इस वक्त भूलकर भी नहीं तोड़ने चाहिए तुलसी के पत्ते, जीवन में हो जाएगा अमंगल


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tulsi plant rules

हिंदू धर्म को सनातन धर्म का दर्जा दिया गया है। यहां पेड़ पौधौ और पशुओं में भी ईश्वरीय सत्ता देखी जाती है। ऐसा ही एक पौधा है तुलसी। हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधा माना गया है, और लगभग हर घर में ये पौधा देखने को मिल जाता है।

वास्तु औऱ ज्योतिष के नजरिए से भी देखा जाए तो  तुलसी को बेहद शुभ पौधा माना गया है। तुलसी की पूजा का प्रावधान है और इसके पत्तों को लेकर भी कुछ नियम बनाए गए हैं। 

आज हम आपको बताएंगे कि तुलसी के पत्तों को लेकर बने कुछ नियम ताकि आप इन्हें ध्यान में रख सकें।

  • तुलसी के पत्ते को तोड़ना है तो नाखूनों का प्रयोग ना करें, ना ही हाथ मारकर या लकड़ी से इसके पत्ते तोड़ने चाहिए। तुलसी के पत्ते तोड़ते समय हमेशा उंगलियों के पोरों का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले तुलसी मां से प्रार्थना करके उनसे अनुमति लेने की बात भी हिंदू धर्म में की गई है।
  • बिना स्नान किए तुलसी जी को भूलकर भी नहीं छूना चाहिए, इससे वो अपवित्र मानी जाती है और जातक पाप का भागी बनता है।
  • सूखी हुई तुलसी को फेंकने की बजाय किसी पवित्र नदी में बहा देना चाहिए। 
  • ऐसे में सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। 
  • अमावस्या, द्वादशी और चतुर्दशी के दिन भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए।
  • रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और ना ही इसमे जल अर्पित करना चाहिए।
  • सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय मौजूद भोजन पर तुलसी के पत्ते रख देने चाहिए। इससे इन पर ग्रहण का असर नहीं पड़ता। 
  • भोलेनाथ और गणेश जी को तुलसी पत्र अर्पित नही करने चाहिए। भगवान विष्णु को पूजा के दौरान नियमित तौर पर तुलसी के पत्ते अर्पित करने चाहिए। इससे शुभ फल मिलते हैं।



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