कच्चे खाद्य तेल की कीमतों में आई तेज गिरावट, क्या अन्य खाद्य सामग्रियों पर भी होगा इसका असर?


नई दिल्ली. खाद्य तेल की कीमतों में 2019 के अंत से तेजी शुरू हुई जो अब तक बरकरार है. हालांकि, कच्चा खाद्य तेल अब धीरे-धीरे नरम पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत आने वाली फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के अनुसार, मार्च में फूड प्राइस इंडेक्स 159.7 पॉइंट्स के साथ अपने शीर्ष पर पहुंच गया था. बता दें कि यह रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के अगले महीने हुआ था.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, फूड कमोडिटीज की कीमतें अपने शीर्ष से 3.4 फीसदी गिरकर जून में 154.2 पॉइंट्स पर पहुंच गईं. बात अगर वेजिटेबल ऑयल की करें तो इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली है. यह 251.8 से 211.8 पॉइंट्स तक पहुंच गया है. वहीं, अप्रैल 2020 से मार्च 2022 के बीच इसमें जोरदार तेजी देखने को मिली थी और ये 81.2 पॉइंट से बढ़कर 251.8 पॉइंट तक पहुंच गया था.

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पाम बनाम सॉफ्ट ऑयल
9 मार्च को बुरसा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में क्रूड पाम ऑयल 7,268 रिंगइट पर ट्रेड कर रहा था. वहीं, बीते शुक्रवार को ये गिरकर 4,157 रिंगइट तक पहुंच गया. इसमें करीब 42 फीसदी की गिरावट आई है. 4 महीने पहले इसका लैंडेड प्राइस (तेल और उसकी ढुलाई की कीमत मिलाकर) 2,000 डॉलर प्रति टन था. वहीं, सोयाबीन ऑयल 1,925 डॉलर प्रति टन, सूरजमुखी का कच्चा तेल 2,100 डॉलर प्रति टन था. अब क्रूड पाम 1,185 डॉलर, सोयाबीन 1,460 डॉलर और सूरजमुखी 1,700 डॉलर प्रति टन है. हालांकि, क्रूड पाम ऑयल एक हार्ड ऑयल है. यह सामान्य तापमान पर सेमी सॉलिड फॉर्म में रहता है और किचन में सीधे तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसका उपयोग वनस्पति, ब्रेड, सोप, नमकीन व मिठाई आदि बनाने में किया जाता है. इसका फायदा फैक्ट्रियों और रेस्टोरेंट्स को अधिक मिलेगा. वहीं, आम नागरिक के लिए सॉफ्ट ऑयल (सोयाबीन और सूरजमुखी) के दाम और नीचे आना जरूरी हैं.

भारत का आयात
भारत हर साल करीब 23 मिलियन टन खाद्य तेल की खपत करता है. इसमें से 13.5-14.5 मिलियन टन आयात किया जाता है. आयात किए गए तेलों में मुख्यत: पाम ऑयल, सोयाबीन व सूरजमुखी का तेल है. वहीं. भारत खुद सरसों, सोयाबीन, कॉटनसीड ऑयल और मूंगफली के तेल का उत्पादन करता है.

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आपूर्ति श्रृंखला में राहत
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला में जो बाधाएं पैदा हुई थीं वह अब धीरे-धीरे घट रही हैं. इसके अलावा विभिन्न खाद्य तेल उत्पादक देशों में प्रोडक्शन भी बढ़ा है. इंडोनेशिया (दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल उत्पादक) द्वारा सप्लाई की अधिकता के कारण तेल के दामों पर नीचे की तरफ जाने का दबाव बन रहा है.

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