क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन, कर्मचारियों को टैक्स भरते समय कैसे मिलता है इसका लाभ?


नई दिल्ली. स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन की शुरुआत वर्ष 2018 के बजट से हुई थी. पहले इसकी सीमा 40,000 रुपये थी जिसे अगले साल बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया. इसे शुरू करने का उद्देश्‍य कर्मचारियों को टैक्‍स छूट देकर उनके हाथ में ज्‍यादा पैसा देना है.

कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों का मानना था कि इनकम टैक्‍स के नियम वेतनभोगी के पक्ष में नहीं हैं. कारोबारी और कंसल्‍टेंट्स कई तरह के खर्च दिखाकर एक्जंप्शन क्‍लेम करते हैं जबकि वेतनभोगियों के पास बहुत सीमित विकल्प हैं. इसी शिकायत को दूर करने के लिए सरकार ने 2018 के बजट में इसे लागू किया था. स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट को हटाकर की गई थी. आइये जानते हैं कि क्‍या है स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन और वेतनभोगियों पर इसका असर है.

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क्‍या है स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन

स्टैंडर्ड डिडक्शन वह रकम होती है, जिसे आपकी आमदनी से सीधे-सीधे काटकर अलग कर दिया जाता है. बची हुई आमदनी पर ही टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाती है. इससे आपकी कुल टैक्स देय राशि घट जाती है और कई बार जो लोग टैक्स स्लैब से बाहर भी हो जाते हैं. इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं. स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन की सीमा 50,000 रुपये है. हालांकि, आपकी सैलरी प्रतिवर्ष इससे भी कम है तो आपका पूरा वेतन स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत आ जाएगा. मसलन किसी शख्स ने एक साल में 5 लाख का वेतन लिया तो उसका टैक्स 4.50 लाख के अनुसार कटेगा. वहीं किसी शख्स ने एक साल में 48,000 रुपये वेतन के रूप में लिए तो यह पूरा वेतन की स्टैंडर्ड डिडक्शन में आ जाएगा.

कौन उठा सकते हैं इसका लाभ

स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन का लाभ वे वेतनभोगी कर्मचारी और पैंसनर्स उठा सकते हैं, जिन्‍होंने नए टैक्‍स नियमों का विकल्‍प नहीं चुना है. नए नियमों में कम टैक्‍स दर का प्रावधान है. इसके अलावा पेंशन लेने वाले पेंशनर्स भी इस कटौती को पाने के हकदार हैं. लेकिन फैमिली पैंशन पर स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन नहीं मिलता. इसका अर्थ यह हुआ कि अगर किसी कर्मचारी की मौत के बाद उसका कोई आश्रित पारिवारिक पेंशन ले रहा है, तो वह इस कटौती या छूट का हकदार नहीं है.

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