नई दिल्ली. महामारी, महंगाई और निर्माण कार्यों की बढ़ती लागत को पूरा करन के लिए सरकार जितना ज्यादा कर्ज ले रही है, आम आदमी पर भी उतना ही बोझ बढ़ता जा रहा. वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया है कि सरकार पर कुल कर्ज का बोझ बढ़कर 128.41 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
इस लिहाज से देश के हर नागरिक पर 98,776 रुपये का कर्ज लदा है. देश की जनसंख्या इस समय 130 करोड़ होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस लिहाज से हर नागरिक पर करीब एक लाख रुपये का कर्ज आएगा. सरकार के कुल कर्ज में सामाजिक कार्यो पर खर्च की हिस्सेदारी दिसंबर 2021 तक 91.60 फीसदी पहुंच गई है. यह एक तिमाही पहले तक 91.48 फीसदी थी.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनाकाल में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर खर्च बढ़ाना पड़ा, ताकि मजदूरों और शहरी प्रवासियों की जरूरतें पूरी की जा सकें.
सरकार को लेना पड़ा 2 फीसदी ज्यादा कर्ज
कोरोकाल में आयुष्मान भारत और पीएलआई जैसी योजनाओं की फंडिंग के लिए 2.15 फीसदी ज्यादा कर्ज लेना पड़ा. इस दौरान 2.88 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां भी जारी करनी पड़ी जो इससे पिछले वित्तवर्ष की समान तिमाही में 2.83 लाख करोड़ रुपये थी. सरकार पर अपनी प्रतिभूतियों के एवज में तीसरी तिमाही तक 75,300 करोड़ रुपये का भुगतान भी करना था.
दिसंबर तिमाही में नहीं ली कोई बाजार उधारी
वित्त मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने अक्तूबर-दिसंबर, 2021 के दौरान कोई बाजार उधारी नहीं ली है. इस दौरान न तो कैश मैनेजमेंट बिल से फंड की निकासी हुई और न ही रिजर्व बैंक ने ओपन मार्केट ऑपरेशन के जरिये सरकार के लिए धन जुटाया. RBI का रोजाना नकदी जमा जमा और निकासी भी पूरे तिमाही में औसतन 7,43,033 करोड़ रुपे बना रहा.
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महंगाई पर सरकार भी चिंतित
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि खुदरा महंगाई से उपभोक्ता ही नहीं, सरकार भी चिंतित है. विकास की गति दोबारा पटरी पर आ रही है, लेकिन महंगाई उसकी राह में बड़ी चुनौती बन गई है. अक्तूबर तिमाही में खुदरा महंगाई दर 4.48 फीसदी थी, जो दिसंबर तिमाही में 5.66 फीसदी और जनवरी में बढ़कर 6.01 फीसदी पहुंच गई. महंगाई में तेजी खासतौर से ईंधन की बढ़ती कीमतों और बिजली के दाम बढ़ने से आई है.
उद्योगों में आ रही तेजी से राहत
इन चुनौतियों के बीच उद्योग के क्षेत्र में राहत भरी खबर है. वित्त मंत्रालय ने बताया कि देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अक्तूबर में 4 फीसदी की दर से बढ़ा है, जो बेहतर स्थिति को दर्शाता है. यह सितंबर में 4.4 फीसदी था, जो नवंबर में 1.3 फीसदी और दिसंबर में 0.4 फीसदी पर चला गया.
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