UP By-Election: आजमगढ़ उपचुनाव से बदल सकती है यूपी की सियासत, बसपा को मिली जीत तो मायावती की वापसी के मिलेंगे संकेत   


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यूपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट 1996 से ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच का मामला रही है। 2009 में इस परंपरा को भाजपा ने तोड़ने में सफलता जरूर पाई थी, लेकिन उस चुनाव में भी उसके उम्मीदवार रमाकांत यादव की पृष्ठभूमि सपा-बसपा वाली ही थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई सीट पर एक बार फिर आज मतदान हुआ, लेकिन इस बार इस लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है। 

भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ को इस बार भी बहुत गंभीर उम्मीदवार नहीं माना जा रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव परिवार की प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई लड रहे हैं। आजमगढ़ सीट पर इस बार बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। यदि वे यहां से बसपा को जीत दिलाने में कामयाब हो जाते हैं तो इसका प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव होने का संकेत जाएगा। 

दरअसल, 2022 विधानसभा चुनाव परिणाम के सामने आने के बाद से ही लगातार यह बात कही जा रही है कि अखिलेश यादव मुस्लिम मतदाताओं के सहारे ही एक सम्मानजनक सीट संख्या तक पहुंचने में कामयाब हो पाए, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने उन अहम अवसरों पर मुसलमानों के लिए आवाज नहीं उठाई जिसकी वे उनसे उम्मीद कर रहे थे। जब उत्तर प्रदेश में जगह-जगह पर बुलडोजर चल रहे थे और एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा रहा है, तब उन्होंने इसके खिलाफ मुखर विरोध नहीं किया। 

अखिलेश को हो सकता है नुकसान
पार्टी के दूसरे सबसे अहम नेता आजम खान के जेल में बंद होने के दौरान भी अखिलेश यादव की उनसे मुलाकात न होने को नकारात्मक रूप से देखा गया। आजम खान के अपने बयानों में भी अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी दिखाई पड़ी थी। बाद में उनके बीमार होने के बाद अखिलेश यादव उनसे मिलने अस्पताल जरूर पहुंचे और दावा किया गया कि दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच जमी बर्फ अभी पिघली नहीं है।

इन कारणों से मुस्लिम मतदाताओं का समाजवादी पार्टी से मोहभंग होने की बात कही जा रही है। ऐसे में यदि यह संदेश नीचे तक पहुंचता है और मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग समाजवादी पार्टी से छिटककर बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार गुड्डू जमाली के पक्ष में जाता है तो यह मुस्लिम मतदाताओं के रुझान में बड़ा बदलाव होगा। माना जा रहा है कि इसका बड़ा असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ना तय है। अखिलेश यादव का समाजवादी पार्टी उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव के पक्ष में प्रचार के लिए न जाने को भी अलग दृष्टि से देखा जा रहा है।

जमाली की ताकत
आजमगढ़ उपचुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर यह देखने को मिल सकता है कि यहां के अगड़े मतदाता भाजपा की बजाय बसपा उम्मीदार के लिए वोट कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि स्थानीय उम्मीदवार होने के नाते गुड्डू जमाली यहां के हर वर्ग के मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखते हैं और उनके लोगों से परस्पर करीबी संबंध हैं। शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय होने के नाते यहां के लोगों से उनके पारिवारिक संबंध हैं और लोग उन्हें बहुत अच्छे व्यक्ति के तौर पर देखते हैं। गुड्डू जमाली की यह ताकत सपा और भाजपा दोनों दलों के दिग्गज उम्मीदवारों को पस्त कर सकती है।

बसपा बड़ी ताकत बनकर उभरेगी
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता फैजान खान ने अमर उजाला को बताया कि आजमगढ़ उपचुनाव में उनकी जीत तय है। इसका कारण गुड्डू जमाली का स्थानीय होने के साथ-साथ उनकी लोगों में लोकप्रियता और मधुर संबंध हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव मुसलमानों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और अब उनका झुकाव बसपा की ओर हो रहा है। इस चुनाव से प्रदेश में एक नई राजनीति की शुरूआत होगी और बसपा बड़ी ताकत बनकर उभरेगी। 

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यूपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट 1996 से ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच का मामला रही है। 2009 में इस परंपरा को भाजपा ने तोड़ने में सफलता जरूर पाई थी, लेकिन उस चुनाव में भी उसके उम्मीदवार रमाकांत यादव की पृष्ठभूमि सपा-बसपा वाली ही थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई सीट पर एक बार फिर आज मतदान हुआ, लेकिन इस बार इस लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है। 

भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ को इस बार भी बहुत गंभीर उम्मीदवार नहीं माना जा रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव परिवार की प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई लड रहे हैं। आजमगढ़ सीट पर इस बार बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। यदि वे यहां से बसपा को जीत दिलाने में कामयाब हो जाते हैं तो इसका प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव होने का संकेत जाएगा। 

दरअसल, 2022 विधानसभा चुनाव परिणाम के सामने आने के बाद से ही लगातार यह बात कही जा रही है कि अखिलेश यादव मुस्लिम मतदाताओं के सहारे ही एक सम्मानजनक सीट संख्या तक पहुंचने में कामयाब हो पाए, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने उन अहम अवसरों पर मुसलमानों के लिए आवाज नहीं उठाई जिसकी वे उनसे उम्मीद कर रहे थे। जब उत्तर प्रदेश में जगह-जगह पर बुलडोजर चल रहे थे और एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा रहा है, तब उन्होंने इसके खिलाफ मुखर विरोध नहीं किया। 

अखिलेश को हो सकता है नुकसान

पार्टी के दूसरे सबसे अहम नेता आजम खान के जेल में बंद होने के दौरान भी अखिलेश यादव की उनसे मुलाकात न होने को नकारात्मक रूप से देखा गया। आजम खान के अपने बयानों में भी अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी दिखाई पड़ी थी। बाद में उनके बीमार होने के बाद अखिलेश यादव उनसे मिलने अस्पताल जरूर पहुंचे और दावा किया गया कि दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच जमी बर्फ अभी पिघली नहीं है।

इन कारणों से मुस्लिम मतदाताओं का समाजवादी पार्टी से मोहभंग होने की बात कही जा रही है। ऐसे में यदि यह संदेश नीचे तक पहुंचता है और मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग समाजवादी पार्टी से छिटककर बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार गुड्डू जमाली के पक्ष में जाता है तो यह मुस्लिम मतदाताओं के रुझान में बड़ा बदलाव होगा। माना जा रहा है कि इसका बड़ा असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ना तय है। अखिलेश यादव का समाजवादी पार्टी उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव के पक्ष में प्रचार के लिए न जाने को भी अलग दृष्टि से देखा जा रहा है।

जमाली की ताकत

आजमगढ़ उपचुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर यह देखने को मिल सकता है कि यहां के अगड़े मतदाता भाजपा की बजाय बसपा उम्मीदार के लिए वोट कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि स्थानीय उम्मीदवार होने के नाते गुड्डू जमाली यहां के हर वर्ग के मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखते हैं और उनके लोगों से परस्पर करीबी संबंध हैं। शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय होने के नाते यहां के लोगों से उनके पारिवारिक संबंध हैं और लोग उन्हें बहुत अच्छे व्यक्ति के तौर पर देखते हैं। गुड्डू जमाली की यह ताकत सपा और भाजपा दोनों दलों के दिग्गज उम्मीदवारों को पस्त कर सकती है।

बसपा बड़ी ताकत बनकर उभरेगी

बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता फैजान खान ने अमर उजाला को बताया कि आजमगढ़ उपचुनाव में उनकी जीत तय है। इसका कारण गुड्डू जमाली का स्थानीय होने के साथ-साथ उनकी लोगों में लोकप्रियता और मधुर संबंध हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव मुसलमानों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और अब उनका झुकाव बसपा की ओर हो रहा है। इस चुनाव से प्रदेश में एक नई राजनीति की शुरूआत होगी और बसपा बड़ी ताकत बनकर उभरेगी। 



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