UP By-Election Result: रामपुर की हार से ऐसे नपेगा अब आजम और यादव परिवार का कद ! क्या अंदरूनी कलह की वजह से आए यह परिणाम


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समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की हनक और ठसक के आगे किसी की नहीं चली थी। यही वजह रही कि अपनी परंपरागत रामपुर लोक सभा की सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से लोकसभा प्रत्याशी उनकी पसंद का चुना गया। लेकिन जब रिजल्ट आए तो समाजवादी पार्टी के पैरों तले जमीन खिसक गई।

सपा का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में आजम खान का जलवा बरकरार नहीं रह पाया और आजमगढ़ में भी यादव परिवार का जलवा धराशायी हो गया। चुनाव के नतीजे से चर्चाओं का बाजार इस बात के लिए गर्म है कि क्या आजम खान का रुतबा उसी तरीके से समाजवादी पार्टी में अब बना रह पाएगा या नहीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यह काम तो अब पार्टी का है लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि रामपुर का गढ़ हारने से आजम खान कि वह हनक अब शायद ही उतनी ही रह सके।

रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के हाथ से उनकी अपनी परंपरागत सीटें चली गईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजमगढ़ और रामपुर सीटों के हारने से न सिर्फ यादव परिवार बल्कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के कद भी आकलन शुरू कर दिया जाएगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है जिस तरीके से रामपुर में लोकसभा के उप चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के बीच में ही संग्राम मचा और आजम खान समेत तमाम कद्दावर नेताओं के बीच नाराजगी से लेकर तनातनी का दौर चला। उससे समाजवादी पार्टी में चुनावी परिणाम और उसके बाद राजनैतिक हैसियत का आकलन तो किया ही जाएगा। वह कहते हैं कि इसमें सबसे ज्यादा अब निशाने पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान रहेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है जिस तरीके से रामपुर में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव हारा है उसको राजनैतिक गलियारे में आजम खान की एक व्यक्तिगत हार के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस इस हार के असल मायने आजम खान भी बखूबी समझ रहे होंगे।

रामपुर और आजमगढ़ के परिणामों को लेकर समाजवादी पार्टी के एक पूर्व नेता कहते हैं कि जब चुनाव से पहले ही इतनी ज्यादा रस्साकसी थी तो उसके परिणाम इस तरीके से आने ही थे। उक्त नेता का कहना है दरअसल समाजवादी पार्टी का एक बड़ा धड़ा लोकसभा के उपचुनावों के परिणाम से आजम खान की हैसियत का अंदाजा भी लगाना चाहता था। दरअसल आजम खान जेल से निकलने के बाद न सिर्फ समाजवादी पार्टी के विधायक सिर्फ शिवपाल यादव के साथ थे बल्कि तमाम तरीके के राज्य की कयास भी लगाए जा रहे थे। उक्त नेता का कहना है कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेता इस बात को अलग-अलग नजरिए से देख भी रहे थे और चुनाव के परिणामों का आकलन भी पहले से ही कर रहे थे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खां के गढ़ में समाजवादी पार्टी के चुनाव हारने का सीधा सीधा मतलब समाजवादी पार्टी में आजम खान की कमजोर पकड़ मानी जाएगी और इसी के साथ उनके राजनीतिक भविष्य का भी आकलन किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता जो अब भारतीय जनता पार्टी में अहम पद पर हैं उनका कहना है कि आजम खान अपनी पुरानी हैसियत के दम पर ही लोकसभा के उपचुनाव से पहले सपा मुखिया के साथ तल्खी भी बढ़ी थी।लेकिन अब आए परिणामों से समाजवादी पार्टी के बड़े नेता उन पर हावी हो सकते हैं। उनका कहना है दरअसल जिसकी वजह से आजम खान अपना जलवा सपा में बरकरार रखना चाहते थे वह रामपुर के लोकसभा चुनाव में कमजोर पड़ गया है।

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि उपचुनावों में आए नतीजे निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी को आत्ममंथन करने के लिए मजबूर करेंगे। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी का जो भी परिणाम इस लोकसभा चुनावों में आया है वह आपसी विवाद एक बड़ी वजह भी मानी जा सकती है। उनका कहना है जिस तरीके से लोकसभा उपचुनाव से पहले आजमगढ़ और रामपुर में टिकटों के बंटवारे को लेकर के तमाम तरह की बातें सामने आई, वह निश्चित तौर पर पार्टी के लिए आने वाले चुनावों से पहले आत्ममंथन करने को कहती हैं। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी के दो सबसे मजबूत किले रामपुर और आजमगढ़ फिलहाल लोकसभा के उपचुनाव में में टूट गए हैं। वह कहते हैं कि कहने को तो उपचुनावों की बहुत अहमियत नहीं मानी जाती है लेकिन जब लोकसभा के चुनाव सिर पर हो तो एक संदेश निश्चित तौर पर जनता के बीच में जाता है। और वह संदेश इन लोक सभा के उपचुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए मजबूती देने वाला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी के एक धड़े ने इस हार को तो स्वीकार कर लिया है लेकिन अंदर खाने चर्चा इस बात की भी है कि जिस तरीके से चुनाव से पहले आजम खान ने माहौल बनाया उससे पार्टी का नुकसान हुआ है। इसके अलावा आजमगढ़ में भी यादव परिवार की अंदरूनी उठापटक की वजह से ही बादशाहा छिनी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता और युवा मोर्चा के प्रवक्ता मोहित शर्मा कहते हैं की उत्तर प्रदेश की जनता को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि योगी आदित्यनाथ के शासन काल में किस तरीके की कानून व्यवस्था चल रही है। योगी-मोदी की डबल इंजन सरकार से न सिर्फ प्रदेश का विकास हो रहा है बल्कि यहां पर बुलडोजर चल रहा है। मोहित कहते हैं रामपुर और आजमगढ़ में जीत तो भारतीय जनता पार्टी की नीतियों की है। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी में आजम खान और अखिलेश यादव के बीच में कैसी केमिस्ट्री है इससे भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना देना नहीं। यह तो समाजवादी पार्टी का अपना अंदरूनी मामला है। वह अपना इससे निपटें। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि जनता ने एक बार फिर दिखा दिया कि डबल इंजन की सरकार पर लोगों का भरपूर भरोसा है। 

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समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की हनक और ठसक के आगे किसी की नहीं चली थी। यही वजह रही कि अपनी परंपरागत रामपुर लोक सभा की सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से लोकसभा प्रत्याशी उनकी पसंद का चुना गया। लेकिन जब रिजल्ट आए तो समाजवादी पार्टी के पैरों तले जमीन खिसक गई।

सपा का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में आजम खान का जलवा बरकरार नहीं रह पाया और आजमगढ़ में भी यादव परिवार का जलवा धराशायी हो गया। चुनाव के नतीजे से चर्चाओं का बाजार इस बात के लिए गर्म है कि क्या आजम खान का रुतबा उसी तरीके से समाजवादी पार्टी में अब बना रह पाएगा या नहीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यह काम तो अब पार्टी का है लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि रामपुर का गढ़ हारने से आजम खान कि वह हनक अब शायद ही उतनी ही रह सके।

रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के हाथ से उनकी अपनी परंपरागत सीटें चली गईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजमगढ़ और रामपुर सीटों के हारने से न सिर्फ यादव परिवार बल्कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के कद भी आकलन शुरू कर दिया जाएगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है जिस तरीके से रामपुर में लोकसभा के उप चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के बीच में ही संग्राम मचा और आजम खान समेत तमाम कद्दावर नेताओं के बीच नाराजगी से लेकर तनातनी का दौर चला। उससे समाजवादी पार्टी में चुनावी परिणाम और उसके बाद राजनैतिक हैसियत का आकलन तो किया ही जाएगा। वह कहते हैं कि इसमें सबसे ज्यादा अब निशाने पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान रहेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है जिस तरीके से रामपुर में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव हारा है उसको राजनैतिक गलियारे में आजम खान की एक व्यक्तिगत हार के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस इस हार के असल मायने आजम खान भी बखूबी समझ रहे होंगे।

रामपुर और आजमगढ़ के परिणामों को लेकर समाजवादी पार्टी के एक पूर्व नेता कहते हैं कि जब चुनाव से पहले ही इतनी ज्यादा रस्साकसी थी तो उसके परिणाम इस तरीके से आने ही थे। उक्त नेता का कहना है दरअसल समाजवादी पार्टी का एक बड़ा धड़ा लोकसभा के उपचुनावों के परिणाम से आजम खान की हैसियत का अंदाजा भी लगाना चाहता था। दरअसल आजम खान जेल से निकलने के बाद न सिर्फ समाजवादी पार्टी के विधायक सिर्फ शिवपाल यादव के साथ थे बल्कि तमाम तरीके के राज्य की कयास भी लगाए जा रहे थे। उक्त नेता का कहना है कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेता इस बात को अलग-अलग नजरिए से देख भी रहे थे और चुनाव के परिणामों का आकलन भी पहले से ही कर रहे थे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खां के गढ़ में समाजवादी पार्टी के चुनाव हारने का सीधा सीधा मतलब समाजवादी पार्टी में आजम खान की कमजोर पकड़ मानी जाएगी और इसी के साथ उनके राजनीतिक भविष्य का भी आकलन किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता जो अब भारतीय जनता पार्टी में अहम पद पर हैं उनका कहना है कि आजम खान अपनी पुरानी हैसियत के दम पर ही लोकसभा के उपचुनाव से पहले सपा मुखिया के साथ तल्खी भी बढ़ी थी।लेकिन अब आए परिणामों से समाजवादी पार्टी के बड़े नेता उन पर हावी हो सकते हैं। उनका कहना है दरअसल जिसकी वजह से आजम खान अपना जलवा सपा में बरकरार रखना चाहते थे वह रामपुर के लोकसभा चुनाव में कमजोर पड़ गया है।

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि उपचुनावों में आए नतीजे निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी को आत्ममंथन करने के लिए मजबूर करेंगे। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी का जो भी परिणाम इस लोकसभा चुनावों में आया है वह आपसी विवाद एक बड़ी वजह भी मानी जा सकती है। उनका कहना है जिस तरीके से लोकसभा उपचुनाव से पहले आजमगढ़ और रामपुर में टिकटों के बंटवारे को लेकर के तमाम तरह की बातें सामने आई, वह निश्चित तौर पर पार्टी के लिए आने वाले चुनावों से पहले आत्ममंथन करने को कहती हैं। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी के दो सबसे मजबूत किले रामपुर और आजमगढ़ फिलहाल लोकसभा के उपचुनाव में में टूट गए हैं। वह कहते हैं कि कहने को तो उपचुनावों की बहुत अहमियत नहीं मानी जाती है लेकिन जब लोकसभा के चुनाव सिर पर हो तो एक संदेश निश्चित तौर पर जनता के बीच में जाता है। और वह संदेश इन लोक सभा के उपचुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए मजबूती देने वाला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी के एक धड़े ने इस हार को तो स्वीकार कर लिया है लेकिन अंदर खाने चर्चा इस बात की भी है कि जिस तरीके से चुनाव से पहले आजम खान ने माहौल बनाया उससे पार्टी का नुकसान हुआ है। इसके अलावा आजमगढ़ में भी यादव परिवार की अंदरूनी उठापटक की वजह से ही बादशाहा छिनी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता और युवा मोर्चा के प्रवक्ता मोहित शर्मा कहते हैं की उत्तर प्रदेश की जनता को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि योगी आदित्यनाथ के शासन काल में किस तरीके की कानून व्यवस्था चल रही है। योगी-मोदी की डबल इंजन सरकार से न सिर्फ प्रदेश का विकास हो रहा है बल्कि यहां पर बुलडोजर चल रहा है। मोहित कहते हैं रामपुर और आजमगढ़ में जीत तो भारतीय जनता पार्टी की नीतियों की है। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी में आजम खान और अखिलेश यादव के बीच में कैसी केमिस्ट्री है इससे भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना देना नहीं। यह तो समाजवादी पार्टी का अपना अंदरूनी मामला है। वह अपना इससे निपटें। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि जनता ने एक बार फिर दिखा दिया कि डबल इंजन की सरकार पर लोगों का भरपूर भरोसा है। 



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