देहरादून. एक मीडिया रिपोर्ट के चलते उत्तराखंड क्रिकेट के भीतर भारी गड़बड़ियों का पर्दाफाश होने से राज्य के क्रिकेट जगत में हड़कंप मचा हुआ है. रणजी ट्रॉफी के क्वार्टरफाइनल में 725 रनों के पहाड़ जैसे अंतर से मुंबई के हाथों उत्तराखंड की हार के बाद इस तरह के आरोप लगे कि खिलाड़ियों को दैनिक भत्ते के रूप में 100 रुपये मिल रहे थे और वो भूख से बेहाल होकर खेलने पर मजबूर थे. अब इन आरोपों का खंडन तो किया ही जा रहा है, लेकिन एक खोजी रिपोर्ट से और भी गंभीर बातें सामने आ रही हैं, जो उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को कठघरे में खड़ा कर रही हैं.
न्यूज़9 ने एक रिपोर्ट के ज़रिये उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के भीतर कई तरह की वित्तीय, प्रबंधन और प्रशासकीय गड़बड़ियों को उजागर किया है. फंड्स का दुरुपयोग, रिश्वत, जान की धमकी के साथ ही खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किए जाने तक के मामले अब उभरकर सामने आ रहे हैं. इस तरह की रिपोर्ट्स के बारे में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजय गुसाईं ने कहा कि ऐसी खबरें भ्रामक हैं और एसोसिएशन ऐसे खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रही है.
किस तरह की गड़बड़ियां सामने आईं?
2000 रुपये प्रतिदिन भत्ता निर्धारित होने के बावजूद खिलाड़ियों को 100 रुपये रोज़ाना मिलने का दावा करने वाली न्यूज़9 की रिपोर्ट में और भी कई गड़बड़ियों के दावे किए गए हैं. इन्हें पॉइंट्स में देखिए.
1. कोच को 31 लाख का भुगतान किया गया जबकि उसके पास सिर्फ छह प्रथम श्रेणी मैच खेलने का अनुभव था.
2. बोर्ड सदस्यों के लंच पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च हुए.
3. टीम के चयन के मामले में एक बड़े घपले का अंदेशा है.
4. उत्तराखंड टीम के कप्तान जय बिस्टा ने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर बोर्ड की वित्तीय गड़बड़ियों के बारे में बताया है.
खिलाड़ियों के मानसिक उत्पीड़न के आरोप!
टीम चयन पर सवाल खड़े करने वाले लोग अपनी पहचान ज़ाहिर नहीं करना चाह रहे हैं, लेकिन एक क्रिकेटर के पिता खुलकर सामने आए हैं. सेठी उपनाम बताने वाले इस शख्स के आरोप हैं कि उनके बेटे आर्या को लगातार 29 मैचों तक बेंच पर बिठाए रखा गया. खेलने का मौका नहीं दिया गया. दिसंबर 2021 में सेठी ने देहरादून पुलिस में एक शिकायत दर्ज कर मौत की धमकियां मिलने और रिश्वत मांगे जाने जैसे आरोप लगाए थे.
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को ‘टोटल रैकेट’ कहने वाले सेठी के अलावा, कुल 173 शिकायतें एसोसिएशन के खिलाफ हैं. देहरादून से लेकर हरिद्वार तक से ये शिकायतें हुईं लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सेठी ने यह भी आरोप लगाया कि यहां नियुक्तियां संबंधों और परदे के पीछे की सौदेबाज़ियों के आधार पर हो रही हैं. इधर, 2020 से उत्तराखंड क्रिकेट टीम के साथ जुड़ने वाले जय बिस्टा ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
बिस्टा ने उठाए वित्तीय हेरफेर के मामले
रिपोर्ट में जय बिस्टा के हवाले से कहा गया, ‘मेरी चिंता फाइनेंशियल पहलू पर है. उत्तराखंड का कोई खिलाड़ी आईपीएल नहीं खेल रहा यानी घरेलू क्रिकेट से ही कुछ कमा रहा है. हमें भुगतान समय पर नहीं मिल रहे, डीए न के बराबर है. उत्तराखंड का कोई क्रिकेटर अच्छी माली हालत में नहीं है… हमें फाइव स्टार होटलों में ठहराकर अपने खर्चे पर खाने को कहा जाता है. कभी जो भोजन दिया जाता है, उसकी क्वालिटी ठीक नहीं होती.’
और क्या कह रहे हैं ज़िम्मेदार?
इस पूरे मामले में एसोसिएशन जहां आरोपों से पल्ला झटक रही है, वहीं उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्या का कहना है कि ऐसी शिकायतें उनके संज्ञान में नहीं हैं. हालांकि आर्या ने माना कि वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे अंतर से हारने के कारणों की जांच ज़रूर होनी चाहिए. आर्या का कहना है कि राज्य सरकार खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने की कोशिशें कर रही है. इधर, एसोसिएशन के सदस्य रोहित चौहान ने कहा कि खिलाड़ियों को मैनेजमेंट से सपोर्ट तो मिलना ही चाहिए.
(भारती सकलानी के इनपुट्स के साथ)
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Tags: Uttarakhand Cricket
FIRST PUBLISHED : June 11, 2022, 09:01 IST