यूपी का रण : पश्चिम में भाजपा के लिए चुनौती है जाटों की लामबंदी, जातियों पर टिकी जीत की आस


सार

पश्चिमी यूपी की सियासत जातीय गणित बनाम ध्रुवीकरण की धुरी पर केंद्रित होती जा रही है। इसी नब्ज को भांपते हुए प्रमुख राजनीतिक दलों ने पश्चिमी यूपी में टिकट वितरण से लेकर वर्चुअल संवाद तक में जातीय गणित पर ही फोकस रखा है। पश्चिम में जाट मतदाता सबसे ज्यादा मुखर हैं। यह कहा जाता है, ‘पश्चिम में जिसके जाट, उसके ठाठ।’ जाट मतदाता चुनावी माहौल बनाने में यहां अहम भूमिका निभाता रहा है। इस बार ध्रुवीकरण की राह में अड़चन बने जाट मतदाताओं को भाजपा और  सपा-रालोद ने अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा ने 17, सपा-रालोद गठबंधन ने 16 जाटों को मैदान में उतारा, कांग्रेस ने 6 और बसपा ने 4 को दिया टिकट।

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा और अलीगढ़ मंडल के 26 जिलों में से कई में जाट मतदाताओं की संख्या 17 फीसदी तक है। जाट मतदाताओं का असर तो करीब 100 सीटों पर है, लेकिन 30-40 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यूं तो जाट हर चुनाव के पहले लामबंद होते रहे हैं, पर अबकी बार किसान आंदोलन के असर की वजह से उनकी लामबंदी और पुख्ता है। किसान आंदोलन से सियासत तक पश्चिम के जाटों की बड़ी भूमिका रही है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन के वक्त राकेश टिकैत के आंसू निकले तो नजदीकी मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ और आगरा मंडल के किसानों ने ही रातों-रात कूच कर आंदोलन को ताकत दी थी। इनमें बड़ी संख्या जाटों की ही थी।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाटों का रुख भाजपा की ओर बढ़ा
मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट सियासत में बदलाव आया, तो उनका रुख भाजपा की ओर हो गया।  2014, 2017 और 2019 के चुनावों में जाटों का बड़ा हिस्सा भाजपा के ही साथ रहा। इनकी इसी भूमिका की वजह से पश्चिम की ज्यादातर सीटें 2017 में भाजपा के पाले में आईं। दंगे के बाद यहां जाट-मुस्लिम एकता का परंपरागत सियासी समीकरण ध्वस्त हो गया। चौधरी अजित सिंह ने इसी समीकरण को जोड़ने के लिए 2019 में मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे भाजपा के संजीव बालियान से हार गए।  मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने बागपत से जयंत चौधरी को भी हरा दिया। 2017 में भाजपा ने 16 जाट प्रत्याशियों को टिकट दिया था और उनमें से 14 ने जीत हासिल की थी।

अपने पाले में लाने के लिए हर संभव कोशिश
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो यहां से तीन जाट चेहरों-चौधरी भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंह और सरदार बलदेव सिंह औलख को कैबिनेट में जगह दी गई। संजीव बालियान को केंद्र में मंत्री बनाया गया। यही वजह है कि भाजपा और सपा जाटों को अपने पाले में लाने के लिए हर दांवपेच आजमा रहे हैं। सपा के रालोद के साथ गठबंधन को बेहद अहम माना जा रहा है। अखिलेश ने पश्चिमी यूपी में जयंत के साथ 7 दिसंबर को मेरठ के दबथुवा में रैली की। पश्चिमी यूपी में जयंत की बड़ी भूमिका का संदेश देने के मकसद से ही अखिलेश ने सपा के भी ज्यादातर प्रत्याशियों की सूची रालोद के ही आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी कराई। छह प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो सपा में थे, लेकिन रालोद के चुनाव निशान पर मैदान में हैं। इसे भांपते हुए भाजपा ने बड़ा दांव चला और पश्चिम की 17 सीटों पर जाट प्रत्याशी उतार दिए।

पहला चरण

  • जिले 11, 58 सीटें
  • 2017 का परिणाम
  • भाजपा 53, सपा 2
  • बसपा 2 और रालोद 1

गिले-शिकवे  दूर करने की भी हुईं कोशिशें
गृह मंत्री अमित शाह ने 26 जनवरी को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा के आवास पर हुई पंचायत में 250 से ज्यादा जाट नेताओं के साथ मुलाकात कर गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की। हालांकि, जाट नेताओं ने लगे हाथ शाह को केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए 2017 और 2019 में भाजपा के किए वादे याद दिला दिए।

  • चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने और जाट नेताओं को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने की मांग भी रख दी। प्रवेश वर्मा ने जयंत चौधरी को भाजपा के साथ आने का न्योता देकर जाटों को संदेश दिया कि उनकी पार्टी  की लड़ाई  रालोद  से नहीं, सपा से है। प्रवेश ने मतदाताओं में कूटनीतिक ढंग से यह संदेश देने का प्रयास किया कि चुनाव बाद जयंत के लिए भाजपा की राह खुली हुई है। हालांकि, जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने इसके बाद मुजफ्फरनगर और मेरठ में  संयुक्त प्रेस  कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर हमला  किया। जयंत ने तो यहां तक कहा कि वह कोई चवन्नी नहीं हैं, जो यूं ही पलट जाएंगे।
  • जयंत ने यह भी कहा, भाजपा पहले उन 700 किसानों के परिवारों को न्योता दे, जिनके घर उजाड़ दिए। यानी यहां अभी जाटों का रुख भाजपा के प्रति नरम नहीं है। किसान आंदोलन से उपजी नाराजगी, गन्ना मूल्य में कम बढोतरी, भुगतान में विलंब के साथ ही तीन साल से सेना की भर्तियां नहीं होना भी यहां हर गांव में मुद्दा बन रहा है।
सबको याद आ रहे चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति धर्म से परे चौधरी चरण सिंह की एक बड़ी जगह है। चौधरी साहब यहां आज भी किसानों  के  दिलों में बसते हैं। चाहे पीएम मोदी हों या फिर सीएम योगी। मायावती हों या अखिलेश और जयंत…। इसीलिए सबका संबोधन चौधरी चरण सिंह का नाम लेकर ही होता है। किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को भी हर दल का नेता याद कर रहा है।

खापों की भी अहम भूमिका
जाट मतदाताओं पर खाप पंचायतों का भी खासा असर है। खापों ने ही यहां किसान आंदोलन को खाद-पानी दिया। यहां सबसे बड़ी बालियान खाप है। इस खाप के 84 गांव हैं। इस खाप के चौधरी नरेश टिकैत हैं, जो राकेश टिकैत के भाई हैं। बागपत की 84 देशखाप, गठवाला खाप, चौगामा खाप, बत्तीसा खाप, देशवाल खाप, लाटियान खाप, अहलावत खाप, बत्तीस खाप, कालखंडे खाप भी खासा असर रखती हैं। खाप चौधरी सामाजिक मसलों के इर्द-गिर्द बड़ी पंचायतें करते रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों को खाने-पीने के सामान से लेकर आर्थिक मदद तक में खापों ने बड़ी भूमिका निभाई है।

कांग्रेस और बसपा ने भी लगाया जाटों पर दांव
कांग्रेस और बसपा ने भी मैदान में जाट प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस ने बिलारी से कल्पना, मेरठ कैंट से अवनीश काजला, अनूपशहर से चौधरी गजेंद्र, मांट से सुमन चौधरी, जलालाबाद से गुरमीत सिंह, गोवर्धन से दीपक चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने भी शामली से विजेंद्र मलिक, सरधना से संजीव धामा, बिलारी से अनिल चौधरी, अतरौली से डॉ. ओमबीर सिंह पर दांव लगाया है।

सपा-रालोद गठबंधन के ये 16 जाट उम्मीदवार ( सीट और प्रत्याशी)

  • छपरौली- अजय कुमार
  • बड़ौत- जयवीर सिंह
  • मेरठ- कैंट मनीषा अहलावत
  • मांट- संजय लाठर
  • गोवर्धन- प्रीतम सिंह प्रमुख
  • सादाबाद- प्रदीप चौधरी गुड्डू
  • शिकारपुर- किरणपाल सिंह
  • अनूपशहर- होशियार सिंह
  • नोगांवां- समरपाल सिंह
  • बिलासपुर- अमरजीत सिंह
  • बिजनौर- नीरज चौधरी
  • चांदपुर- स्वामी ओमवेश
  • शामली- प्रसन्न चौधरी
  •  बुढ़ाना- राजपाल बालियान
  • चरथावल- पंकज मलिक
  • फतेहपुर- सीकरी ब्रजेश चाहर

भाजपा ने उतारे 17 जाट प्रत्याशी

  • सिवालखास- मनिंदरपाल सिंह
  • छपरौली- सहेंद्र सिंह रमाला
  • बड़ौत- केपी सिंह मलिक
  • बागपत- योगेश धामा
  • मोदीनगर- डॉ. मंजू सिवाच
  • गढ़मुक्तेश्वर- हरेंद्र तेवतिया
  • बुलंदशहर- प्रदीप चौधरी
  • शामली- तेजेंद्र सिंह निर्वाल
  • बुढाना- उमेश मलिक
  • नजीबाबाद- कुंवर भारतेंदु सिंह
  • बिजनौर- सुचि मौसम चौधरी
  • कांठ- राजेश कुमार सिंह
  • फतेहपुर सीकरी- चौधरी बाबूलाल
  • मांट- राजेश चौधरी
  • छाता- चौधरी लक्ष्मीनारायण
  • बिलासपुर- बलदेव सिंह औलख
  • असमौली- हरेंद्र सिंह रिंकू
जाट चाहते हैं प्रदेश और केंद्र में हिस्सेदारी
जाटों ने मुगलों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। पिछले तीन चुनावों में भाजपा को खूब वोट भी दिया। हाईवे, एक्सप्रेसवे भी बने और काम भी हुआ, पर जाटों को न तो प्रदेश में और न ही केंद्र में उतनी भागीदारी मिली, जितने के वे हकदार थे। हमने दिल्ली में अमित शाह के साथ हुई बैठक में भी यह बात रखी है। हमारी बात सुनी गई है और इस पर अमल का भरोसा भी दिया गया है। हिस्सेदारी मिलेगी तो जाट समाज का मन बदलेगा।                        
-चौधरी विक्रम राणा, जाट नेता बागपत

कमजोर नहीं है याददाश्त
न आरक्षण मिला और न इसके लिए कमेटी का गठन हुआ। हरियाणा में किसान आंदोलन में समाज के बेटों पर गोलियां चलाई गईं। हाथरस में दलित बेटी के लिए इंसाफ की मांग कर रहे नेताओं पर लाठीचार्ज किया गया। तीन कानूनों के खिलाफ आंदोलित 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई। लखीमपुर में जो कांड हुआ, उस सबको जाट भूलेगा नहीं।          
-रोहित जाखड़, अध्यक्ष राष्ट्रीय जाट महासंघ

सरकार से हैं उम्मीदें
हमने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात में जाटों के आरक्षण का मसला उठाया था। पहले भी जाट समाज के नेताओं के साथ मुलाकात में इस पर बात हुई थी। गन्ने का भाव कम बढ़ा, इस पर भी बात हुई। देशभर में 25 जाट सांसद हैं, पर कैबिनेट मंत्री कोई नहीं। हमने यह मांग भी रखी है। समाज की सारी बातें सरकार के सामने रख दी हैं। हमें भरोसा दिया गया है कि सभी मांगों पर विचार होगा। -चौधरी अमन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष अखिल उप्र जाट महासभा

विस्तार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा और अलीगढ़ मंडल के 26 जिलों में से कई में जाट मतदाताओं की संख्या 17 फीसदी तक है। जाट मतदाताओं का असर तो करीब 100 सीटों पर है, लेकिन 30-40 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यूं तो जाट हर चुनाव के पहले लामबंद होते रहे हैं, पर अबकी बार किसान आंदोलन के असर की वजह से उनकी लामबंदी और पुख्ता है। किसान आंदोलन से सियासत तक पश्चिम के जाटों की बड़ी भूमिका रही है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन के वक्त राकेश टिकैत के आंसू निकले तो नजदीकी मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ और आगरा मंडल के किसानों ने ही रातों-रात कूच कर आंदोलन को ताकत दी थी। इनमें बड़ी संख्या जाटों की ही थी।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाटों का रुख भाजपा की ओर बढ़ा

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट सियासत में बदलाव आया, तो उनका रुख भाजपा की ओर हो गया।  2014, 2017 और 2019 के चुनावों में जाटों का बड़ा हिस्सा भाजपा के ही साथ रहा। इनकी इसी भूमिका की वजह से पश्चिम की ज्यादातर सीटें 2017 में भाजपा के पाले में आईं। दंगे के बाद यहां जाट-मुस्लिम एकता का परंपरागत सियासी समीकरण ध्वस्त हो गया। चौधरी अजित सिंह ने इसी समीकरण को जोड़ने के लिए 2019 में मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे भाजपा के संजीव बालियान से हार गए।  मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने बागपत से जयंत चौधरी को भी हरा दिया। 2017 में भाजपा ने 16 जाट प्रत्याशियों को टिकट दिया था और उनमें से 14 ने जीत हासिल की थी।

अपने पाले में लाने के लिए हर संभव कोशिश

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो यहां से तीन जाट चेहरों-चौधरी भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंह और सरदार बलदेव सिंह औलख को कैबिनेट में जगह दी गई। संजीव बालियान को केंद्र में मंत्री बनाया गया। यही वजह है कि भाजपा और सपा जाटों को अपने पाले में लाने के लिए हर दांवपेच आजमा रहे हैं। सपा के रालोद के साथ गठबंधन को बेहद अहम माना जा रहा है। अखिलेश ने पश्चिमी यूपी में जयंत के साथ 7 दिसंबर को मेरठ के दबथुवा में रैली की। पश्चिमी यूपी में जयंत की बड़ी भूमिका का संदेश देने के मकसद से ही अखिलेश ने सपा के भी ज्यादातर प्रत्याशियों की सूची रालोद के ही आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी कराई। छह प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो सपा में थे, लेकिन रालोद के चुनाव निशान पर मैदान में हैं। इसे भांपते हुए भाजपा ने बड़ा दांव चला और पश्चिम की 17 सीटों पर जाट प्रत्याशी उतार दिए।

पहला चरण

  • जिले 11, 58 सीटें
  • 2017 का परिणाम
  • भाजपा 53, सपा 2
  • बसपा 2 और रालोद 1


गिले-शिकवे  दूर करने की भी हुईं कोशिशें

गृह मंत्री अमित शाह ने 26 जनवरी को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा के आवास पर हुई पंचायत में 250 से ज्यादा जाट नेताओं के साथ मुलाकात कर गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की। हालांकि, जाट नेताओं ने लगे हाथ शाह को केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए 2017 और 2019 में भाजपा के किए वादे याद दिला दिए।

  • चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने और जाट नेताओं को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने की मांग भी रख दी। प्रवेश वर्मा ने जयंत चौधरी को भाजपा के साथ आने का न्योता देकर जाटों को संदेश दिया कि उनकी पार्टी  की लड़ाई  रालोद  से नहीं, सपा से है। प्रवेश ने मतदाताओं में कूटनीतिक ढंग से यह संदेश देने का प्रयास किया कि चुनाव बाद जयंत के लिए भाजपा की राह खुली हुई है। हालांकि, जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने इसके बाद मुजफ्फरनगर और मेरठ में  संयुक्त प्रेस  कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर हमला  किया। जयंत ने तो यहां तक कहा कि वह कोई चवन्नी नहीं हैं, जो यूं ही पलट जाएंगे।
  • जयंत ने यह भी कहा, भाजपा पहले उन 700 किसानों के परिवारों को न्योता दे, जिनके घर उजाड़ दिए। यानी यहां अभी जाटों का रुख भाजपा के प्रति नरम नहीं है। किसान आंदोलन से उपजी नाराजगी, गन्ना मूल्य में कम बढोतरी, भुगतान में विलंब के साथ ही तीन साल से सेना की भर्तियां नहीं होना भी यहां हर गांव में मुद्दा बन रहा है।
सबको याद आ रहे चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति धर्म से परे चौधरी चरण सिंह की एक बड़ी जगह है। चौधरी साहब यहां आज भी किसानों  के  दिलों में बसते हैं। चाहे पीएम मोदी हों या फिर सीएम योगी। मायावती हों या अखिलेश और जयंत…। इसीलिए सबका संबोधन चौधरी चरण सिंह का नाम लेकर ही होता है। किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को भी हर दल का नेता याद कर रहा है।

खापों की भी अहम भूमिका

जाट मतदाताओं पर खाप पंचायतों का भी खासा असर है। खापों ने ही यहां किसान आंदोलन को खाद-पानी दिया। यहां सबसे बड़ी बालियान खाप है। इस खाप के 84 गांव हैं। इस खाप के चौधरी नरेश टिकैत हैं, जो राकेश टिकैत के भाई हैं। बागपत की 84 देशखाप, गठवाला खाप, चौगामा खाप, बत्तीसा खाप, देशवाल खाप, लाटियान खाप, अहलावत खाप, बत्तीस खाप, कालखंडे खाप भी खासा असर रखती हैं। खाप चौधरी सामाजिक मसलों के इर्द-गिर्द बड़ी पंचायतें करते रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों को खाने-पीने के सामान से लेकर आर्थिक मदद तक में खापों ने बड़ी भूमिका निभाई है।

कांग्रेस और बसपा ने भी लगाया जाटों पर दांव

कांग्रेस और बसपा ने भी मैदान में जाट प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस ने बिलारी से कल्पना, मेरठ कैंट से अवनीश काजला, अनूपशहर से चौधरी गजेंद्र, मांट से सुमन चौधरी, जलालाबाद से गुरमीत सिंह, गोवर्धन से दीपक चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने भी शामली से विजेंद्र मलिक, सरधना से संजीव धामा, बिलारी से अनिल चौधरी, अतरौली से डॉ. ओमबीर सिंह पर दांव लगाया है।

सपा-रालोद गठबंधन के ये 16 जाट उम्मीदवार ( सीट और प्रत्याशी)

  • छपरौली- अजय कुमार
  • बड़ौत- जयवीर सिंह
  • मेरठ- कैंट मनीषा अहलावत
  • मांट- संजय लाठर
  • गोवर्धन- प्रीतम सिंह प्रमुख
  • सादाबाद- प्रदीप चौधरी गुड्डू
  • शिकारपुर- किरणपाल सिंह
  • अनूपशहर- होशियार सिंह
  • नोगांवां- समरपाल सिंह
  • बिलासपुर- अमरजीत सिंह
  • बिजनौर- नीरज चौधरी
  • चांदपुर- स्वामी ओमवेश
  • शामली- प्रसन्न चौधरी
  •  बुढ़ाना- राजपाल बालियान
  • चरथावल- पंकज मलिक
  • फतेहपुर- सीकरी ब्रजेश चाहर


भाजपा ने उतारे 17 जाट प्रत्याशी

  • सिवालखास- मनिंदरपाल सिंह
  • छपरौली- सहेंद्र सिंह रमाला
  • बड़ौत- केपी सिंह मलिक
  • बागपत- योगेश धामा
  • मोदीनगर- डॉ. मंजू सिवाच
  • गढ़मुक्तेश्वर- हरेंद्र तेवतिया
  • बुलंदशहर- प्रदीप चौधरी
  • शामली- तेजेंद्र सिंह निर्वाल
  • बुढाना- उमेश मलिक
  • नजीबाबाद- कुंवर भारतेंदु सिंह
  • बिजनौर- सुचि मौसम चौधरी
  • कांठ- राजेश कुमार सिंह
  • फतेहपुर सीकरी- चौधरी बाबूलाल
  • मांट- राजेश चौधरी
  • छाता- चौधरी लक्ष्मीनारायण
  • बिलासपुर- बलदेव सिंह औलख
  • असमौली- हरेंद्र सिंह रिंकू

जाट चाहते हैं प्रदेश और केंद्र में हिस्सेदारी

जाटों ने मुगलों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। पिछले तीन चुनावों में भाजपा को खूब वोट भी दिया। हाईवे, एक्सप्रेसवे भी बने और काम भी हुआ, पर जाटों को न तो प्रदेश में और न ही केंद्र में उतनी भागीदारी मिली, जितने के वे हकदार थे। हमने दिल्ली में अमित शाह के साथ हुई बैठक में भी यह बात रखी है। हमारी बात सुनी गई है और इस पर अमल का भरोसा भी दिया गया है। हिस्सेदारी मिलेगी तो जाट समाज का मन बदलेगा।                        

-चौधरी विक्रम राणा, जाट नेता बागपत

कमजोर नहीं है याददाश्त

न आरक्षण मिला और न इसके लिए कमेटी का गठन हुआ। हरियाणा में किसान आंदोलन में समाज के बेटों पर गोलियां चलाई गईं। हाथरस में दलित बेटी के लिए इंसाफ की मांग कर रहे नेताओं पर लाठीचार्ज किया गया। तीन कानूनों के खिलाफ आंदोलित 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई। लखीमपुर में जो कांड हुआ, उस सबको जाट भूलेगा नहीं।          

-रोहित जाखड़, अध्यक्ष राष्ट्रीय जाट महासंघ

सरकार से हैं उम्मीदें

हमने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात में जाटों के आरक्षण का मसला उठाया था। पहले भी जाट समाज के नेताओं के साथ मुलाकात में इस पर बात हुई थी। गन्ने का भाव कम बढ़ा, इस पर भी बात हुई। देशभर में 25 जाट सांसद हैं, पर कैबिनेट मंत्री कोई नहीं। हमने यह मांग भी रखी है। समाज की सारी बातें सरकार के सामने रख दी हैं। हमें भरोसा दिया गया है कि सभी मांगों पर विचार होगा। -चौधरी अमन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष अखिल उप्र जाट महासभा

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