सार
UGC AICTE Advisory: पाकिस्तानी डिग्री को बैन करने की घटना पहली बार नहीं हुई है न ही केवल भारत ही ऐसा देश है जिसने यह फैसला किया है। इससे पहले साल 2019 में सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान से डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को देश में काम करने से रोक लगा दी थी।
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UGC AICTE Advisory: कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के कारण भारत के छात्रों को अब तक चीन और यूक्रेन में शिक्षा को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा था। अब इसमें पाकिस्तान का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी (AICTE) ने अब पाकिस्तान से शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए पाकिस्तान न जाने की सलाह दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
यूजीसी और एआईसीटीई ने अपनी एडवाइजरी में पाकिस्तान से उच्च शिक्षा की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को हिदायत देते हुए कहा है कि पाकिस्तान से हासिल की गई डिग्री को भारत में मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही पाकिस्तानी डिग्री धारकों को भारत में नौकरी प्राप्त करने के भी योग्य नहीं माना जाएगा। इसलिए छात्रों को उच्च शिक्षा की राह चुनते वक्त पाकिस्तान को अपनी सूची में न रखने की सलाह दी गई है। यह नियम सभी भारतीय नागरिकों और विदेश में रहने वाले भारतीयों पर भी लागू होगा।
क्यों लिया गया फैसला?
पाकिस्तानी डिग्री को बैन करने की घटना पहली बार नहीं हुई है न ही केवल भारत ही ऐसा देश है जिसने यह फैसला किया है। इससे पहले साल 2019 में सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान से डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को देश में काम करने से रोक लगा दी थी। हालांकि, भारतीय परिपेक्ष्य में देखें तो इस कदम के पीछे का कारण कोई नया नहीं दिखता। दरअसल, पाकिस्तान में उच्च शिक्षा हासिल करने जाने वाले भारतीय छात्रों में अधिकतर छात्र जम्मू-कश्मीर के होते हैं। पाकिस्तान ने इनके लिए अपने विश्वविद्यालयों में आरक्षण और छात्रवृत्ति आदि की भी व्यवस्था की है। हालांकि, इस शिक्षा की आड़ में पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबो को अंजाम देने की कोशिश में लगा होता है। बीते कई सालों से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। सुरक्षा एंजेंसियों और पुलिस ने समय-समय पर कई ऐसे मामलों को उजागर भी किया है। इसके साथ ही पाकिस्तान में जारी आर्थिक और राजनीतिक संकट भी छात्रों के भविष्य को अधर में लटका सकती है। यही सब कारण है कि यूजीसी और एआईसीटीई ने यह एडवाइजरी जारी की है।
क्या सभी पर पड़ेगा असर?
नहीं, जारी की गई एडवाइजरी के सभी भारतीय नागरिकों और विदेश में रहने वाले भारतीयों पर लागू होंगे। लेकिन भारत की नागरिकता लेने वाले प्रवासियों और उनके बच्चो को इसमें छूट भी दी गई है। पाकिस्तान में शिक्षा हासिल करने वाले प्रवासी और उनके बच्चे भारत के गृह मंत्रालय से सुरक्षा मामलों पर क्लियरेंस मिलने के बाद नौकरी तलाशने के योग्य होंगे।
पाकिस्तान की ओर से आया जवाब
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी (AICTE) की ओर से पाकिस्तानी डिग्रियों की मान्यता रद्द करने के फैसले पर पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की निंदा की है और मामले पर स्पष्टीकरण भी मांगा है। पाकिस्तान की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि भारत सरकार छात्रों पर अपनी पसंद की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिए दबाव डाल रही है। पाकिस्तान भारत की ओर से लिए गए इस भेदभाव वाले कदम के जवाब में उचित कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
कितने भारतीय छात्र हैं पाकिस्तान में?
भारत की ओर से लिए गए इस फैसले से इस बात का अभी अंदाजा नहीं लगाया गया है कि कितने छात्र प्रभावित होंगे। पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि कश्मीर के छात्र पाकिस्तान के कुछ विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं, लेकिन हमारे पास कोई फिक्स डेटा नहीं है।
चीन में शिक्षा को लेकर भी किया गया था आगाह
बीते महीने यूजीसी और एआईसीटीई ने चीन से भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों के लिए भी एडवाइजरी जारी की थी। इसमें छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए चीन को चुनने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी। दरअसल, चीन में साल 2020 से जारी कोरोना प्रतिबंधों के कारण हजारों भारतीय छात्र अब तक वहां अपने संबंधित विश्वविद्यालय नहीं लौट पाए हैं। एडवाइजरी जारी होने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग यी से छात्रों की वापसी को लेकर चर्चा की थी। हालांकि, इस पर कोई भी सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए थे। चीन के विश्वविद्यालयों की ओर से छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। हालांकि, जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया था कि यूजीसी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के नियमानुसार बिना किसी पूर्व अनुमति के ऑनलाइन माध्यम से ली गई डिग्रियों को अब तक मान्यता नहीं दी गई है। इस कारण कई छात्रों का भविष्य अब अधर में लटका हुआ है।
यूक्रेन संकट से भी हुआ नुकसान
यूक्रेन और रूस में जारी युद्ध के कारण हजारों भारतीय छात्रों को अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ कर वापस लौटना पड़ा था। सरकार छात्रों की शिक्षा को पूरी कराने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों से संपर्क में तो है लेकिन अब तक इसपर कोई आखिरी फैसला नहीं आया है। कुछ ही समय पहले नेशनल मेडिकल काउंसिल यानी (NMC) ने भी विदेशों से ऑनलाइन मेडिकल कोर्स करने वाले छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन यानी (FMGE) के लिए पात्र न होने की बात कही थी। विदेश से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को भारत में डॉक्टरी की प्रक्टिस करने के लिए एफएमजीई परीक्षा को पास करना आवश्यक होता है। हालांकि, बहुत कम ही छात्र इसमें सफल हो पाते हैं।
विस्तार
UGC AICTE Advisory: कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के कारण भारत के छात्रों को अब तक चीन और यूक्रेन में शिक्षा को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा था। अब इसमें पाकिस्तान का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी (AICTE) ने अब पाकिस्तान से शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए पाकिस्तान न जाने की सलाह दी गई है।
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