इन सेक्टर्स पर बुलिश है निवेश की दुनिया का ये बड़ा खिलाड़ी, भारत को लेकर भी आश्वस्त


नई दिल्ली. मोबियस कैपिटल पार्टनर्स के फाउंडर मार्क मोबियस ने कहा है कि वे कन्ज्यूमर गुड्स, सीमेंट और आईटी सर्विसेज कंपनियों पर बुलिश हैं, लेकिन रियल एस्टेट को लेकर निश्चित नहीं है. CNBC-TV18 के साथ एक इंटरव्यू के दौरान मार्क मोबियस ने बुधवार को निवेश के लिए रणनीति पर अपने विचार व्यक्त किए. मोबियस ने कहा कि भारतीय बाजार बहुत अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखेगा. उन्होंने कहा, “भारत को वहीं होना चाहिए, जहां चीन वैश्विक उभरते मार्केट इंडेक्स में है.”

मार्क मोबियस ने कहा, “विभिन्न नियमों, रेगुलेशन्स और अन्य सभी प्रकार की समस्याओं के कारण भारत में रियल एस्टेट एक मुश्किल स्थिति में है. हम सीधे उपभोक्ता के लिए काम करने वाली कंपनियों को पसंद करेंगे, चाहे वह चिकित्सा क्षेत्र में हो, उपभोक्ता उत्पाद, बिल्डिंग मैटिरयल या सॉफ्टवेयर.” मार्क मोबियस दुनियाभर में एक बड़े निवेशक, फंड मैनेजर और एक्सपर्ट के रूप में जाने जाते हैं.

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परसिस्टेंट सिस्टम्स को लेकर क्या कहा
उनका मानना है कि परसिस्टेंट सिस्टम्स (Persistent Systems) जैसी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करेंगी. मोबियस ने कहा, “हम लगातार परसिस्टेंट सिस्टम पर तेजी के दृष्टिकोण पर कायम हैं. उतार-चढ़ाव होंगे… मान लीजिए कि कमाई 20 प्रतिशत बढ़ रही है, लेकिन स्टॉक 50-60 प्रतिशत बढ़ जाता है, तो हम अपना कुछ पैसा निकाल सकते हैं. मोटे तौर पर कहूं तो 10-15 फीसदी का मूवमेंट (किसी भी दिशा में) हो तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.” BSE पर बुधवार को ये स्टॉक 4,336.30 रुपये पर बंद हुआ है.

मोबियस ने बाजार में बार-बार घुसने और फिर निकल जाने के ‘गेम’ को लेकर वार्निंग देते हुए कहा कि आप इससे प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि चीजें अप्रत्याशित रूप से बदल सकती हैं. आप अपना माल बेच चुके हैं और अगर कीमत फिर से बढ़ जाती है तो आप फिर से उसी नाव को पकड़ नहीं पाएंगे.

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अमेरिका के हालातों पर क्या कहा?
अमेरिका में मुद्रास्फीति में रिकॉर्ड वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा पैसे की छपाई और वित्तीय प्रणाली (फाइनेंशियल सिस्टम) में पंपिंग ने अब देश में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जो इससे पहले देखी नहीं थी. मोबियस ने कहा कि सेंट्रल बैंक पैसा छाप रहा है, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को दूर करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं होगी. इसके लिए और उपाय किए जाने की जरूरत है.

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पिछले एक साल में अमेरिकी मुद्रास्फीति 40 से अधिक वर्षों में अपनी सबसे तेज गति से बढ़ी है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स मार्च में 8.5 प्रतिशत बढ़ गया, जो दिसंबर 1981 के बाद से साल-दर-साल सबसे तेज वृद्धि है.

इस बीच, मार्च 2022 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई, जो लगभग डेढ़ साल में सबसे अधिक है. यह लगातार तीसरा महीना है, जिस दौरान मुद्रास्फीति की दर केंद्रीय बैंक की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से भी ऊपर रही.

Tags: Indian economy, Investment, Stock market

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