यूपी का रण : कहीं विरासत.. तो कहीं सियासत का इम्तिहान, समीकरण पर एक नजर


तीसरे चरण में दिग्गजों के कद-प्रतिष्ठा का भी इम्तिहान है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव, आईपीएस अफसर से राजनीतिज्ञ बने असीम अरुण, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल जैसे चेहरे मुकाबले में हैं। पश्चिम में कांटे की लड़ाई के बाद इस चरण से चलने वाली बयार से आगे के चरण भी प्रभावित होंगे। बहरहाल, सभी दल एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। इस चरण में मध्य यूपी की 46 और बुंदेलखंड की 13 सीटों में से भाजपा को 49, सपा को 8 और कांग्रेस व बसपा को एक-एक सीट मिली थी। 35 सीटें ऐसी थीं जहां सपा दूसरे स्थान पर रही थी।

मैनपुरी : चारों सीटों पर घमासान
मैनपुरी जिले की भोगांव को छोड़कर अन्य तीनों सीटों पर सपा का कब्जा है।  बहरहाल, सबकी निगाहें करहल पर टिकी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और भाजपा सांसद एसपी बघेल के बीच घमासान से यह सीट हॉट बनी हुई है। मैनपुरी सीट पर सपा विधायक राजकुमार यादव और भाजपा के जयवीर सिंह की कांटे की लड़ाई के बीच बसपा के गौरवनंद सविता तीसरा कोण बनाते दिख रहे हैं। भोगांव में भाजपा विधायक रामनरेश अग्निहोत्री और सपा के आलोक शाक्य में रोचक मुकाबला है तो किशनी सीट पर सपा विधायक ब्रजेश कठेरिया, भाजपा के प्रियरंजन आशु दिवाकर और बसपा के प्रभुदयाल जाटव के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। भोगांव कस्बे के रामजतन कहते हैं कि चारों सीटों पर जिस तरह मुकाबला चल रहा है, परिणाम कुछ भी हो सकता है।

इटावा : गढ़ बचाए रखने की चुनौती
जिले की तीन सीटों में से दो पर भाजपा का कब्जा है। जसवंतनगर सीट पर मैदान में शिवपाल सिंह यादव के सामने भाजपा ने विवेक शाक्य और बसपा ने बृजेंद्र प्रताप सिंह को उतारा है। फिलहाल शिवपाल यहां इत्मीनान में दिख रहे हैं। पर, इटावा सदर पर माहौल दूसरा है। इटावा बाईपास निवासी अजय सिंह कहते हैं, भाजपा विधायक सरिता भदौरिया और सपा के सर्वेश शाक्य के बीच मुकाबला है। बसपा के कुलदीप गुप्ता संटू मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। वे सपा के लिए चुनौती खड़ी करते दिख रहे हैं। भरथना में लड़ाई अलग है। भाजपा ने विधायक सावित्री कठेरिया का टिकट काट कर डॉ. सिद्धार्थ शंकर को उतारा है। सपा ने कभी बसपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले राघवेंद्र गौतम पर दांव लगाया है। राघवेंद्र बसपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश में हैं।

फर्रुखाबाद : भाजपा की परीक्षा
फर्रुखाबाद की चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इस बार सदर सीट पर मुकाबला रोमांचक हो सकता है। भाजपा विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी से सपा के सहयोगी महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवदेव मौर्य की पत्नी सुमन शाक्य मुुकाबिल हैं। बसपा ने विजय कुमार कटियार पर दांव लगाकर कुर्मी वोट बैंक को बांटने की रणनीति अपनाई है, तो कांग्रेस की पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद को अल्पसंख्यकों के साथ कुछ न कुछ अन्य बिरादरी का वोट मिलने का भरोसा है। वहीं, अमृतपुर में सपा ने डॉ. जितेंद्र यादव तो भाजपा ने विधायक सुशील शाक्य और बसपा ने अमित सिंह पर दांव लगाया है। यहां सपा से सात बार विधायक रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव बागी होकर निर्दल मैदान में उतर गए हैं। नई बस्ती निवासी ब्रह्मदेव कहते हैं कि यादव बिरादरी में खासा दखल रखने वाले नरेंद्र जिले की सभी सीटों को प्रभावित कर रहे हैं। कायमगंज में सपा ने बसपा के कद्दावर नेता सर्वेश अंबेडकर पर दांव लगाया है। भाजपा से मैदान में उतरीं डॉ. सुरभि ने पिछला चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा था। डॉ. सुरभि दलितों के साथ ही कुर्मी बिरादरी को साधने की पूरी कोशिश की है। क्योंकि, उनके पति इसी बिरादरी के हैं। वहीं, भोजपुर की बात करें तो यहां भाजपा विधायक नागेंद्र राठौर को सपा उम्मीदवार अरशद जमाल सिद्दीकी कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

कन्नौज : किस दल की बिखरेगी सुगंध
कन्नौज की तीन सीटों में कन्नौज सपा के, तो अन्य दो भाजपा के पास हैं। करीब एक लाख दलित आबादी वाली कन्नौज सदर सीट पर कांटे का मुकाबला है। सपा विधायक अनिल दोहरे को भाजपा से उतरे पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण से कड़ी चुनौती मिल रही है। वहीं, तिर्वा में जातीय समीकरण सबका इम्तिहान लेता दिख रहा है। भाजपा ने विधायक कैलाश राजपूत पर दांव लगाया है, तो सपा से उतरे अनिल पाल की पत्नी पूजा राजपूत बिरादरी से हैं। वे मायके का हवाला देकर राजपूत बिरादरी को साधने की कोशिश में हैं। तिर्वा क्रॉसिंग पर मिले सुरेश राजपूत कहते हैं, हमारी बिरादरी असमंजस में फंस गई है। राकेश तिवारी कहते हैं कि ब्राह्मणों के साथ लोधियों का वोट भाजपा को ही मिलता रहा है। साफ है कि मतदाता बंटे हुए हैं। छिबरामऊ में अर्चना पांडेय और अरविंद यादव में सीधी टक्कर है। हालांकि, बसपा ने वहीदा बानों को मैदान में उतार पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है। छिबरामऊ के दानिश कहते हैं, लड़ाई सपा और भाजपा में ही है। क्योंकि, मुस्लिम वोटर पूरी तरह से एकजुट है। सतौरा बाजार निवासी शंकर लोधी और रमेश पांडेय कहते हैं कि सपा की सरकार बनते ही कन्नौज में यादव बिरादरी का वर्चस्व हो जाता है। पिछडे़ वर्ग की अन्य जातियों को यह वर्चस्व पसंद नहीं है।

औरैया में रिश्तों का भी इम्तिहान
औरैया की तीनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। बिधूना में सबसे रोचक सियासी जंग है। यहां रिश्तों की परीक्षा भी है। भाजपा से नाता तोड़कर सपा में जाने वाले विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य भाजपा के टिकट पर ही मैदान में हैं, तो सपा ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धनीराम वर्मा की बहू रेखा वर्मा को मैदान में उतार दिया। दिबियापुर से भाजपा ने राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत को सपा के पूर्व सांसद प्रदीप यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है। इंद्रानगर में चाय की दुकान पर मिले पंकज गुप्ता, रितेश सिंह का कहना है कि लोध और क्षत्रिय वोट तो भाजपा के साथ है, लेकिन पिछड़े वर्ग की अन्य जातियां सपा के पक्ष में लामबंद होती दिख रही हैं। इसका फायदा सपा को मिलता दिख रहा है। औरैया सदर में त्रिकोणीय मुकाबला है।

फिरोजाबाद : पांचों सीटों पर रोचक मुकाबला
फिरोजाबाद जिले की पांचों सीटों पर इस बार मुकाबला रोचक है। पिछली बार सिरसागंज से सपा का खाता खोला था, बाकी चारों सीटें भाजपा ने जीती थीं। सैफई परिवार के रिश्तेदार हरिओम भगवा खेमे से मैदान में उतरे, तो सपा ने उनके शिष्य सर्वेश यादव को मैदान में उतार दिया। यहां सपा व भाजपा में ही सीधा मुकाबला बताया जा रहा है। टूंडला, जसराना, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में भी दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है।

एटा-कासगंज, हाथरस : आसान नहीं डगर पनघट की
एटा और कासगंज की सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के इस किले को ढहाकर अपनी परंपरागत सीटों पर काबिज होने को बेताब है। यही वजह है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं ने लगातार यहां सभाएं कीं। कासगंज में भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह और सपा के मानपाल सिंह में मुकाबला है। अमांपुर, पटियाली, एटा, मरहरा, जलेसर और अलीगंज में भाजपा, सपा के बीच मुकाबला तो है, पर बसपा इन सीटों पर असर दिखाएगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, हाथरस की दलित बहुल सदर सीट पर दलितों की उपजातियों के बीच कड़ा मुकाबला है। सादाबाद में भाजपा के रामवीर उपाध्याय को सपा-रालोद गठबंधन के प्रदीप चौधरी और बसपा के अविन शर्मा से टक्कर मिल रही है। वहीं, सिकंदराराऊ में त्रिकोणीय मुकाबला है।

कानपुर में कौन बनेगा सिकंदर
कानपुर शहर और देहात की 14 सीटों में अभी 11 भाजपा, दो सपा और एक कांग्रेस के पास है। शहरी क्षेत्र में कल्याणपुर, सीसामऊ, गोविंदनगर और आर्यनगर में सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है, तो किदवई नगर में कांग्रेस के अजय कपूर अब सलिल विश्नोई की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।



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