वर्चुअल शिखर वार्ता: भारत-ऑस्ट्रेलिया ने कहा-यूक्रेन में जल्द रुके युद्ध, ध्यान देना होगा हिंद प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन जैसे हालात न हों पैदा


भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए वर्चुअल सम्मेलन के दूसरे दिन जारी साझा बयान में दोनों देशों ने यूक्रेन में युद्ध को तत्काल रोकने की जरूरत पर जोर दिया। उनका इशारा चीन की ओर था। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने स्पष्ट किया कि दक्षिण चीन सागर में प्रभावी आचार संहिता लागू होनी चाहिए। पीएम मोदी के साथ वर्चुअल समिट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा, इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि यूक्रेन जैसे हालात हिंद प्रशांत क्षेत्र में कभी पैदा न हों। यूक्रेन में लोगों की मौत के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

साझा बयान में कहा गया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता व अखंडता के सम्मान को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसका पालन जरूरी है। हिंद प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों की संप्रभुता का विशेष सम्मान होना चाहिए। साझा बयान के मुताबिक, दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने यूक्रेन के मुद्दे और हिंद प्रशांत क्षेत्र में इसके व्यापक प्रभावों पर करीब से जुड़े रहने पर सहमति जताई। साथ ही स्पष्ट किया कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के किसी भी विवाद का निपटारा अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में होना चाहिए। चीन वहां सैन्य दखल बढ़ाकर स्थिरता को प्रभावित करने का दुस्साहस कर रहा है। उसकी इन कोशिशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय खारिज कर चुका है।

वर्चुअल समिट के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने सोमवार को कहा था, ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने जाहिर किया है कि वे यूक्रेन के मुद्दे पर भारत की स्थिति को भलीभांति समझते हैं। यह भी स्पष्ट था कि यूरोप में जारी संघर्ष हिंद प्रशांत क्षेत्र से ध्यान भड़काने का कारण नहीं होना चाहिए। दोनों नेता यूक्रेन के मानवीय हालात को लेकर बेहद गंभीर हैं और जल्द से जल्द वहां स्थिति सामान्य होने की कामना करते हैं। पीएम मोदी और स्कॉट मॉरिसन ने आर्थिक, रक्षा व तकनीकी सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर सोमवार को विस्तार से चर्चा की थी।  

क्वाड के एजेंडो को आगे बढ़ाने में भी सहयोग करेंगे
दोनों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के क्वाड एजेंडे को आगे बढ़ाने में भी परस्पर सहयोग करेंगे। मोदी और मॉरिसन ने इसको लेकर प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने दोहराया कि हिंद प्रशांत क्षेत्र को समावेशी, समृद्ध क्षेत्र बनाया जाएगा। जिसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होगा। इसके अलावा सभी देश सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक दबाव से मुक्त होंगे।

मोदी ने मॉरिसन की प्रतिबद्धता को सराहा
समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन की आस्ट्रेलिया ब्रिटेन अमेरिका साझेदारी और एटमी हथियार नहीं बनाने की प्रतिबद्धता को सराहा। दोनों नेताओं ने हिंद महासागर क्षेत्र में व हिंद महासागर के अन्य देशों के साथ सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इसमें भारतीय महासागर रिम एसोसिएशन के लिए उनका समर्थन भी शामिल है। साझा बयान के मुताबिक, पीएम मोदी ने हिंद महासागर में समुद्री व आपदा की तैयारी, व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी में ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती भागीदारी का स्वागत किया।

साल के अंत तक दोनों देशों के बीच कारोबारी करार होगा पूरा
साझा बयान में दोनों देशों ने इस साल के अंत तक कारोबारी करार को अंतिम रूप देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बयान में कहा गया, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) के लिए बातचीत में काफी प्रगति हुई है, जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। जल्द से जल्द एक अंतरिम आर्थिक सौदा होगा। दोनों देश व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने के लिए वर्ष के अंत तक एक महत्वाकांक्षी, पूर्ण सीईसीए की दिशा में काम करेंगे।

म्यांमार में हिंसा खत्म करने की अपील
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने म्यांमार में नागरिकों व नेताओं के खिलाफ जारी हिंसा को समाप्त करने की भी अपील की। साझा बयान में कहा गया कि दोनों नेता चाहते हैं कि बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा किया जाए और म्यांमार में शांति स्थापित हो। एसियान के पांच सूत्री सहमति को लागू किया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा खत्म करने के पक्ष में एक साथ काम करें। अफगानिस्तान के नागरिकों को मानवीय मदद पहुंचाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई और दोनों नेताओं ने सीमापार से होने वाले आतंकी हमलों को बंद करने के लिए आवाज बुलंद की।

28 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया आर्थिक साझेदारी को और मजबूती देने के लिए भारत में 28 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध नए स्तर पर पहुंचेंगे और रोजगार सृजन में सहयोग होगा। 2020 में भारत ऑस्ट्रेलिया का सातवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार था। ऑस्ट्रेलियाई सरकार के मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक भारत के प्रमुख नीति और वित्त संस्थानों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए 1.66 करोड़ अमरीकी डालर निवेश किया जाएगा। 89 लाख डॉलर भारत में मौजूद ऑस्ट्रेलियाई कारोबार में लगाया जाएगा। 1.72 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ऑस्ट्रेलिया-भारत सामरिक अनुसंधान कोष का विस्तार किया जाएगा। इससे नवाचार और प्रौद्योगिकी की चुनौतियों का सामना किया जाएगा। सरकारी बयान के मुताबिक 3.57 करोड़ डॉलर का निवेश ग्रीन स्टील पार्टनरशिप, क्रिटिकल मिनरल रिसर्च पार्टनरशिप और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में सहयोग बढ़ाने के लिए किया जाएगा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भारत में 2.52 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा। वहीं भारतीय लोगों के साथ संबंध मजबूत करने, सार्वजनिक चर्चाओं और नीतिगत संवाद को बढ़ावा देने और भारतीय प्रवासियों को शामिल करने के लिए 2.81 करोड़ डॉलर से ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों का एक केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।



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