Budget 2022: बजट से प्रकाशन जगत निराश, राहत देने की मांग


Budget 2022: इस साल के बजट में प्रकाशन जगत के लिए कोई भी घोषणा नहीं की गई. प्रकाशन जगत को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से निराशा हाथ लगी है. लगातार दो सालों से कोरोना महामारी से जूझ रहे प्रकाशन जगत को इस बजट का काफी उम्मीदें थीं.

राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी (Ashok Maheshwari) ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें बहुत उम्मीद थी कि इस बजट में पुस्तक प्रकाशन जगत के लिए भी कुछ रियायत होगी, मगर पिछले बजट की तरह इस बजट में भी प्रकाशन जगत को नजरअंदाज कर दिया गया.

कोरोना काल में गंभीर रूप से प्रभावित
अशोक महेश्वरी ने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तरह प्रकाशन जगत भी कोरोना काल में गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. पुस्तकों के प्रकाशन में इस्तेमाल किए जाने वाले हल्के कागज़ की कीमत में 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है. पुस्तकों की छपाई और बाईंडिंग से जुड़ी आवश्यक सामग्री की कीमतों में भी 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हो चुकी है. यह सब बढ़ोतरी कोरोना काल में ही हुई है.

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अशोक माहेश्वरी ने कहा कि इन मुश्किलों के बावजूद प्रकाशन जगत ने महामारी के दौरान लोगों को किताबों से जोड़े रख कर उन्हें अकेलेपन और मानसिक तनाव से दूर रखने में एक समर्पित कोरोना योद्धा की भूमिका निभाई. यह अब भी पूरी क्षमता से अपनी भूमिका निभा रहा है. लेकिन प्रकाशन जगत को भी रियायत और सहयोग की तत्काल जरूरत है.

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तनाव से दूर रखती हैं किताबें
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में मेंटल हेल्थ प्रोग्राम पर खासा जोर दिया है. उन्होंने कहा कि लोगों को तनाव मुक्त रखने के लिए किताबें अहम भूमिका निभाती हैं. और कोरोना काल में जब लोग घरों में कैद तो किताबों ने ही उनके एकांत और तनाव को दूर रखने में मदद की थी. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से पुस्तक मेला आदि का भी आयोजन नहीं हो रहा है, जिसके चलते पुस्तकों के प्रचार-प्रसार में भी दिक्कतें आ रही हैं.

राजकमल प्रकाशन ग्रुप (Rajkamal Prakashan) के प्रमुख अशोक माहेश्वरी ने सरकार से मांग की है कि प्रकाशन जगत को भी अन्य क्षेत्रों की तरह राहत प्रदान की जाए.

Tags: Books, Budget, Consumer and Retail industry, FM Nirmala Sitharaman

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