आज का शब्द: सार्थक और कृष्णमोहन झा की कविता- मैं पत्थर छूता हूँ तो मुझे उन लोगों के ज़ख़्म दिखते हैं 


                
                                                             
                            अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- सार्थक, जिसका अर्थ है- जिसका कुछ अर्थ हो या अर्थवान। प्रस्तुत है कृष्ममोहन झा की कविता-  मैं पत्थर छूता हूँ तो मुझे उन लोगों के ज़ख़्म दिखते हैं
                                                                     
                            

मैं पत्थर छूता हूँ 
तो मुझे उन लोगों के ज़ख़्म दिखते हैं 
जिनकी तड़प में वे पत्थर बने 
मैं छूता हूँ माटी 
तो मुझे पृथ्वी की त्वचा से लिपटी 
विलीन फूलों की महक आती है 

मैं पेड़ छूता हूँ 
तो मुझे क्षितिज में दौड़ने को बेकल 
नदियों की पदचाप सुनाई पड़ती है 
और आसमान को देखते ही 
वह सनसनाता तीर मुझे चीरता हुआ निकल जाता है 
जो तुम्हारे पीठ से जन्मा है 
मेरे आस-पास सन्नाटे को बजने दो 
और चली जाओ 

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56 minutes ago



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