Stock Market : सेंसेक्स ने गंवाई शुरुआती बढ़त, 100 अंकों की गिरावट के साथ 53,134 पर हुआ बंद


नई दिल्ली. कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन बाजार में अच्छी शुरुआती तेजी देखने को मिली. हालांकि, दिन का बिजनेस खत्म होते-होते मार्केट द्वारा बनाई गई बढ़त पूरी तरह खत्म हो गई. इसके साथ ही मगंलवार को शेयर बाजार लाल निशान पर बंद हुआ.

आज के कारोबार में लगभग सभी सेक्टर्स का रुख मिला-जुला ही रहा. मेटल, आईटी, फॉर्मा व एफएमसीजी समेत अन्य सभी शेयर दबाव में दिखे. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 100.42 अंक यानी 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 53,134.35 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी -24.50 अंक यानी 0.15 फीसदी की मजबूती के साथ 15,810.85 के स्तर पर बंद हुआ.

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टॉप गेनर और लूजर
निफ्टी 50 पर आज के कारोबार में हिंडाल्को, पावरग्रिड, श्रीराम सीमेंट, ओएनजीसी बजाज फिनसर्व टॉप गेनर रहे. वहीं, आईटीसी, एचडीएफसी लाइफ, विप्रो, बीपीसीएल व ब्रिटानिया टॉप लूजर रहे.

सोमवार को हरे निशान के साथ बंद हुआ था शेयर बाजार
पिछले सत्र में यानी सोमवार को कारोबार के अंत में सेंसेक्स 326.84 अंक यानी 0.62 फीसदी की बढ़त के साथ 52,234.77 के स्तर पर बंद हुआ था. वहीं, निफ्टी 83.30 अंक यानी 0.53 फीसदी की मजबूती के साथ 15,835.35 के स्तर पर बंद हुआ.

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विदेशी निवेशकों की बंपर निकासी
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला थम ही नहीं रहा है. जून में 56 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की रकम निकालने के बाद अब जुलाई में भी लगातार निकासी चल रही है. पिछले कारोबारी सत्र में विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने 2,149.56 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाल लिए. हालांकि, इसी दौरान घरेलू संस्‍थागत निवेशकों ने 1,688.39 करोड़ रुपये की निकासी बाजार से की, जिससे बढ़त हासिल हो सकी.

भारत नहीं रहा 5वीं से बड़ी अर्थव्यवस्था
कोरोना महामारी के झटकों से उबर रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को तेज सुधारों के बावजूद 5वीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाले देश का ओहदा गंवाना पड़ा है. विश्‍व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब ब्रिटेन दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन गया है. बिजनेस स्‍टैंडर्ड ने वर्ल्‍ड बैंक के हवाले से बताया कि वैसे तो ब्रिटेन से भारत महज 13 अरब डॉलर पीछे है लेकिन आर्थिक वृद्धि में वह ब्रिटेन से कहीं आगे है. एक्‍सपर्ट का कहना है क‍ि यह सिर्फ एक साल की बात है और भारत फिर ब्रिटेन को पीछे छोड़ देगा. वास्‍तविक टर्म में देखा जाए तो दोनों की जीडीपी के आकार में कोई अंतर नहीं है, लेकिन यह रिपोर्ट साल 2021 पर आधारित है, जबकि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था वित्‍तवर्ष यानी 2021-22 के हिसाब से चलती है.

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