आज का शब्द: गठन और रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘उर्वशी’ से चुनिंदा अंश 


                
                                                             
                            अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- गठन, जिसका अर्थ है- निर्माण, संस्थापना, रचना, बनावट, गठे होने की अवस्था या भाव। प्रस्तुत है रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित उर्वशी से चुनिंदा अंश 
                                                                     
                            

सहजन्या
कौन व्यथा उर्वशी भला पाएगी भू पर जाकर?
सुख ही होगा उसे वहाँ प्रियतम को कंठ लगाकर।

रम्भा-
सो सुख तो होगा , परंतु, यह मही बड़ी कुत्सित है
जहाँ प्रेम की मादकता मॅ भी यातना निहित है
नहीं पुष्प ही अलम, वहाँ फल भी जनना होता है
जो भी करती प्रेम,उसे माता बनना होता है।

और मातृ-पद को पवित्र धरती ,यद्यपि कहती है,
पर, माता बनकर नारी क्या क्लेश नहीं सहती है?
तन हो जाता शिथिल, दान में यौवन गल जाता है
ममता के रस में प्राणों का वेग पिघल जाता है।

रुक जाती है राह स्वप्न-जग में आने-जाने की,
फूलों में उन्मुक्त घूमने की सौरभ पाने की। 
मेघों में कामना नहीं उन्मुक्त खेल करती है,
प्राणों में फिर नही इन्द्रधनुषी उमंग भरती है।

रोग, शोक, संताप, जरा, सब आते ही रहते हैं,
पृथ्वी के प्राणी विषाद नित पाते ही रहते हैं।
अच्छी है यह भूमि जहाँ बूढ़ी होती है नारी,
कण भर मधु का लोभ और इतनी विपत्तियाँ सारी?

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14 minutes ago



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