पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मौत का खतरा ज्यादा – स्टडी


Women more likely to Die after Heart Attack than Men : एक नई स्टडी से पता चला है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को जीवन रक्षक उपचार (Life Saving Treatment) मिलने की संभावना कम होती है. इस स्टडी का निष्कर्ष यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (European Society of Cardiology) के साइंटिफिक कांग्रेस ईएससी एक्यूट कार्डियोवैस्कुलर केयर 2022 (ESC Acute Cardiovascular Care 2022) में प्रस्तुत किया गया. डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (Copenhagen University Hospital) से जुड़ी स्टडी की ऑथर डॉ. सारा होले (Dr Sarah Holle ) के अनुसार, हमारी स्टडी में महिलाओं व पुरुषों में दिल का दौरा पड़ने के बाद कार्डियोजेनिक शॉक (cardiogenic shock) के समान क्लिनिकल लक्षण पाए गए. हालांकि, निष्कर्ष बताते हैं कि डॉक्टर महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने व कार्डियोजेनिक शॉक विकसित होने की आशंका के प्रति अधिक जागरूक है और ये समान प्रबंधन व परिणामों की दिशा में अहम कदम हो सकता है.

आपको बता दें कि कार्डियोजेनिक शॉक वो अवस्था है, जिसमें दिल विभिन्न अंगों में ब्लड का समुचित संचार नहीं कर पाता. स्टडी में 2010 और 2017 के बीच डेनमार्क की दो-तिहाई आबादी के लिए कार्डियोजेनिक शॉक देखभाल प्रदान करने वाले दो अति विशिष्ट केंद्रों में भर्ती हुए सभी वयस्कों को शामिल किया गया था. इसके अलावा रोगी की विशेषताओं, ट्रीटमेंट और 30-दिवसीय मृत्यु दर पर डेटा मेडिकल रिकॉर्ड से निकाला गया था. डेनिश नेशनल पेशेंट्स रजिस्ट्री से दीर्घकालिक मृत्यु दर डेटा (Long-term mortality data ) प्राप्त किया गया था.

यह भी पढ़ें-
Tips to Prevent Diarrhea: गर्मी में डायरिया से हो ना जाए डिहाइड्रेशन, यूं करें इस रोग से बचाव

कैस हुई स्टडी
इस दौरान कार्डियोजेनिक शॉक वाले कुल 1716 मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिनमें 438 यानी 26% महिलाएं थीं. पाया गया कि दिल का दौर पड़ने के 30 दिनों बाद 50 प्रतिशत पुरुष जिंदा बचे, जबकि 38% महिलाएं मौत को मात दे सकीं. साढ़े आठ साल बाद 27% महिलाएं जिंदा थीं, जबकि 39 प्रतिशत पुरुष जीवित बचे.

यह भी पढ़ें- 
Body Parts Hygiene Tips: गर्मी में शरीर के इन तीन अंगों को हर दिन करें साफ, नहीं होगा इंफेक्शन

क्या कहते हैं जानकार
डॉ. होले ने कहा, “इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि पुरुषों की तुलना में तीव्र हृदय समस्याओं (acute heart problems) वाली महिलाओं में सांस की तकलीफ, मतली, उल्टी, खांसी, थकान और पीठ, जबड़े या गर्दन में दर्द जैसे गैर-विशिष्ट लक्षण (non-specific symptoms) होने की संभावना अधिक होती है. ये एक कारण हो सकता है कि हमारी स्टडी में पुरुषों की तुलना में ज्यादातर महिलाओं को शुरू में स्पेशलिस्ट अस्पताल की बजाय स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महिलाओं में सीने में दर्द के अलावा अन्य लक्षण होने के बारे में बढ़ती जानकारी इलाज में होने वाली देरी को कम कर सकती है और संभावित रूप से पूर्वानुमान में सुधार कर सकती है.”

Tags: Health, Health News, Lifestyle

image Source

Enable Notifications OK No thanks