सुप्रीम कोर्ट: चुनावों में नेताओं के लुभावने वादों पर रोक की याचिका पर कल होगी सुनवाई, अदालत ने कहा- हमें सब पता है


एएनआई, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 02 Mar 2022 04:03 PM IST

सार

जनहित याचिका में विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं और जनता को राजनीतिक दलों द्वारा उनकी सरकार के सत्ता में आने पर किए गए वादों को चुनौती दी गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह 3 मार्च को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें राजनीतिक दलों के खिलाफ कथित तौर पर मुफ्त उपहार देकर मतदाताओं को लुभाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया, जब अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने मामले की जल्द सुनवाई की मांग उठाई। एनवी रमना ने कहा, जब चुनाव खत्म हो तो सब भूल जाओ। अदालतें क्या करेंगी, चुनाव रोकेंगी? जगह-जगह चुनावी घूसखोरी हो रही है। हम जानते हैं। यह एक राज्य की बात नहीं है। आपको अदालत के सामने साबित करना होगा। 

हिंदू सेना के उपाध्यक्ष ने दाखिल की याचिका 
हिंदू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि वह मौजूदा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों से दुखी हैं। जनहित याचिका में विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं और जनता को राजनीतिक दलों द्वारा उनकी सरकार के सत्ता में आने पर किए गए वादों को चुनौती दी गई है। याचिका में मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी और पंजाब में आम आदमी पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 में खड़े किए गए सभी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाए।

कांग्रेस, सपा, बसपा और आप के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग
याचिका में कांग्रेस, सपा, बसपा और आप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर ये दल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर चुनाव में सरकारी खजाने से उपहार, सामान, धन की पेशकश करके मतदाताओं को प्रेरित करते हैं तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1)(ए) के तहत किए गए अपराध के लिए इन पर मुकदमा दर्ज किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि जो उम्मीदवार मुफ्त में उपहार देते हुए पाए जाते हैं उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए।  

याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि चुनाव आयोग को नामांकन दाखिल करते समय एक तंत्र विकसित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, जिसमें उम्मीदवारों की ओर से इस आशय की घोषणा हो कि जिन राजनीतिक दलों कि तरफ से वे चुनाव लड़ रहे हैं, उसने कोई प्रस्ताव और मुफ्त उपहार का वादा नहीं किया है। यदि उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की घोषणाएं गलत पाई जाती हैं, तो ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए और यदि वे चुने जाते हैं, तो ऐसे चुनाव को अमान्य घोषित किया जाना चाहिएष 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह 3 मार्च को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें राजनीतिक दलों के खिलाफ कथित तौर पर मुफ्त उपहार देकर मतदाताओं को लुभाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया, जब अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने मामले की जल्द सुनवाई की मांग उठाई। एनवी रमना ने कहा, जब चुनाव खत्म हो तो सब भूल जाओ। अदालतें क्या करेंगी, चुनाव रोकेंगी? जगह-जगह चुनावी घूसखोरी हो रही है। हम जानते हैं। यह एक राज्य की बात नहीं है। आपको अदालत के सामने साबित करना होगा। 

हिंदू सेना के उपाध्यक्ष ने दाखिल की याचिका 

हिंदू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि वह मौजूदा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों से दुखी हैं। जनहित याचिका में विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं और जनता को राजनीतिक दलों द्वारा उनकी सरकार के सत्ता में आने पर किए गए वादों को चुनौती दी गई है। याचिका में मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी और पंजाब में आम आदमी पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 में खड़े किए गए सभी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाए।

कांग्रेस, सपा, बसपा और आप के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग

याचिका में कांग्रेस, सपा, बसपा और आप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर ये दल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर चुनाव में सरकारी खजाने से उपहार, सामान, धन की पेशकश करके मतदाताओं को प्रेरित करते हैं तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1)(ए) के तहत किए गए अपराध के लिए इन पर मुकदमा दर्ज किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि जो उम्मीदवार मुफ्त में उपहार देते हुए पाए जाते हैं उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए।  

याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि चुनाव आयोग को नामांकन दाखिल करते समय एक तंत्र विकसित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, जिसमें उम्मीदवारों की ओर से इस आशय की घोषणा हो कि जिन राजनीतिक दलों कि तरफ से वे चुनाव लड़ रहे हैं, उसने कोई प्रस्ताव और मुफ्त उपहार का वादा नहीं किया है। यदि उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की घोषणाएं गलत पाई जाती हैं, तो ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए और यदि वे चुने जाते हैं, तो ऐसे चुनाव को अमान्य घोषित किया जाना चाहिएष 



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