Vice President Election : उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा और विपक्ष की क्या रणनीति होगी? पांच पॉइंट्स में जानें पूरा समीकरण


राष्ट्रपति के साथ अब उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी सियासी हलचल तेज हो गई है। छह अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। 19 जुलाई तक नामांकन होगा। लेकिन अब तक न तो भाजपा की अगुआई वाली एनडीए और न ही विपक्ष की तरफ से कोई उम्मीदवार घोषित किया गया है। ऐसे में नामों को लेकर कयासबाजी भी जारी है। 

खैर, संसद के दोनों सदनों में सदस्यों के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा काफी मजबूत दिख रही है। इतना की खुद के दम पर अपने प्रत्याशी को उपराष्ट्रपति बनवा सकती है। ऐसे में विपक्ष के सामने कई चुनौतियां हैं।

आइए जानते हैं कि विपक्ष इन चुनौतियों से कैसे निपटने की तैयारी कर रहा है? क्या उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को विपक्ष की तरफ से टक्कर मिलेगी या भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुन लिया जाएगा? भाजपा ने क्या रणनीति बनाई है? 

 

पहले चुनाव के बारे में जान लीजिए

1. संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है।  संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 

2. मनोनीत सांसद भी डाल सकते हैं वोट: राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। राज्यसभा में 12 मनोनीत सदस्य होते हैं। अभी इनमें से तीन खाली हैं। हालांकि, उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले इन तीन सीटों को भरा जा सकता है।   

 

अब आंकड़ो से जानिए कितने सदस्य वोट डालेंगे? 

अभी लोकसभा में सदस्यों की संख्या पूरी है। मतलब पूरे 543 सांसद हैं। वहीं, राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं। इनमें 12 नामित सांसद रहते हैं। मौजूदा समय में आठ सीटें खाली हैं। इनमें चार जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण जबकि एक सीट त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बने माणिक साहा ने छोड़ी है। तीन अन्य नामित सदस्यों की सीट भी खाली है। सरकार उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले नामित सदस्यों के लिए खाली सीटें भर सकती है।  

इस लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यसभा वोटर्स के आंकड़े सामने आते हैं। पहला ये कि मौजूदा स्थिति में चुनाव में 237 राज्यसभा सांसद वोट करेंगे। दूसरा यह कि 240 सदस्य वोट कर सकते हैं। 240 सदस्य तब वोट करेंगे जब नामित सदस्यों के तीन खाली पदों को भर दिया जाए। 

अब ओवरऑल वोटर्स के आंकड़ों पर नजर डालते हैं। अगर राज्यसभा के 240 सदस्य वोट डालते हैं तो ओवरऑल वोटर्स की संख्या 783 हो जाएगी, लेकिन अगर राज्यसभा के 237 वोटर्स होंगे तो ये आंकड़ा घटकर 780 हो जाएगा। 

 

जीतने के लिए कितने वोट चाहिए? 

अभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की संख्या के हिसाब से वोटर्स की दो संख्या निकलकर सामने आ रही है। पहली परिस्थिति में कुल 783 वोट पड़ सकते हैं। ऐसे में जीत के लिए उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 393 वोट चाहिए होंगे। दूसरी परिस्थिति में अगर 780 वोट पड़ते हैं तो उम्मीदवार को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 391 वोट चाहिए होंगे। 

 

विपक्ष की क्या रणनीति होगी?

ये समझने के लिए हमने राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘विपक्ष को यह मालूम है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के आंकड़ों के आगे वह काफी कम हैं। ऐसे में तमाम कोशिश के बावजूद वह अपने उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सकते हैं। ऐसी स्थिति में विपक्ष के पास दो विकल्प है।’

1. उम्मीदवार ही न खड़ा करे : विपक्ष के किसी दल ने अब तक उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर कोई पहल नहीं की है। राष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने इसकी जिम्मेदारी उठाई थी। जिसके बाद विपक्ष के अन्य दल भी एकजुट हुए थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। वह भी तब जब नामांकन को अब केवल आठ दिन बचे हैं। ऐसे में संभव है कि विपक्ष इस बार कोई उम्मीदवार ही न खड़ा करे। 

2. सांकेतिक उम्मीदवार का एलान हो : दूसरा यह भी हो सकता है कि विपक्ष की तरफ से सांकेतिक तौर पर किसी को उम्मीदवार बना दिया जाए। यह इसलिए क्योंकि कांग्रेस, टीआरएस, सपा जैसे दल भाजपा को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। ऐसे में विपक्ष के अन्य नेताओं से बात करके कांग्रेस खुद ही किसी को सांकेतिक तौर पर उम्मीदवार बना सकती है। अगले एक या दो दिन में इसका एलान हो सकता है।

 



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