यूपी: शिवपाल यादव की सक्रियता से सचेत हुई सपा, मुलायम को आगे कर तय की जा रही रणनीति


अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Mon, 09 May 2022 12:47 AM IST

सार

शिवपाल यादव के सपा पर हमलावर होने के बाद से मुलायम खुद मैदान में उतर आए हैं। सपा ने इसे लेकर योजना पर काम शुरू कर दिया है।

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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव की सक्रियता देख सपा सचेत हो गई है। पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जरिए नए सिरे से गोलबंदी शुरू कर दी गई है। पुराने नेताओं व जनता तक मुलायम सिंह का संदेश पहुंचाने की रणनीति भी अपनाई जा रही है। दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव का पार्टी कार्यालय में संबोधन इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस रणनीति से पार्टी नगर निगम में धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराने का भी ख्वाब देख रही है।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को लेकर अभी दो खेमे बने हुए थे। ज्यादातर नेता अखिलेश यादव के साथ थे तो तमाम ऐसे भी थे जो खुद को मुलायमवादी बताते हुए शिवपाल सिंह के खेमे में खड़े थे। मुलायम भी गाहे-बगाहे शिवपाल की तारीफ करते हुए रहस्य बरकरार रखे थे।

शिवपाल ने परिवर्तन रथयात्रा स्थगित की तो यही कहा गया कि उन्होंने खुद को नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के हवाले कर दिया है। मुलायम का हवाला देकर ही विधानसभा चुनाव में वे सपा खेमे में उतरे। अपने सहयोगियों को एक भी टिकट नहीं देने के बाद भी वह सपा के टिकट पर विधायक बने। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद उपजे हालात ने इस तस्वीर को साफ कर दिया। शिवपाल सिंह ने आजम खां के बहाने मुलायम सिंह पर हमला बोला तो सपा ने इस मौके को खुद के मुफीद माना। पार्टी ने मुलायम सिंह को पूरी तरह से अपने पाले में कर लिया।

शिवपाल ने पार्टी के पुनर्गठन का एलान किया और फ्रंटल संगठनों की घोषणा की तो उसी दिन मुलायम सिंह यादव पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने पहुंच गए। उन्होंने प्रदेश में सिर्फ दो पार्टी भाजपा और सपा होने का बयान दिया। सपा सूत्रों का कहना है कि यह घटनाक्रम संयोग मात्र नहीं है बल्कि सपा की सियासी रणनीति का हिस्सा है। अब पार्टी मुलायम सिंह यादव के संदेश को आम लोगों तक पहुंचने में जुटी हुई है।

सपा के वरिष्ठ नेताओं को उनका संदेश भेजे जाने की तैयारी है। भाजपा को हराने के लिए सभी से एकजुटता की अपील की जाएगी। सपा प्रवक्ता मनीष सिंह का कहना है कि समाजवादी विचारधारा को मानने वाला हर व्यक्ति सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है।

उन्होंने दावा किया कि शिवपाल सिंह के पार्टी बनाने अथवा अन्य किसी दल के सामने आने से सपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि जनता सपा के साथ है। कार्यकर्ताओं ने तैयारी कर ली है। नगर निगम चुनाव में इसका असर साफ दिखेगा।

विस्तार

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव की सक्रियता देख सपा सचेत हो गई है। पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जरिए नए सिरे से गोलबंदी शुरू कर दी गई है। पुराने नेताओं व जनता तक मुलायम सिंह का संदेश पहुंचाने की रणनीति भी अपनाई जा रही है। दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव का पार्टी कार्यालय में संबोधन इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस रणनीति से पार्टी नगर निगम में धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराने का भी ख्वाब देख रही है।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को लेकर अभी दो खेमे बने हुए थे। ज्यादातर नेता अखिलेश यादव के साथ थे तो तमाम ऐसे भी थे जो खुद को मुलायमवादी बताते हुए शिवपाल सिंह के खेमे में खड़े थे। मुलायम भी गाहे-बगाहे शिवपाल की तारीफ करते हुए रहस्य बरकरार रखे थे।

शिवपाल ने परिवर्तन रथयात्रा स्थगित की तो यही कहा गया कि उन्होंने खुद को नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के हवाले कर दिया है। मुलायम का हवाला देकर ही विधानसभा चुनाव में वे सपा खेमे में उतरे। अपने सहयोगियों को एक भी टिकट नहीं देने के बाद भी वह सपा के टिकट पर विधायक बने। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद उपजे हालात ने इस तस्वीर को साफ कर दिया। शिवपाल सिंह ने आजम खां के बहाने मुलायम सिंह पर हमला बोला तो सपा ने इस मौके को खुद के मुफीद माना। पार्टी ने मुलायम सिंह को पूरी तरह से अपने पाले में कर लिया।

शिवपाल ने पार्टी के पुनर्गठन का एलान किया और फ्रंटल संगठनों की घोषणा की तो उसी दिन मुलायम सिंह यादव पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने पहुंच गए। उन्होंने प्रदेश में सिर्फ दो पार्टी भाजपा और सपा होने का बयान दिया। सपा सूत्रों का कहना है कि यह घटनाक्रम संयोग मात्र नहीं है बल्कि सपा की सियासी रणनीति का हिस्सा है। अब पार्टी मुलायम सिंह यादव के संदेश को आम लोगों तक पहुंचने में जुटी हुई है।



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