न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 21 Mar 2022 07:09 PM IST
सार
एनआईए ने अदालत में दलील दी कि वरवर राव के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और अगर ये साबित हुए तो उन्हें मौत की सजा हो सकती है।
वरवर राव (फाइल फोटो)
– फोटो : एएनआई
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विस्तार
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कवि व सामाजिक कार्यकर्ता वरवर राव की ओर से दायर स्थायी मेडिकल जमानत याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया है। जांच एजेंसी ने सोमवार को कहा कि वरवर राव के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और अगर ये साबित हुए तो उन्हें मौत की सजा हो सकती है।
एल्गार परिषद माओवादी संपर्क में आरोपी हैं राव
वरवर राव एल्गार परिषद माओवादी संपर्क मामले में आरोपी हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने एनआईए की ओर से अदालत से कहा कि ऐसा लगता है कि 83 वर्षीय वरवर राव नियमित रूप से उम्र संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे हैं। सिंह ने कहा है कि जांच एजेंसी इस बाबत एक सहमति पत्र देने की इच्छुक है कि जब भी जरूरत होगी, उन्हें जेल या सरकारी अस्पताल में जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। राव को पिछले साल हाई कोर्ट ने अस्थायी चिकित्सा जमानत दे दी थी। यह जमान उस चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि राव को नियमित रूप से मेडिकल देखभाल की जरूरत है।
मुत्युदंड का आधार बन सकते हैं ये आरोप
उन्होंने कहा, यह बहुत-बहुत गंभीर अपराध है जिसका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से है। इसके अलावा राव के खिलाफ लगे आरोप मुत्युदंड का आधार बन सकते हैं। सिंह ने कहा कि अब वह अस्पताल से छुट्टी पाने के लिहाज से पूरी तरह स्वस्थ हैं, इसलिए स्थायी चिकित्सा जमानत देने का सवाल ही कहां उठता है? सिंह ने पूछा कि क्या इसका मतलब यह है कि जब तक पूरी सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक राव लगातार जमानत पर रहेंगे?
न्यायमूर्ति एसबी शुक्रे और न्यायमूर्ति एसएम मोदक की पीठ ने पाया कि विशेष हालात में भारतीय दंड संहिता की धारा 437 स्थायी जमानत नहीं प्रदान करती, जिसमें किसी आरोपी का बीमार होना शामिल है। सिंह ने दलील दी कि सरकारी जेजे अस्पताल के चिकित्सक किसी भी बीमारी के इलाज में पूरी तरह सक्षम हैं और राव को वहां समुचित इलाज मिलेगा।