US Economy: अमेरिका में आ गई ‘मंदी’, लगातार दूसरी तिमाही शून्‍य से नीचे रही विकास दर, क्‍या होगा दुनिया पर असर?


हाइलाइट्स

मार्च तिमाही में अमेरिका की विकास दर शून्‍य से 1.6 फीसदी नीचे थी.
यहां उपभोक्‍ता महंगाई 42 साल के शीर्ष पर है, जो जून में 9.1% रही.
फेडरल रिजर्व ने इस सप्‍ताह 0.75 फीसदी ब्‍याज दर बढ़ा दी है.

नई दिल्‍ली. फेडरल रिजर्व की तमाम कोशिशों के बावजूद अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था (US Economy) ‘मंदी’ में पहुंच चुकी है. अमेरिका के कॉमर्स विभाग ने बृहस्‍पतिवार देर रात आंकड़े जारी कर बताया कि जून तिमाही में भी विकास दर शून्‍य से 0.9 फीसदी नीचे रही है. इससे पहले मार्च तिमाही में अमेरिका की विकास दर शून्‍य से 1.6 फीसदी नीचे थी.

द गार्जियन के मुताबिक, जब लगातार दो तिमाही में विकास दर शून्‍य से नीचे रहती है तो उसे तकनीकी मंदी करार दिया जाता है. ऐसे में अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था भी अब अनऑफिशियली मंदी में प्रवेश कर चुकी है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर मंदी का फैसला एक गैर सरकारी संगठन नेशनल ब्‍यूरो ऑफ इकनॉमिक रिसर्च करता है, जिसे आठ सदस्‍य सभी फैक्‍टर और आंकड़ों को देखने के बाद मंदी की घोषणा करते हैं.

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अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन फिलहाल मंदी जैसी किसी भी आशंका से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि देश में एक करोड़ से ज्‍यादा रोजगार पैदा हुए हैं और बेरोजगारी दर भी लगातार नीचे जा रही है. ऐसे में मंदी जैसी समस्‍या का जोखिम नहीं है. हालांकि, बाइडेन सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अमेरिका में खाने-पीने से लेकर किराये व अन्‍य जरूरी सामानों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं.

राजस्‍व सचिव का मंदी से इनकार
अमेरिका की राजस्‍व सचिव जेनेट येलन ने कहा, जब आप हर महीने 4 लाख से ज्‍यादा नौकरियां पैदा कर रहे हों, तो यह मंदी नहीं है. हालांकि, लगातार दो तिमाही में निगेटिव विकास दर को तकनीकी तौर पर मंदी माना जाता है, लेकिन अमेरिका के मामले में यह थोड़ा अलग है. मंदी का अर्थव्‍यवस्‍था पर व्‍यापक असर पड़ता है, जो अभी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है.

65 फीसदी अमेरिकी मानते हैं कि मंदी आ गई
अमेरिका का राष्‍ष्‍ट्रपति भवन कार्यालय भले ही मंदी शब्‍द नहीं सुनना चाहता लेकिन ज्‍यादातर अमेरिकावासियों को लगता है कि वे पहले ही मंदी के दौर में प्रवेश कर चुके हैं. दरअसल, यहां उपभोक्‍ता महंगाई 42 साल के शीर्ष पर है, जो जून में 9.1 फीसदी रही. इस दौरान कराए एक सर्वे में बताया गया कि 65 फीसदी अमेरिकी पहले ही मंदी में जाने की बात स्‍वीकार कर चुके हैं.

आगे भी राहत के आसार नहीं
अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था आगे भी सुस्‍त विकास दर के दबाव में दिख रही है. दरअसल, फेडरल रिजर्व ने महंगाई को थामने के लिए जून-जुलाई में 1.50 फीसदी ब्‍याज दर बढ़ा दिया है, जिससे आने वाले समय में कर्ज और महंगा होगा. लोग खर्च कम करेंगे और निवेश भी घट जाएगा. इसका सीधा असर अमेरिका की विकास दर पर पड़ेगा और आशंका है कि लगातार तीसरी तिमाही में भी अमेरिका की विकास दर शून्‍य से नीचे रह सकती है.

दुनिया पर क्‍या होगा असर
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है, लिहाजा यहां मंदी आने का असर सभी अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर होगा. सबसे ज्‍यादा असर ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन पर होगा जो पहले से ही प्रभावित है. यूरोपीय देशों का आयात भी अमेरिका पर निर्भर करता है. भारत सहित दुनियाभर के देश तमाम उत्‍पादों के लिए अमेरिका पर निर्भर करते हैं, जिसका असर उन पर भी होगा. भारत की आईटी कंपनियों को इसका सबसे ज्‍यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. हालांकि, भारत पर इसका खास असर नहीं दिखेगा, क्‍योंकि यहां विशाल उपभोक्‍ता बाजार होने के साथ विनिर्माण और उत्‍पादन की लंबी शृंखला भी है.

Tags: Business news in hindi, Economic growth, GDP growth, Inflation, United States of America

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