IMF के पेपर में खुलासा, मुफ्त अनाज योजना की वजह से कोरोना काल में भी नहीं बढ़ी बेहद गरीबों की संख्या


नई दिल्ली. गरीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानी पीएमजीकेएवाई (PMGKAY) ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भारत में अत्यधिक गरीबी (Extreme Poverty) के स्तर को 0.8 फीसदी के निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के एक दस्तावेज में यह कहा गया है.

‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत से मिले साक्ष्य’ (‘Pandemic, Poverty, and Inequality: Evidence from India’)शीर्षक से जारी दस्तावेज में देश में गरीबी का अनुमान और उपभोग में असामनता पर अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं. ये अनुमान 2004-05 से महामारी वर्ष 2020-21 तक के दिए गए हैं.

वर्ष 2019 में 0.8 फीसदी के निचले स्तर पर थी अत्यधिक गरीबी
इसमें कहा गया है, ‘‘अत्यधिक गरीबी महामारी-पूर्व वर्ष 2019 में 0.8 फीसदी के निचले स्तर पर थी. गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना ने महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भी इसे निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई.’’

मार्च, 2020 में हुई थी PMGKAY की शुरुआत
पीएमजीकेएवाई की शुरुआत मार्च, 2020 में हुई थी. इसके तहत केंद्र सरकार हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त उपलब्ध कराती है. यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत काफी सस्ती दर 2 रुपये और 3 रुपये किलो पर उपलब्ध कराए जा रहे अनाज के अतिरिक्त है. पीएमजीकेएवाई को सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया है.

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सुरजीत एस भल्ला, करण भसीन और अरविंद विरमानी द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से प्रभावित 2020-21 में अत्यधिक गरीबी का स्तर आबादी के 0.8 फीसदी के निचले स्तर पर रहा. इसमें कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में अत्यधिक गरीबी 2 फीसदी के निचले स्तर पर पहुंची थी. क्रय शक्ति समता (Purchasing Power Parity) के आधार पर 68 फीसदी उच्चतम निम्न मध्यम आय (LMI) गरीबी रेखा के अनुसार 3.2 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से महामारी-पूर्व वर्ष 2019-20 में गरीबी 14.8 फीसदी रही.

इसके अनुसार, महामारी के प्रभाव से निपटने के सरकार के उपाय अत्यधिक गरीबी को बढ़ने से रोकने को लेकर महत्वपूर्ण थे. खाद्य सुरक्षा कानून के 2013 में अमल में आने के बाद से सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की व्यवस्था तथा आधार के जरिए इसके और बेहतर तरीके से क्रियान्वयन से गरीबी कम हुई है.

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इसके अलावा इसमें कहा गया है कि गरीबी पर सब्सिडी समायोजन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. दस्तावेज के अनुसार, ‘‘गिनी गुणांक या सूचकांक (Gini Coefficient) के आधार पर मापी जाने वाली वास्तविक असमानता पिछले 40 साल में अपने निचले स्तर पर पहुंच गयी है। वर्ष 1993-94 में यह 0.284 थी जो 2020-21 में 0.292 पर पहुंच गई.’’ बता दें कि गिनी गुणांक आबादी के बीच आय वितरण को मापता है.

Tags: IMF, Ration card, Ration Cardholders

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