अहम वैश्विक चुनौतियों से निपटने में पश्चिमी देशों को भारत की जरूरत है: विदेश सचिव


नई दिल्ली. जी -7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी को रेखांकित करते हुए विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को कहा कि यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि दुनिया के समक्ष महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों से निपटने में पश्चिमी देशों को भारत की जरूरत है. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26-27 जून को जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शोल्स एल्माउ जायेंगे. सम्मेलन के दौरान यूक्रेन संघर्ष, हिन्द प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु सहित महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा होगी.

क्वात्रा ने शुक्रवार को संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित करती है कि दुनिया के समक्ष महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान निकालने के किसी भी सतत प्रयास में भारत के हिस्सा होने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 28 जून को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर जायेंगे जहां वह यूएई के पूर्व राष्ट्रपति एवं अबू धाबी के शासक रहे शेख खलीफा बिन जायेद अल नाह्यान के निधन पर व्यक्तिगत रूप से श्रद्धांजलि देंगे.

‘यूक्रेन संकट शुरू होने के समय से ही भारत का रुख साफ है’
यह पूछे जाने पर जी-7 शिखर बैठक में यूक्रेन संकट के मुद्दे पर भारत का रुख क्या रहेगा, क्वात्रा ने कहा कि यूक्रेन संकट शुरू होने के समय से ही भारत का रुख स्पष्ट है कि जल्द से जल्द युद्ध विराम होना चाहिए और बातचीत एवं कूटनीति के जरिये समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट के कारण खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े विषयों, उत्पादों से जुड़ी मुद्रास्फीति, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने के मुद्दों पर भारत ने विभिन्न मंचों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है.

जी-7 समूह दुनिया के सात सबसे अमीर देशों का समूह है
क्वात्रा ने कहा कि वैश्विक मंचों पर भारत का रूख भारत के हितों एवं उसके सिद्धांतों के तहत तय होता है और इसको लेकर कोई शंका या संकोच नहीं होना चाहिए. जी-7 समूह दुनिया के सात सबसे अमीर देशों का समूह है जिसकी अध्यक्षता अभी जर्मनी कर रहा है. इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं.

रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर क्या होगा भारत का रुख
विदेश सचिव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कच्चे तेल की खरीद के लिए भारत की व्यापारिक व्यवस्था देश की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्धारित होती है और इस बारे में भारत के रुख को विश्व समुदाय अच्छी तरह से समझता है. क्वात्रा से संवाददाताओं ने पूछा था कि जर्मनी में आसन्न जी7 शिखर सम्मेलन में रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अगर भारत की आलोचना होती है तब नई दिल्ली का क्या रुख होगा.

दो सत्रों को संबोधित कर सकते हैं पीएम मोदी
क्वात्रा ने कहा कि जर्मनी की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी दो सत्रों को संबोधित कर सकते हैं जिसमें एक सत्र पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु का होगा और दूसरे सत्र में खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे विषय शामिल हैं. इस शिखर बैठक से इतर प्रधानमंत्री सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कुछ देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे. क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस दौरान यूएई के नये राष्ट्रपति एवं अबू धाबी का शासक चुने जाने पर शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान को बधाई भी देंगे. मोदी 28 जून की रात को ही यूएई से स्वदेश लौटेंगे.

पैगम्बर विवाद पर भारत के रुख से लगभग सभी खाड़ी देश वाकिफ
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी की यूएई की यात्रा के दौरान पैगम्बर को लेकर विवादास्पद टिप्पणी का मुद्दा भी उठेगा, क्वात्रा ने कहा कि जहां तक विवादास्पद मुद्दों का सवाल है, खाड़ी क्षेत्र के लगभग सभी देशों को यह स्पष्ट समझ है कि भारत का इस मुद्दे पर क्या रुख है. उन्होंने कहा कि इस बारे में कई मंचों पर सरकार के रुख को स्पष्ट भी किया गया है और ऐसे में उन्हें नहीं लगता कि इस मुद्दे पर अलग से कोई बात होगी.

Tags: G7 Meeting, Germany, Russia, Ukraine



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