आठ दिन पहले दिल्ली के जहांगीरपुर की गलियों में जहां पत्थर और गोलियां बरसी थी, उन गलियों में रविवार को गुलाब की पत्तियां बरसीं। दोनों समुदायों के बीच के दिलों की दूरियां कम कर सौहार्द कायम करने के लिए तिरंगा यात्रा निकाली गई। एक दूसरे से लोग गले मिलते नजर आए तो छतों से बरसाई जा रही गुलाब की पंखुड़ियों ने इस घटना की तपिश को खत्म कर दिया। हर चेहरे पर मुस्कान, खुशियां एक हफ्ते बाद लौटी तो सभी के दिल में दोबारा पहले जैसा माहौल कायम करने की उम्मीद दिखी। भारी सुरक्षा के बीच लोगों ने एक दूसरे को शांति और सौहार्द का संदेश दिया। यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ने लगी स्थानीय लोग भी शामिल होते हुए और कारवां बनता गया। सड़कों से गुजरती यात्रा का स्वागत करते हुए लोगों के दिलों में इस बात की खुशी दिखी कि जहांगीरपुरी में दोबारा पहले की तरह माहौल कायम होने लगा।
दोनों समुदायों के बीच सौहार्द कायम करने के लिए अमन कमेटी की इस पहल में पहले 50 सदस्यों के शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन एकता, शांति और सदभाव की इस मुहिम से जुड़ते लोगों की संख्या लगातार बढ़ती गई। इलाके में पिछले शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया था।
तिरंगा यात्रा से दोनों समुदायों के बीच के लोगों के दिलों के बीच दूरियों को कम कर, शांति बहाली की दिशा में पहल की गई। हिंदू-मुस्लिम के साथ-साथ जहांगीरपुरी में रहने वाले सभी धर्मों के लोग एकजुट नजर आए। सभी उम्मीदें इसपर टिकी थीं कि कब दोबारा पहले जैसी आपसी भाईचारा और शांति कायम हो।
नफरत फैलाने वालों से दूर रहें, अमन की अपील
न हिंदू बुरा है और न मुसलमान बुरा है, आ जाए बुराई पे तो इंसान बुरा है। कुछ ऐसे ही पैगाम देते हुए अमन कमेटी के सदस्यों ने तिंरगा यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।