (Monsoon) की ताजा बारिश ने खरीफ फसलों की बुआई को गति प्रदान की है. हाल के दिनों में हुई बारिश की वजह से खरीफ फसलों का बुआई क्षेत्र पिछले साल के आंकड़े को पार गया है. लेकिन, देश के प्रमुख चावल उत्‍पादक क्षेत्रों में कम बारिश होने से चावल की बुआई (Rice) इस बार अब तक पिछड़ चुकी है. 15 जुलाई तक देश में 128.50 लाख हेक्‍टेयर में ही चावल की बुआई हुई थी. यह पिछले साल हुई 155.53 लाख हेक्‍टेयर से 17.4 फीसदी कम है.

देश में कम बुआई होने से चावल की कमी की आशंका जताई जाने लगी है. लेकिन, कृषि विशेषज्ञों और बाजार जानकारों का कहना है कि चावल की कम बुआई से ज्‍यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. देश में चावल का पर्याप्‍त भंडार है और अभी बुआई सीजन भी समाप्‍त नहीं हुआ है. देश में मानसून अभी सक्रिय है और आने वाले समय में प्रमुख चावल उत्‍पादक क्षेत्रों में भी अच्‍छी बारिश की संभावना मौसम विभाग ने जताई है. इससे बुआई क्षेत्र बढ़ेगा.

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भरे हुए हैं भंडार
इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सरकारी गोदामों में 1 जुलाई तक 47.2 मिलियन टन चावल पड़ा था. यह कुल वार्षिक जरूरत से साढ़े तीन गुना ज्‍यादा है. चावल का स्‍टॉक पिछले साल के उच्‍चतम स्‍तर के लगभग करीब ही है. लेकिन, जिस तरह से एक सीजन ही उत्‍पादन कम होने पर देश में गेहूं के स्‍टॉक में गिरावट आई है, उसे देखते हुए बाजार जानकार चावल के बुआई क्षेत्र में कमी को अच्‍छा संकेत नहीं मान रहे हैं. 2022 में लू के कारण देश में गेहूं का उत्‍पादन कम होने से देश का गेहूं भंडार ऑल टाइम हाई से सीधे 14 साल के न्‍यूनतम स्‍तर पर आ गया था.

मुख्‍य फसल है चावल
भारत की खेती में चावल का प्रमुख स्‍थान है. देश के कुल खाद्यान में चावल की हिस्‍सेदारी 40 फीसदी है. यही नहीं भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक भी है. मार्च 2022 को समाप्‍त हुए वित्‍त वर्ष में भारत ने 21.21 मिट्रिक टन चावल का निर्यात किया था. लेकिन अगर किसी भी वजह से देश में चावल की कमी होती है और आयात करना पड़ता है तो भारत के लिए काफी मुश्किल हो जाएगी. इसका कारण है यह है कि वैश्विक चावल व्‍यापार में भारत की हिस्‍सेदारी 40 फीसदी है. इसलिए कमी होने पर चावल आयात करना भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा.

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क्‍यों पिछड़ी बुआई?
देश में इस बार मॉनसून अब तक अच्‍छा ही रहा है. लेकिन, उत्‍तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बहुत से क्षेत्रों में बहुत कम बारिश हुई है. पश्चिमी यूपी में अभी सामान्‍य से 55.5 फीसदी कम, पूर्वी यूपी में 70 फीसदी, बिहार में 45.8 और पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानों में 45.1 फीसदी कम बारिश हुई है. कम बारिश के कारण यूपी में किसानों ने 15 जुलाई तक केवल 26.98 लाख हेक्‍टेयर में ही धान की रोपाई की है. पिछले साल इस अवधि में 35.29 लाख हेक्‍टेयर में बुआई कर दी थी. इसी तरह बिहार में 8.77 लाख हेक्‍टेयर में, पश्चिम बंगाल में 4.68 लाख हेक्‍टेयर में और झारखंड में 2.93 लाख हेक्‍टेयर में ही धान  की बुआई हो सकी है.

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कितनी गंभीर है स्थिति?
भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि देश में मॉनसून अभी सक्रिय है और आने वाले समय में देश के अन्‍य भागों के अलावा गंगा के मैदानों में भी अच्‍छी बारिश होने की संभावना है. इससे चावल बुआई का रकबा बढ़ेगा. दूसरा, चावल देश के बहुत बड़े भू-भाग पर उगाया जाता है. साथ ही इसकी खेती खरीफ और रबी, दोनों सीजन में होती है. इसलिए फिलहाल देश में चावल को लेकर ज्‍यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. क्‍योंकि, अगर एक क्षेत्र या सीजन में चावल का कम उत्‍पादन होता है तो उसकी भरपाई अन्‍य क्षेत्र या अगले सीजन से हो सकती है.

Tags: Business news in hindi, Inflation, Monsoon, Rice, Wheat crop

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