न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 28 Jun 2022 06:37 PM IST
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बिहार में सत्तारूढ़ भाजपा को मंगलवार को राज्य विधानसभा के अंदर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब दोपहर के बाद सदन की उपस्थिति कम होने के कारण स्थगित कर दी गई, उसके सहयोगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) का कोई सदस्य भी सदन में नहीं था। मीडिया के एक वर्ग ने इसे जानबूझकर जदयू की ओर से बनाई गई रणनीति बताया क्योंकि विपक्षी राजद सोमवार से अग्निपथ स्कीम को लेकर सदन को बाधित कर रहा है। इससे भाजपा-जदयू के बीच तनाव के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, जद (यू) के नेताओं ने ऐसे आरोपों का जोरदार खंडन किया।
दोपहर के भोजन के दौरान विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मानसून सत्र के शेष भाग के बहिष्कार की घोषणा की जिसमें दो और दिन बाकी हैं। उन्होंने अध्यक्ष पर अग्निपथ योजना पर चर्चा की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया। उनके साथ वामपंथी सहयोगी और एआईएमआईएम के राज्य प्रमुख अख्तरुल ईमान शामिल थे और इन दलों के विधायक अनुमानित रूप से अनुपस्थित थे। राजद के साथ मनमुटाव के बाद महागठबंधन का हिस्सा नहीं रही कांग्रेस के भी कम सदस्य सदन में मौजूद थे।
हालांकि, दोपहर 2 बजे कार्यवाही शुरू होने पर जद (यू) के सदस्यों की अनुपस्थिति दिखी और भाजपा विधायकों की भी संख्या कम रही। दरभंगा के भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कुछ अन्य राज्यों की विधानसभाओं का उदाहरण देते हुए विधायी कार्य में सक्रिय रुचि लेने वालों को पुरस्कृत करने की आवश्यकता बताई।
उनके भाषण के बाद पार्टी के एक अन्य विधायक ने अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का ध्यान कोरम की कमी की ओर आकर्षित करने की मांग की। नियमों के अनुसार कार्यवाही जारी रखने के लिए सदन के 243 सदस्यों में से 10 प्रतिशत सदस्य होने चाहिए। संयोग से भाजपा के पास अपने दम पर आवश्यक संख्या से तीन गुना से अधिक की संख्या है। उन्होंने कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।