Uber Files: क्या भारत में गलत तरीकों को बढ़ावा दे रहा था उबर, सरकार को लेकर कैसे कर्मचारियों को बहका रही थी कैब कंपनी?


दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुकी कैब सेवा प्रदाता कंपनी ‘उबर’ को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं। हाल ही में ब्रिटेन के ‘द गार्डियन’ अखबार ने 2013 से 2017 के बीच के कंपनी के 1 लाख 24 हजार गुप्त दस्तावेजों के हवाले से उबर के कारोबार के गलत तरीकों को उजागर किया। इनमें बताया गया है कि आखिर कैसे कंपनी ने नैतिक रूप से गलत और कई देशों में अवैध तरीके आजमा कर खुद को वैश्विक स्तर पर ऊंचाई पर पहुंचाया। 

द गार्डियन को जो 2013 से 2017 तक के जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उनमें 83 हजार से ज्यादा ई-मेल और व्हाट्सएप मैसेज भी हैं। लीक हुए दस्तावेज जिस अवधि के हैं, उस समय उबर को इसके सह-संस्थापक ट्रैविस केलेनिक संचालित करते थे। उस समय कंपनी ने कानूनों की अनदेखी करते हुए अपने पैर पसारने की नीति अपनाई थी। जब इसके खिलाफ माहौल बना, तो कंपनी ने विभिन्न देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, वहां के अरबपति व्यापारियों और मीडिया का समर्थन हासिल करने के लिए अनुचित तरीके अपनाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी अधिकारी इस बात से पूरी तरह परिचित थे कि वे कानून तोड़ रहे हैं। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं है कि भारत में उबर के ऑपरेट करने का क्या तरीका था और कैसे कंपनी ने देश में पैर पसारने के लिए गलत कदम उठाए…

भारत में कैसा था कंपनी का रवैया?

भारत में उबर ने अपनी सेवाओं की शुरुआत 2013 में की थी। इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स को साझा किए गए दस्तावेजों से सामने आता है कि उबर ने सेवा शुरू करने के एक महीने बाद भारत में काम कर रहे कर्मचारियों को गलत सलाहें देना शुरू कर दिया था। 23 अगस्त 2014 को उबर के तत्कालीन एशिया प्रमुख एलेन पेन ने टीम से एक संदेश में कहा था- “हंगामे को समाहित करने के लिए तैयार रहें। इसका मतलब है कि आप कुछ अहम काम कर रहे हैं।”

उबर फाइल्स से सामने आता है कि कुछ महीने बाद दिसंबर 2014 में जब दिल्ली में एक उबर ड्राइवर पर 25 साल की महिला से रेप का आरोप लगा, तब पुलिस ने उबर से ड्राइवर को लेकर जवाब मांगा था। हालांकि, जहां कंपनी में इस घटना को लेकर हंगामा मच गया, वहीं यूरोप में बैठे अधिकारियों ने इस पूरे मामले में सरकार को ही दोषी ठहराने की कोशिश की। उबर ने यहां तक कहा था कि सरकारी अधिकारियों की तरफ से उबर के ड्राइवरों का बैकग्राउंड चेक ठीक ढंग से नहीं किया गया। 

रिपोर्ट के मुताबिक, उबर के यूरोप और दक्षिण एशिया के सार्वजनिक नीति प्रमुख मार्क मैकगान ने 8 दिसंबर को एक मेल लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था- “हम अभी संकट में हैं और मीडिया पूरी तरह गर्माया है। भारत में ड्राइवर लाइसेंस्ड था, लेकिन इस पूरी घटना की वजह स्थानीय लाइसेंसिंग स्कीम है। भारत में हुई घटना के बाद अब अमेरिका में इस बात को लेकर शंका जताई जा रही है कि जिन भी जगहों पर हमारी सेवाएं हैं, उन सभी जगहों पर हमारे खिलाफ जांच होगी। खासकर ड्राइवरों के बैकग्राउंड चेक से जुड़े मुद्दों पर।”

घटना के ठीक बाद मैकगान ने कहा था कि यह कंपनी की गलती नहीं, बल्कि इसके लिए भारत का सिस्टम जिम्मेदार है। उन्होंने ई-मेल में लिखा था- “हम सभी क्षेत्रों में बैकग्राउंड चेक की प्रक्रिया को मजबूत बनाना चाहते हैं। खासकर भारत में हुई घटना के बाद, जहां पूरी गलती सरकारी सिस्टम की है।”

उबर में यूरोप, दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कारोबार पर नजर रखने वाले तत्कालीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियाल वास ने 9 दिसंबर को मेल में लिखा था- “हमने वह सब किया, जो भारतीय नियामकों के मुताबिक जरूरी होता है। लेकिन यह साफ है कि भारत में किसी ड्राइवर को कमर्शियल लाइसेंस दिए जाने में जो जरूरी जांच होती है, वह सरकारी अधिकारियों की तरफ से नहीं की गई।” वास ने घटना के लिए उबर की जवाबदेही तय करने के बजाय सरकार को घेरते हुए कहा था कि भारत में लाइसेंस देने की प्रक्रिया में बड़ी कमियां हैं, क्योंकि जिस ड्राइवर पर आरोप हैं, उस पर पहले भी दुष्कर्म के आरोप लग चुके थे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसके कैरेक्टर सर्टिफिकेट को लेकर जांच नहीं की। 

कैसे सरकार के खिलाफ कर्मचारियों को भड़का रही थी कैब कंपनी?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एलन पेन ने दिल्ली घटना के बाद भारत में कर्मचारियों को ई-मेल किया था। इसमें उन्होंने अधिकारियों के सवाल-जवाबों से बचने के तरीके बताए थे। पेन ने लिखा था- “चाहे हमारे प्रतियोगी और उनसे जुड़े हित कुछ भी कहें। आप और उबर भारत के सुधार में मदद कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “उबर में आपके कार्यकाल के दौरान हो सकता है कि हमें भारत के हर शहर में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग मुद्दों का सामना करना पड़े। लेकिन आप लोग सरकार और उसके करीबियों से कतई बात न करें। कम से कम तब तक जब तक जॉर्डन (उबर एशिया के सार्वजनिक नीतियों के प्रमुख जॉर्डन कॉन्डो का जिक्र) की तरफ से निर्देश न दिए जाएं।” 

उन्होंने मेल में कहा था- “तब तक अधिकारी हमसे जो भी चाहते हैं उस पर या तो हम उन्हें जवाब नहीं देंगे या उन्हें हर बात पर न कहेंगे। हम उन्हें रोकने की भी कोशिश करेंगे। हम इसी तरह ऑपरेट करते हैं और यह सर्वश्रेष्ठ तकनीक है। इस नजरिए को अपना लीजिए, ताकि हमें बाजार में जगह बनाने से कोई न रोक पाए।”



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