US Fed Meet : अमेरिकी केंद्रीय बैंक आज 0.75 फीसदी बढ़ा सकता है ब्‍याज दर, क्‍यों आई ऐसी नौबत और क्‍या होगा असर?


हाइलाइट्स

अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है.
अमेरिका में ब्‍याज दरें इस साल 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं.
इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी.

नई दिल्‍ली. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व आज 27 जुलाई को होने वाली बैठक में अपनी ब्‍याज दरों को एक बार फिर बढ़ाएगा. एक्‍सपर्ट का अनुमान है कि इस बार ब्‍याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि ज्‍यादा दबाव को देखते हुए फेड रिजर्व 1 फीसदी की बढ़ोतरी का भी फैसला कर सकता है.

अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है और इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक को ताबड़तोड़ ब्‍याज दरें बढ़ानी पड़ रहीं. माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्‍याज दरें इस साल 3.5 फीसदी से 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं. इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. हालांकि, इसके बावजूद महंगाई दर में नरमी के बजाए और तेजी आती दिखी.

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इसलिए बढ़ रही ब्‍याज दर
महंगाई में हो रही बेतहाशा वृद्धि का कारण सप्‍लाई पर असर पड़ना है. इसके अलावा कमोडिटी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन पर काफी असर पड़ा है. उत्‍तरी अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों में इस समय महंगाई 7 दशक के शीर्ष पर दिख रही है. यही कारण है कि इन देशों केंद्रीय बैंक ताबड़तोड़ ब्‍याज दरें बढ़ा रहे हैं.

भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर ज्‍यादा दबाव नहीं
एक तरफ अमेरिकी और यूरोपीय देश महंगाई से बुरी तरह प्रभावित हैं तो भारत, चीन जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर इसका ज्‍यादा असर नहीं दिख रहा है. ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में राजकोषीय घाटा उनकी जीडीपी का 14 से 25 फीसदी पहुंच गया है. भारत में यह 6 फीसदी के दायरे में चल रहा है. इससे आने वाले समय में यहां और मांग बढ़ेगी. साथ ही सरकार के पास भी ज्‍यादा फंड खर्च करने की गुंजाइश बनी रहेगी.

सुस्‍त हो जाएगी अमेरिका की विकास दर
अमेरिक फेड रिजर्व महंगाई पर तत्‍काल प्रभाव से काबू पाने के लिए ब्‍याज दरें तो बढ़ा देगा लेकिन इसका असर उसकी विकास दर पर पड़ेगा. इस साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में अमेरिका की विकास पहले ही शून्‍य से 1.6 फीसदी नीचे जा चुकी है और इसके बाद से लगातार दो बार ब्‍याज दरें भी बढ़ाई जा चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में भी विकास दर माइनस में ही रहेगी. ऐसा होता है तो अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था तकनीकी तौर पर मंदी में चली जाएगी और इसका यूरोप सहित पूरे एशिया की विकास दर पर असर दिखेगा.

Tags: Business news in hindi, Federal Reserve meeting, GDP growth, Inflation, Interest Rates

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