झटका: अगले साल आठ फीसदी से कम रहेगी भारत की जीडीपी ग्रोथ, रिपोर्ट में बताई अनुमान घटाने की ये बड़ी वजह


बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 07 Mar 2022 04:32 PM IST

सार

रूस और यूक्रेन के बीच 11 दिनों से जारी संघर्ष भारत समेत कई देशों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। हाल ही चीन ने अपने जीडीपी लक्ष्य को घटाया, तो अब एक रिपोर्ट में भारत की जीडीपी के लिए भी दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष का नुकसानदेय बताया गया है। इसमें वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को आठ फीसदी से भी कम किया गया है। 

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रूस-यूक्रेन के बीच बीते 11 दिनों से भीषण युद्ध जारी है। इस संघर्ष का असर भारत समेत दुनियाभर के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि चीन ने अपने इस साल के लिए अपने जीडीपी लक्ष्य को घटाकर तीन दशक में सबसे कम 5.5 फीसदी कर दिया है। भारत की बात करें तो यहां भी शेयर बाजार से लेकर सोने की कीमतों तक पर युद्ध का प्रभाव पड़ता दिख रहा है। दूसरी ओर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने देश में महंगाई के खतरे को बढ़ा दिया है। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले वित्त वर्ष देश की जीडीपी घटेगी। 

तेल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ पर असर दिखाई देगा। युद्ध के आगे बढ़ने से सप्लाई चेन गड़बड़ा रही है। इसके साथ ही कच्चे तेल से लेकर गैस और सोने की कीमतों तक में उछाल आया है। जिससे आने वाले छह से आठ महीनों में देश में महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा भी रिपोर्ट में वित्तीय दबाव और ज्यादा करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) समेत कई कारकों का जिक्र करते हुए अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023 में देश की जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी से कम रहने की संभावना व्यक्त की है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने देश की जनता पर महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए तेल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग की है। 

कच्चे तेल की कीमतों का असर 
रूस के हमले से जहां एक ओर यूक्रेन जल रहा है, तो वहीं कच्चे तेल की कीमतों में भी आग लगी हुई है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत साल 2008 के बाद सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई। जी हां, कच्चे तेल ने 139 डॉलर प्रति बैरल के बाद बीते 14 साल के नए शिखर को छुआ। एचडीएफसी बैंक का भी वित्त वर्ष 2023 में सीएडी के 2.3 फीसदी पर रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की औसत कीमत में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से सीएडी में 14 से 15 अरब डॉलर का इजाफा होगा।

आर्थिक सर्वे में जताया था ये अनुमान
गौरतलब है कि बीती 31 जनवरी को देश का आम बजट पेश होने से पहले सरकार की ओर से सामने रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी ग्रोथ के 8 से 8.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया था। इससे कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल के लिए भारत की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट ग्रोथ के 7.1 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था। बता दें कि जापानी रिसर्च एजेंसी नोमुरा ने भी हाल ही में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध आगे खिंचता है तो पूरे एशिया में इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारत को होगा। 

विस्तार

रूस-यूक्रेन के बीच बीते 11 दिनों से भीषण युद्ध जारी है। इस संघर्ष का असर भारत समेत दुनियाभर के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि चीन ने अपने इस साल के लिए अपने जीडीपी लक्ष्य को घटाकर तीन दशक में सबसे कम 5.5 फीसदी कर दिया है। भारत की बात करें तो यहां भी शेयर बाजार से लेकर सोने की कीमतों तक पर युद्ध का प्रभाव पड़ता दिख रहा है। दूसरी ओर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने देश में महंगाई के खतरे को बढ़ा दिया है। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले वित्त वर्ष देश की जीडीपी घटेगी। 

तेल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ पर असर दिखाई देगा। युद्ध के आगे बढ़ने से सप्लाई चेन गड़बड़ा रही है। इसके साथ ही कच्चे तेल से लेकर गैस और सोने की कीमतों तक में उछाल आया है। जिससे आने वाले छह से आठ महीनों में देश में महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा भी रिपोर्ट में वित्तीय दबाव और ज्यादा करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) समेत कई कारकों का जिक्र करते हुए अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023 में देश की जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी से कम रहने की संभावना व्यक्त की है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने देश की जनता पर महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए तेल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग की है। 

कच्चे तेल की कीमतों का असर 

रूस के हमले से जहां एक ओर यूक्रेन जल रहा है, तो वहीं कच्चे तेल की कीमतों में भी आग लगी हुई है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत साल 2008 के बाद सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई। जी हां, कच्चे तेल ने 139 डॉलर प्रति बैरल के बाद बीते 14 साल के नए शिखर को छुआ। एचडीएफसी बैंक का भी वित्त वर्ष 2023 में सीएडी के 2.3 फीसदी पर रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की औसत कीमत में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से सीएडी में 14 से 15 अरब डॉलर का इजाफा होगा।

आर्थिक सर्वे में जताया था ये अनुमान

गौरतलब है कि बीती 31 जनवरी को देश का आम बजट पेश होने से पहले सरकार की ओर से सामने रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी ग्रोथ के 8 से 8.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया था। इससे कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल के लिए भारत की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट ग्रोथ के 7.1 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था। बता दें कि जापानी रिसर्च एजेंसी नोमुरा ने भी हाल ही में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध आगे खिंचता है तो पूरे एशिया में इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारत को होगा। 



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