नए आईटीआर फॉर्म में क्या हुआ है बदलाव, किनको कौन-सा फॉर्म भरना है, चेक करें पूरी जानकारी


नई दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) यानी सीबीडीटी ने असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म जारी कर दिया है. टैक्सपेयर्स इसके जरिए 2022-23 का रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. 1 से 6 तक के सभी नए ITR फॉर्म्स लगभग पिछले साल की तरह ही हैं. इनमें थोड़ा बहुत बदलाव किया गया है.

किन टैक्सपेयर्स को कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना होगा, इसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं-

आईटीआर-1 यानी सहज

आईटीआर-1 या सहज फॉर्म उन टैक्यपेयर्स के लिए है जिनकी इनकम वित्त वर्ष 2021-22 में सैलरी या पेंशन से 50 लाख रुपये तक रही है. इसके अलावा आईटीआर 1 में अन्य स्रोतों जैसे ब्याज या हाउस रेंट आदि से हुई कमाई का भी ब्योरा देना होगा. पीएफ में छूट की सीमा से किए गए ज्यादा के निवेश पर मिलने वाले ब्याज का भी ब्योरा इसमें देना होगा. खेती से कमाई करने वालों के लिए भी यही आईटीआर फॉर्म है. नया आईटीआर-1 फॉर्म लगभग पिछले साल की तरह ही है. इसमें सिर्फ एक अलग कॉलम जोड़ा गया है, जिसमें दूसरे देश में रिटायरमेंट बेनिफिट अकाउंट से होने वाली आय का ब्योरा देना होगा.

आईटीआर-2

अगर किसी टैक्सपेयर्स की सैलरी से इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसके लिए आईटीआर 2 फॉर्म है. साथ ही अगर एक से ज्यादा प्रॉपर्टी है या विदेश से आमदनी हो रही है या विदेश में संपत्ति है तो उन्हें भी ITR 2 ही भरना होगा. किसी कंपनी में डायरेक्टर या अन-लिस्टेड कंपनियों के शेयरहोल्डर्स को इस फॉर्म का इस्तेमाल रिटर्न दाखिल करने में करना होगा.

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आईटीआर-3

यह फॉर्म उनके लिए है जिनकी इनकम सैलरी से नहीं होती है. सैलरी को छोड़कर बाकी सभी तरह से होने वाली आमदनी के लिए यह आईटीआर फॉर्म है. इनमें दुकानदार, कारोबारी, बिजनेस प्रोफेशनल्स एवं अन्य तरह के टैक्सपेयर्स शामिल हैं. अगर आप किसी फर्म में पार्टनर हैं तो आपको रिटर्न दाखिल करने के लिए इसी फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.

आईटीआर-4 यानी सुगम

बिजनेस और प्रोफेशन से सालाना 50 लाख रुपये तक की आमदनी करने वाले इंडिविजुअल, हिन्दू अविभाजित परिवार (HUFs) और कंपनियों को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए सुगम फॉर्म भरना होता है.

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आईटीआर 5-6

आईटीआर 5 फॉर्म को सिर्फ पार्टनरशिप फर्मों, बिजनेस ट्रस्टों, इनवेस्टमेंट फंड्स से जुड़े हुए लोग रिटर्न के लिए भर सकते हैं. जबकि आईटीआर 6 कंपनी कानून की धारा 11 के तहत रजिस्टर्ड कंपनियों के लिए जरूरी है.

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