Health News: देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इतना ही नहीं अब इससे मरने वालों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखी गई है. ओमिक्रोन वेरिएंट के आने के बाद ये संभावना जताई जा रही थी कि इससे संक्रमण (Infection) हल्का होगा लेकिन मौतों की संख्या के अलावा अस्पतालों में मरीजों के बढ़ने के बाद एक फिर चिंता पैदा हो गई है. साथ ही विशेषज्ञ कोरोना (Corona) से होने वाली मौतों के पीछे की वजहों को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान जो बड़ी बात सामने आ रही है वह यह है कि कोरोना से मरने वालों में वैक्सीनेटेड लोगों (Vaccinated People) के मुकाबले टीका न लगवाने वालों या वैक्सीन का एक डोज लेने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है. गौरतलब है कि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अध्ययन में भी कहा गया था कि कोरोना से मौतों में बिना वैक्सीनेशन वाले लोगों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है.
इस बारे में लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP Hospital) के मेडिसिन डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं कि अभी तक अस्पताल में भर्ती किए गए गंभीर मरीजों में देखा गया है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद सबसे ज्यादा उन मरीजों की मौत हुई है जिन्होंने या तो कोरोना की वैक्सीन नहीं ली है या फिर एक ही डोज लगवाई है. इनमें भी अधिकांश वही लोग हैं जो कोमोरबिड (Comorbid) हैं यानि जो पहले से ही अन्य कई गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट डिजीज (Heart Disease), हाइपरटेंशन, कैंसर, लिवर या किडनी ट्रांस्प्लांट (Liver-Kidney Transplant), लाइफस्टाइल डिसऑर्डर जैसे डायबिटीज (Diabetes) या ब्लड प्रेशर (BP) आदि के मरीज हैं. वहीं वैक्सीन की दोनों डोज (Both Dose) लगवाने वालों में देखा गया है कि इनमें कोरोना का संक्रमण तो होता है लेकिन या तो वह गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचते या फिर गंभीर होने पर भी बच जाते हैं.
वहीं बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज स्थित मॉलीक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और जाने-माने वायरोलोजिस्ट प्रोफेसर डॉ. सुनीत कुमार सिंंह कहते हैं कि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर शुरू से ही कहा जा रहा है, वहीं अभी तक कई रिसर्च और अध्ययन भी सामने आ चुके हैं, जिनमें बताया गया है कि कोविड वैक्सीन लेना कितना जरूरी है. कोविड मोर्टेलिटी (Covid Mortality) या इसकी सीवियेरिटी यानि गंभीरता के आंकड़े देखें तो ये बात सामने आ रही है कि कोमोरबिड यानि गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कोरोना हानिकारक हो रहा है.
वे कहते हैं कि वैज्ञानिक रूप से यह बात पुष्ट होती है कि मरीज की कोमोरबिड स्थिति बीमारी की जटिलता या गंभीरता को सार्स कोवि-2 के संक्रमण के बाद बढ़ा देती है. यहीं इसी जगह पर वैक्सीन अपनी भूमिका निभाती है. इस दौरान कोरोना की वैक्सीन सार्स कोवि-2 (Sars CoV-2) के संक्रमण तो नहीं रोक पाती है लेकिन बीमारी की गंभीरता को कम करने का काम करती है जिसकी वजह से मृत्युदर को घटाने में मदद मिलती है. डॉ. सुनीत कहते हैं कि ऐसे में अगर व्यक्ति ने कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) नहीं ली है या सिर्फ इसकी एक ही डोज ली है तो जब कोमोरबिड मरीज कोरोना से संक्रमित होता है तो वह अपनी पुरानी बीमारी से और भी ज्यादा बीमार हो जाता है और उसे आईसीयू (ICU) या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ने लगती है. ऐसे में कोरोना होने पर मरीज को गहरा और कई गुना नुकसान होता है जो कि मृत्यु तक पहुंच जाता है.
लोग क्यों नहीं कराते वैक्सीनेशन
इस बारे में डॉ. सुरेश कहते हैं कि अस्पताल में भर्ती होने के लिए आने वाले मरीजों से उनकी पूरी जानकारी ली जाती है जिसमें यह बात सामने आती है कि उन्होंने वैक्सीनेशन नहीं कराया है तो उनसे इसकी वजह पूछी जाती है. जिसमें ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि किसी को कैंसर (Cancer), हार्ट की समस्या, हाइपरटेंशन, बीपी या शुगर की दिक्कतें होती हैं और वे सोचते हैं कि वैक्सीन लगवा लेंगे तो उन्हें नुकसान होगा. जबकि कई लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के कहने पर वैक्सीनेशन नहीं कराते. कुछ लोग बहुत अधिक बुजुर्ग होते हैं तो वैक्सीन नहीं लगवाते. कुछ लोग ये सोचते हैं कि कोरोना होना ही है तो वैक्सीन क्यों लगवाएं, जबकि वे वैक्सीनेशन के फायदे के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते.
लोग क्यों नहीं कराते वैक्सीनेशन
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