रिपोर्टों के अनुसार, इस ब्राउजर के सम्मान में कोरिया के 38 साल के इंजीनियर कियॉन्ग जंग ने ग्योंगजू शहर में अपने भाई के कैफे की छत पर इंटरनेट एक्स्प्लोरर की ‘कब्र’ बनाई है। दरअसल ‘e’ लोगो के साथ एक ग्रेवस्टोन स्थापित किया है, जो कब्र के ऊपर लगाया गया एक पत्थर होता है। उस पर मजाकिया लहजे में लिखा गया है कि वह अन्य ब्राउजर्स को डाउनलोड करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अच्छा टूल था। कियॉन्ग के इस मजाकिया अंदाज की तस्वीर दुनियाभर में शेयर की जा रही है। कई सोशल मीडिया वेबसाइटों पर इसे हजारों बार शेयर किया जा चुका है।
A South Korean software developer had a gravestone made and a real memorial was held…
For the demise of Internet Explorer. RIP.
???????? pic.twitter.com/CY8o2FdJ9E— Graphite Chick ???????????????????????? (@CzechArtGirl) June 18, 2022
दक्षिण कोरिया वह देश है, जहां साल 2014 तक कई प्रमुख ऑनलाइन गतिविधियों के लिए इंटरनेट एक्स्प्लोरर ही इस्तेमाल होता था। हाल के समय तक यह देश की कई प्रमुख सरकारी वेबसाइटों का डिफॉल्ट ब्राउजर था। ब्राउजर के बंद होने से ठीक पहले तक कई विभाग इसे इस्तेमाल कर रहे थे।
कियॉन्ग जंग ने इस ‘कब्र’ को मजाक के रूप में स्थापित किया है, लेकिन इंटरनेट एक्स्प्लोरर के बंद होने से वह वाकई दुखी हैं। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि मशीनों में आत्मा नहीं होती, लेकिन हम उन्हें अपना दिल दे देते हैं। हालांकि इस मजाकिया अंदाज से वह खुश हैं। जिस कैफे की छत पर ‘कब्र’ लगाई गई है, वहां इसे लंबे वक्त तक रखने की योजना है। जंग ने कहा कि इंटरनेट एक्स्प्लोरर के बहाने उन्हें लोगों को हंसाना अच्छा लग रहा है।
गौरतलब है कि साल 1995 में लॉन्च किया गया इंटरनेट एक्स्प्लोरर एक वक्त में सबसे ज्यादा पॉपुलर था। माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्स्प्लोरर के 11 वर्जन लॉन्च किए। बाद में गूगल क्रोम और मोजिला के रूप में लोगों को नए ऑप्शन मिले। इसने इंटरनेट एक्स्प्लोरर को पीछे छोड़ दिया। इसे बेहतर बनाने के बजाए माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपने नए वेब ब्राउजर ‘माइक्रोसॉफ्ट ऐज’ पर फोकस किया और अब इसे बंद कर दिया गया है।
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