क्रिकेट नॉलेज: क्या होता है यो-यो टेस्ट, जिसमें पृथ्वी शॉ हो गए फेल, भारत में कब हुई इसकी शुरुआत?


स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: रोहित राज
Updated Thu, 17 Mar 2022 06:47 PM IST

सार

भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट हाल के वर्षों में चर्चा का विषय बन गया है। टीम इंडिया में चयन के लिए इस टेस्ट को पास करना जरूरी है। इसके कारण ही भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस में काफी सुधार देखने को मिला है।

यो-यो टेस्ट के दौरान भारतीय खिलाड़ी

यो-यो टेस्ट के दौरान भारतीय खिलाड़ी
– फोटो : सोशल मीडिया

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विस्तार

भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट हाल के वर्षों में चर्चा का विषय बन गया है। टीम इंडिया में चयन के लिए इस टेस्ट को पास करना जरूरी है। इसके कारण ही भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस में काफी सुधार देखने को मिला है। आईपीएल के 15वें सीजन से ठीक पहले हार्दिक पंड्या और पृथ्वी शॉ सहित कई भारतीय खिलाड़ियों का यो-यो टेस्ट हुआ। हार्दिक तो टेस्ट में पास हो गए, लेकिन पृथ्वी फेल हो गए। 

पृथ्वी शॉ यो-यो टेस्ट में फेल होने वाले पहले खिलाड़ी नहीं हैं। उनसे पहले युवराज सिंह, सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, मोहम्मद शमी, संजू सैमसन और वरुण चक्रवर्ती भी इसे पास करने में नाकाम रहे हैं। पृथ्वी बीसीसीआई द्वारा अनुबंधित नहीं हैं इसलिए वे आईपीएल में फ्रेंचाइजी की ओर से खेल सकते हैं, लेकिन हार्दिक के मामले में ऐसा नहीं है। हार्दिक अगर फेल होते तो बोर्ड उन्हें आईपीएल में नहीं खेलने देता, क्योंकि उनके पास बीसीसीआई का सालाना अनुबंध है।

यो-यो टेस्ट क्या है?

  • यो-यो टेस्ट बीप टेस्ट जैसा होता है। यह एक रनिंग टेस्ट होता है जिसमें दो सेटों के बीच दौड़ लगानी होती है। 
  • दो सेटों के बीच की दूरी 20 मीटर होती है। यह करीब-करीब क्रिकेट पिच की लंबाई के बराबर है। 
  • इस दौरान खिलाड़ियों को एक सेट से दूसरे सेट तक दौड़ना होता है और फिर दूसरे सेट से पहले सेट तक आना होता है। 
  • एक बार इस दूरी को तय करने पर एक शटल पूरा होता है।
  • टेस्ट की शुरुआत 5वें लेवल से होती है। यह 23वें लेवल तक चलता रहता है।
  • हर एक शटल के बाद दौड़ने का समय कम होते रहता है, लेकिन दूरी में कमी नहीं होती है।
  • भारतीय खिलाड़ियों के यो-यो टेस्ट में 23 में से 16.5 स्कोर लाना होता है। पृथ्वी 15 तक भी नहीं पहुंचे सके थे।

यो-यो टेस्ट का आविष्कार किसने किया था?

डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट डॉ जेन्स बैंग्सबो ने 1990 के दशक में इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट (यो-यो टेस्ट) की शुरुआत की थी। परीक्षण शुरू में फुटबॉलरों पर उनकी समग्र फिटनेस और एरोबिक क्षमता में सुधार के लिए किया गया था। धीरे-धीरे अन्य खेलों ने यो-यो टेस्ट को अपनाना शुरू कर दिया।

भारतीय क्रिकेट टीम में यो-यो टेस्ट कब शुरू किया गया था?

पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने 2017 में भारत के श्रीलंका दौरे से पहले राष्ट्रीय टीम में यो-यो टेस्ट की शुरुआत की थी।



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