सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन और विपक्षी नेताओं के बीच हुई तकरार


नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने शुक्रवार को एक सम्मेलन के दौरान विपक्षी दलों को अपनी पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र और प्रतिभावान लोगों को प्रोत्साहन देने समेत कई सुझाव दिए. फिर वह ‘अत्यावश्यक कार्य’ होने की बात कह कर कार्यक्रम से जल्द चले गए, जिसपर अन्य प्रतिभागियों ने विरोध प्रकट किया. मातृभूमि मीडिया समूह के अध्यक्ष एवं समाजवादी नेता एम.पी. वीरेंद्र कुमार की 86वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक सम्मेलन में विदेश एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुरलीधरन ने अपने विचार रखे.

इस सम्मेलन में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जॉन ब्रितास, भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वप्न दासगुप्ता व एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव मौजूद थे. वी. मुरलीधरन ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ’वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विपक्ष को लगता है कि भारत की कोई भी उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाते में जाएगी और इसलिए वह इसकी सराहना नहीं करता. क्या यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है?’

केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने कांग्रेस पर साधा निशाना
मंत्री ने ज्यादातर मलयालम में दिए 30 मिनट के अपने भाषण में कहा कि लोकतंत्र में सभी को आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन उनके गृह राज्य केरल में मुख्यमंत्री की आलोचना करने पर किसी को जेल में डाला जा सकता है. कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार की एजेंसियां कानूनी प्रक्रिया के तहत किसी को पूछताछ के लिए समन भेजती हैं तो लोग देशभर में सड़कों पर उतर कर ‘लोकतंत्र खतरे में है’ का नारा लगाते हैं.

पवन खेड़ा और योगेंद्र यादव ने की रोकने की कोशिश
वी. मुरलीधरन जब सम्मेलन से जाने लगे तो पवन खेड़ा और स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव ने उन्हें रोकने का प्रयास किया और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब सुनकर उनसे जाने का आग्रह किया. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ’सरकार वह सुनना नहीं चाहती जो हमें कहना है. आप इसे लोकतंत्र कहते हैं? वहीं, प्रशांत भूषण ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि लोकतंत्र में धन बल की भूमिका कई गुना बढ़ गई है.

मातृभूमि अखबार का प्रकाशन 18 मार्च, 1923 से आरंभ हुआ था. आपको बता दें कि मलयालम दैनिक ’मातृभूमि’ दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित अखबारों में से एक है और आज भी इसकी महत्ता बनी हुई है. मातृभूमि के 15 संस्करण और 11 पत्र-पत्रिकाएं हैं. इसके अलावा ’मातृभूमि बुक्स’ प्रभाग विस्तृत सम-सामयिक विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन करता है.

Tags: New Delhi news, Political news



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