रजिस्ट्री करवाने के लिए वसीका का पैकेज
किसी भी जमीन की रजिस्टरी के लिए वसीका नवीस ही सबसे पहला पायदान है, जहां पर पूरा पैकेज फिक्स कर लिया जाता है। ऑनलाइन आवेदन से लेकर रजिस्ट्री क्लर्क से लेकर तहसीलदार और नंबरदार के पैसे का पूरा पैकेज ही वसीका नवीस द्वारा लिया जाता है। हालांकि तहसीलों में वसीका लिखने की एक फिक्स फीस होती है, लेकिन वसीका नवीस पूरा पैकेज लेकर काम करते हैं, जिसमें रजिस्ट्री के बाद पटवारी से इंतकाल मंजूर करवाना भी शामिल होता है।
जालंधर में इस संगठित करप्शन पर नकेल कसने के लिए 20 साल पहले आईएएस अधिकारी कृष्ण कुमार ने एक्सरसाइज की थी और वसीका नवीसों से सुबह थैला लेकर तहसीलदार के लिए पैसा एकत्रित करने वाले कारिंदे को दबोचा था, जिसके बाद कुछ समय तक संगठित करप्शन का खेल बंद रहा, लेकिन बाद में फिर शुरू हो गया।
हाल ही में विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने होशियारपुर में इस मिलीभगत के खेल को तोड़ा था और उलटा पंजाब के रेवन्यू अधिकारी हड़ताल पर चले गए। पंजाब सरकार ने पंजाब के रैवेन्यू अफसरों और कर्मचारियों की मांग स्वीकार करते हुए उन दो विजिलेंस अधिकारियों का तबादला कर दिया जिन्होंने होशियारपुर के नायब तहसीलदार और रजिस्ट्री क्लर्क को गिरफ्तार किया था। इनमें निरंजन सिंह डीएसपी और सब-इंस्पेक्टर अजय पाल सिंह शामिल थे।
आरटीए कार्यालय में दलाली, फार्म भरवाने वालों से ही शुरू हो जाती है
ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर वाहन की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आने वाले लोगों का पहला सामना ही फार्म भरने और ऑनलाइन आवेदन लेने वालों से होता है। हर चीज का दाम फिक्स है, हाईपोथिफिकेशन काटने व चढ़ाने के लिए 400 रुपये से लेकर 700 रुपये तक, स्कूटर की आरसी 400 व कार की 600 रुपये तक, दूसरे जिले से ट्रांसफर 500 रुपये आदि तय हैं। लोगों का लेनदेन दलालों के साथ होता है, जिस कारण सीधा सरकारी मुलाजिम बच निकलते हैं।
विजिलेंस ब्यूरो ने कुछ समय पहले एआरटीए होशियारपुर प्यारा सिंह के साथ तैनात ड्राइवर एएसआई रमेश चंद्र हैप्पी को खन्ना (लुधियाना) के ट्रांसपोर्टर से नजदीकी गांव जंडूसिंघा में डेढ़ लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। हैप्पी से पूछताछ के बाद विजिलेंस ने प्यारा सिंह को गिरफ्तार किया था।
आरटीए दफ्तर में आर्गनाइज्ड करप्शन का खेल चल रहा है। इसमें क्लर्क, कुछ अफसर, प्राइवेट कारिंदे, स्मार्ट चिप कंपनी के मुलाजिम और एजेंट शामिल हैं। निजी कंपनी के मुलाजिम भी रिश्वतखोरी के खेल में शामिल हो चुके थे। विजिलेंस ने निजी कंपनी स्मार्ट चिप के कार्यालय में भी दबिश दी थी। कुछ दिन संगठित करप्शन कम हुआ, लेकिन फिर शिखर पर है।