उत्तर प्रदेश के 50,000 किसान परिवारों को मिलेगा लाभ! सरकार ने रेशम उत्पादन का लक्ष्य 30 गुना बढ़ाया


हाइलाइट्स

उत्तर प्रदेश सरकार ने रेशन उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाया.
50,000 किसान परिवारों को मिलेगा सीधा लाभ
राज्य में रीलिंग मशीनों की संख्या बढ़ाकर की जाएगी 45.

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले 5 साल में ककून से धागा बनाने के लक्ष्य को करीब 30 गुना बढ़ाकर 60 मीट्रिक टन से 1750 मीट्रिक टन कर दिया है. इसका लाभ सीधे तौर पर 50 हजार किसान परिवारों को मिलेगा. अभी ककून से धागा बनाने की प्रक्रिया में 29,000 किसानों को लाभ प्राप्त हो रहा है. सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रीलिंग मशीनों की संख्या 2 से बढ़ाकर 45 करने का लक्ष्य रखा है.

यह कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा. इसमें 100 दिन, 6 महीने, 2 साल और 5 साल पर अहम पड़ाव तय किए गए हैं. इस योजना के तहत अभी तक करीब 100 किसानों को पौधरोपण, कीटपालन गृह निर्माण, प्रशिक्षण एवं उपकरण के लिए अनुदान उपलब्ध कराया है. इसके तहत 180 लाभार्थियों को केंद्रीय रेशम बोर्ड के प्रशिक्षण संस्थानों, पश्चिमी बंगाल के बहरामपुर स्थित सीएसएसआर एंड टीआई व कर्नाटक स्थित मैसूर का और 70 लाभार्थी किसानों को सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रशिक्षण संस्थान का एक्सपोजर विजिट कराया गया है.

ये भी पढ़ें- क्‍या अब विमान में बैठने के लिए करानी होगी डॉक्‍टरी जांच, DGCA ने एयरलाइन कंपनियों को क्‍या दिए निर्देश?

इंटीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स
इसी समयावधि में 10 एफपीओ के गठन व वाराणसी के सिल्क एक्सचेंज में इंटीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स की स्थापना के कार्य को भी आगे बढाया गया. यही नहीं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 13 नई रीलिंग इकाइयों की स्थापना के लिए टेंडर की कार्यवाही पूरी हो चुकी है. इनके स्थापित हो जाने के बाद कोये का वाजिब दाम मिलेगा. साथ ही बुनकरों को उनकी जरूरत के अनुसार शुद्ध धागा भी मिल सकेगा.

अगले छह माह और दो साल का लक्ष्य
सरकार ने रेशम की खेती करने वाले और इससे जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स के लिए अगले छह माह और दो साल का जो लक्ष्य रखा है. इसके अनुसार सिल्क एक्सचेंज से अधिकतम बुनकरों को जोड़ा जाएगा. 17 लाख शहतूत एवं अर्जुन का पौधरोपण होगा तथा कीटपालन के लिए 10 सामुदायिक भवनों के निर्माण की शुरुआत की जाएगी. ओडीओपी योजना के तहत इंटीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स का डिजिटलाइजेशन, 1.80 करोड़ रुपये की लागत से 10 रीलिंग इकाइयों की स्थापना और कीटपालन के लिए 10 अन्य सामुदायिक भवन का निर्माण भी इसी लक्ष्य का हिस्सा है.

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कारोबारियों को दी बड़ी राहत, जीएसटी में फंसे पैसे वापस मिलेंगे, पढ़िए पूरा मामला

यूपी में रेशम की खेती की क्या संभवानाएं
पानी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. कम लागत में अधिक मुनाफे की वजह से यह किसानों की आय बढ़ाने के साथ महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर मिशन शक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. कुल रेशम उत्पादन में अभी उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी महज तीन फीसद है. अगर सही दिशा में कदम उठाए जाते हैं तो यह हिस्सेदारी बढ़कर 15 से 20 फीसद तक हो सकती है.

कैसी है मांग
उत्तर प्रदेश में रेशम की मांग काफी है. केवल वाराणसी एवं मुबारकपुर की सालाना मांग 3000 मीट्रिक टन की है. इस मांग की मात्र एक फीसदी आपूर्ति ही प्रदेश से हो पाती है. जहां तक रेशम उत्पादन की बात है तो चंदौली, सोनभद्र, ललितपुर और फतेहपुर टसर उत्पादन के लिए जाने जाते हैं. कानपुर शहर, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा और फतेहपुर में एरी संस्कृति का अभ्यास किया जाता है। सरकार रेशम की खेती के लिए इन सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अर्जुन का पौधारोपण करवाएगी. तराई के जिले शहतूत की खेती के लिए मुफीद हैं. प्रदेश के 57 जिलों में कमोवेश रेशम की खेती होती है.

Tags: Business news, Business news in hindi, Farming, Uttar Pradesh Government

image Source

Enable Notifications OK No thanks